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आश्चर्य: अजीब चोर, चोरी भी की, पर नहीं ले गये 11.75 करोड़ के जेवर

12.25 करोड़ के गहनों की चोरी हुई. 11.75 करोड़ के गहने बरामद भी हो गये. चोर भी अब तक नहीं पकड़ाया. चोर की ही सूचना पर बरामदगी उसी दुकान की छत के ऊपर रखे पानी टंकी से हुई, जहां से चोरी हुई थी. ज्वेलरी की बरामदगी पुलिस की बड़ी उपलब्धि है. पर, कई सवाल अब […]

12.25 करोड़ के गहनों की चोरी हुई. 11.75 करोड़ के गहने बरामद भी हो गये. चोर भी अब तक नहीं पकड़ाया. चोर की ही सूचना पर बरामदगी उसी दुकान की छत के ऊपर रखे पानी टंकी से हुई, जहां से चोरी हुई थी. ज्वेलरी की बरामदगी पुलिस की बड़ी उपलब्धि है. पर, कई सवाल अब भी हैं, जिसका जवाब जानना हर कोई चाहता है. चोर कौन है? इतनी मेहनत कर चोरी की, पर गहने ले नहीं गये, तो चोरी क्यों की? गहने ले भी गये, तो सबसे कम कीमत वाली चांदी के. पुलिस को सूचना देनेवाला कौन है? कहीं कोई बड़ी साजिश है या कोई बड़ा उद्देश्य या सिर्फ घटना. पूरा मामला उलझा हुआ है. पुलिस नाप-तौल कर बोल रही है. जेवर दुकानदार भी खुश हैं, पर चुप ही हैं.

रांची: एक कहावत है. गोदी में लक्ष्का और शहर में ढिंढोरा. यही कहावत दोहरायी गयी रांची में. 13 या 14 अक्तूबर की रात में रांची के आनंद ज्वेलर्स से 12.25 करोड़ के सोना, चांदी, हीरे के जेवर चोरी होते हैं. पुलिस पूरा राज्य छान मारती है. जेल से लेकर दूसरे राज्यों के अपराधियों से पूछताछ होती है. उदभेदन के लिए एसएसपी की अगुवाई में एक डीएसपी, तीन इंस्पेक्टर व एक दारोगा की टीम बनती है. टीम रायपुर, जयपुर और दिल्ली जाने की योजना बनाती है. गया से एक व्यक्ति को हिरासत में लेकर पूछताछ की जाती है, लेकिन सफलता नहीं मिलती. फिर अचानक एक गोपनीय फोन आता है. बताया जाता है कि गहने कहां हैं और गहने बरामद हो जाते हैं. जहां से चोरी गयी थी, उसी दुकान की छत पर बनी पानी टंकी से.

गहने बरामद होने की कहानी कम रोचक नहीं है. पुलिस थक चुकी थी. ऐसी भी चर्चा करते थे कि चोर बाहर के होंगे, इसलिए गहने मिलना मुश्किल है. अचानक रांची के सीनियर एसपी साकेत सिंह को 25 अक्तूबर की रात में नौ बजे एक फोन आता है. नाम नहीं बताता. कहता है- मेरे साथ धोखा हुआ है. इसलिए अब तक की सबसे बड़ी चोरी की घटना का सुराग दे रहा हूं. गहने अभी कहीं नहीं गये हैं. पानी में रखा हुआ है. और दुकान के नजदीक में ही है. काली पूजा या उसके बाद हटाया जायेगा.

इस फोन के बाद एसएसपी सक्रिय हो गये. मन में बात आयी कि फोन पर भरोसा किया जाये कि नहीं. किसी ने ऐसे ही तो मजाक में फोन नहीं कर दिया. पहले भी एसएसपी को चोरी के बारे में कुछ सूचना मिल रही थी, जिस पर वे काम कर रहे थे.

एसएसपी फोन करनेवाले का नाम जानना चाहते थे. वह कौन है, कहां से फोन किया आदि-आदि. तुरंत उन्होंने डेली मार्केट सर्किल के इंस्पेक्टर हरिश्चंद्र सिंह और हिंदपीढ़ी थाना के थानेदार को अपने घर पर बुलाया. पूरी बात बतायी. पुलिस अधिकारी दिमाग लगाने लगे कि अगर पानी में जेवर रखने की बात फोन पर कही गयी है, तो खोजना आसान नहीं होगा. पानी तो बहुत जगह है. इन अधिकारियों ने दुकान के आसपास के पानी के स्त्रोत पर विचार किया.

पहला ध्यान कुआं की ओर गया, क्योंकि कुआं में जेवर फेंकना आसान है. फिर सोचा कि दुकान के पास कुआं कहां से आयेगा. वहां पानी की टंकी होगी. पर वहां तो कई टंकियां हैं. तय हुआ कि सबसे पहले दुकान की पानी टंकी को ही देखा जाये. एसएसपी ने रात करीब 10.30 बजे इंस्पेक्टर और थानेदार को आनंद ज्वेलर्स भेजा. पहले आनंद ज्वेलर्स के मालिक सुशील गुप्ता को फोन किया और कहा कि दुकान की चाबी लेकर पहुंच जायें. रात में ही दुकान खोली गयी. पुलिस अफसरों ने सबसे पहले दुकान के पहले तल्ले पर स्थित टंकी को देखा. उसमें कुछ नहीं मिला. फिर दूसरे तल्ले के बाथरूम की टंकी को देखा. वहां भी कुछ नहीं मिला. इसके बाद पुलिस छत पर पहुंची. छत पर 1500 लीटर क्षमता की टंकी थी. टॉर्च से देखने पर बैग दिखा. बैग को पहले बाहर से ही निकालने की कोशिश की गयी. नहीं निकलने पर इंस्पेक्टर हरिश्चंद्र सिंह टंकी के भीतर घुस गये और उसमें रखे चार बैग को निकाला. बैग निकालने के बाद एसएसपी को बताया गया. एसएसपी तुरंत वहां पहुंच गये. फिर बैग खोला गया. बैग में गहने मिले. दुकान से मशीन मंगा कर गहनों को तौला गया.

हालांकि कुछ जेवर अभी भी नहीं मिले हैं. चोरी गयी थी 12.25 करोड़ के जेवर. बरामद हुए लगभग 11.75 करोड़ के. झारखंड की सबसे बड़ी चोरी थी. इसलिए इस पर सभी की नजर थी. अब अनेक सवाल उठने लगे हैं, जिनके उत्तर की तलाश है. चोरों ने जब गहनों की चोरी कर ली, तो वे खुद भाग गये पर गहनों को उसी दुकान की टंकी में क्यों छिपाया?

क्या चोर दुबारा आते, दुबारा जोखिम लेते और टंकी से जेवर निकाल कर ले जाते? कौन बेवकूफ चोर था, जो इतने ग्रिल-शटर काट कर जेवर साथ ले जाने के बजाय उसे टंकी में डाल दिया? एसएसपी को फोन करनेवाला कौन था? अगर चोरों में बंटवारे को लेकर फूट पड़ गयी थी, तो फोन करनेवाले ने दूसरे चोरों का नाम क्यों नहीं बता दिया? सबसे अहम सवाल.

चोर तो चोरी के सामान का बंटवारा बाद में करते हैं. घटनास्थल पर तो नहीं ही करते हैं. चोरी के सामान को वे सुरक्षित जगह ले जाते, फिर बंटवारा करते. इस स्थिति में अगर चोरों में विवाद भी होता, तो जेवर कहीं और से बरामद होता.

कैसे हुई थी चोरी?
रांची के आनंद ज्वेलर्स में 12 अक्तूबर तक सबकुछ सामान्य था. दुकान के कर्मचारी और मालिक रात में दुकान बंद कर घर चले गये थे. 13 और 14 अक्तूबर को दुर्गा पूजा की छुट्टी थी. मौसम भी खराब था. फेलिन का आतंक था. दुकान भी बंद थी. 15 अक्तूबर की सुबह करीब 10.30 बजे दुकान खुली. कर्मचारी जैसे ही दुकान के भीतर गये, हक्के-बक्के रह गये. सारे जेवर गायब थे. मालिक सुशील गुप्ता को खबर दी गयी. वह भी बदहवास पहुंचे. दुकान के ऊपर तक गये. चोर सात दरवाजों को काट कर सारे जेवर ले गये थे. पुलिस और इंश्योरेंस कंपनी को सूचना दी गयी. सभी पहुंचे. तत्काल शहर से बाहर निकलने के सभी रास्तों पर चेकिंग होने लगी. दोनों स्तरों (पुलिस व इंश्योरेंस कंपनी) पर जांच शुरू कर दी गयी. जांच के दौरान पता चला कि चोर सीसीटीवी कैमरा और वीडियो रिकार्ड करनेवाली मशीन भी अपने साथ लेते गये हैं. देर रात तक यह पता चला कि आठ करोड़ की चोरी हुई. दूसरे दिन स्टॉक मिलान का काम पूरा हुआ. चोरी गयी ज्वेलरी की कीमत 12.25 करोड़ हो गयी. चोरी की इतनी बड़ी वारदात की खबर मीडिया में आने के बाद शहर में सनसनी फैल गयी. हर जगह इसी चोरी की चर्चा होती रही.

चर्चा होती रही कि चोरों ने कैसे सात दरवाजों को काट कर चोरी की और किसी को पता तक नहीं चला. पुलिस और दुकान के मालिक अनुमान लगा रहे थे कि दरवाजा काटने में 12 घंटा से कम वक्त नहीं लगा होगा. बिहार-झारखंड की यह सबसे बड़ी चोरी थी. अब तक इतनी बड़ी राशि की नकदी या गहने की चोरी कभी नहीं हुई थी. इस दौरान मीडिया में यह खबर आयी कि दुकान का इंश्योरेंस 15 करोड़ का था.

पुलिस की जांच शुरू हो चुकी थी. तरह-तरह के कयास लगाये जा रहे थे. जिसे जो मन कर रहा था, वह छाप रहा था. एक अखबार में एक खबर छापते हुए चोरी का चश्मदीद मिल जाने का दावा किया. उसने लिख दिया कि चोर ऑटो-टेंपो पर लाद कर गहने ले गये. आगे लिखा कि चश्मदीद ने चोरी की सूचना भी पुलिस को फोन करके दी, लेकिन पुलिस ने गाली देकर फोन काट दिया. कुछ अन्य अखबारों में अलग-अलग रिपोर्ट छपी. पर जेवर मिला कहां से, उसी दुकान की छत पर बनी टंकी से.

बरामद जेवर जिम्मेनामा पर आनंद ज्वेलर्स को दिया
रांची: आनंद ज्वेलर्स से चोरी गये गहनों में से बरामद जेवरात को पुलिस ने शनिवार को दुकानमालिक को जिम्मेनामा पर सौंप दिया. साथ ही पुलिस ने इसकी सूचना अदालत को दे दी.

एसएसपी साकेत कुमार सिंह ने बताया कि झारखंड-बिहार की सबसे बड़ी इस चोरी में शामिल अपराधियों की खोज अब भी जारी है. साथ-साथ मामले की पड़ताल भी चल रही है. उल्लेखनीय है कि गत 12-13 अक्तूबर की रात आनंद ज्वेलर्स में चोरी हुई थी. अपराधियों ने 12.25 करोड़ रुपये मूल्य के जेवरात की चोरी की थी. 25 अक्तूबर की रात एसएसपी को मिली एक गुप्त सूचना के आधार पर पुलिस ने आनंद ज्वेलर्स की छत पर पानी की टंकी से जेवरात बरामद किये. चांदी के जेवरात समेत करीब 50 लाख रुपये मूल्य के जेवरात अभी बरामद नहीं हुए हैं.

इधर, चोरी के सामान बरामदगी के बाद शनिवार को आनंद ज्वेलर्स खुला. हालांकि, खरीद-बिक्री का काम शुरू नहीं हुआ है. दुकान पर सभी स्टॉफ मौजूद थे. आनंद ज्वेलर्स के मालिक सुशील गुप्ता ने बताया कि वह बहुत खुश हैं. पुलिस ने उनकी चोरी गये जेवरात बरामद कर लिया है. उन्होंने पुलिस को बधाई दी है. सुशील गुप्ता के परिवार के लोग भी आज आनंद ज्वेलर्स पहुंचे. सभी अब दुकान को दोबारा शुरू करने में जुट गये हैं.

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