रांची: राज्य के बीएड कॉलेजों में नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (एनसीटीइ) के प्रावधानों का पालन नहीं किये जाने पर झारखंड हाइकोर्ट ने सरकार और विवि को कड़ी फटकार लगायी. एक्टिंग चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षतावाली खंडपीठ ने कहा कि राज्य के बीएड कॉलेजों में खुलेआम नियमों का उल्लंघन हो रहा है. अफसर दायित्वों का निर्वहन नहीं कर रहे हैं. इनकी वजह से झारखंड की छवि धूमिल हो रही है. 2000 से अब तक एक भी बीएड कॉलेजों की संबद्धता रद्द करने को लेकर कोई कार्रवाई नहीं की गयी.
इंस्पेक्टर ऑफ कॉलेज ने क्या रिपोर्ट दी है, इसकी भी कोई जानकारी नहीं दी जा रही है. कोर्ट ने इस मामले में सभी विवि को पांच-पांच कॉलेज ऑफ इंस्पेक्टर की रिपोर्ट को कोर्ट में प्रस्तुत करने को कहा.
शिवशंकर मुंडा की ओर से दायर मामले पर अगली सुनवाई 23 अक्तूबर को होगी. याचिका में कहा गया है कि बीएड कॉलेजों में नियमों का पालन नहीं हो रहा है
एनसीटीइ की रिपोर्ट से हुआ खुलासा
इस मामले में एनसीटीइ की ओर से हाइकोर्ट में रिपोर्ट दायर की गयी है. इसमें कहा गया है कि राज्य में 95 बीएड कॉलेज चल रहे हैं. इनमें से 54 बीएड कॉलेजों में रेगुलर टीचर और स्टॉफ नहीं हैं. एनसीटीई के प्रावधानों के तहत 100 की संख्या वाले बीएड कॉलेजों में छह रेगुलर, दो पार्ट टाइम टीचर के साथ एक प्राचार्य का रहना अनिवार्य है. अधिकांश कॉलेजों में रेगुलर टीचर नहीं हैं. कई कॉलेजों में पद सृजित हैं, लेकिन वह भी खाली पड़ा हुआ है. इन कॉलेजों में पढ़ाने वाले व्याख्याता का नाम अलग अलग शहरों के बीएड कॉलेजों में दर्ज है. एक ही व्याख्याता को बोकारो, धनबाद, हजारीबाग और रांची के बीएड कॉलेजों में पढ़ाते हुए दिखाया जा रहा है. एनसीटीइ के प्रावधानों के तहत एक साथ दो पद पर कोई भी टीचर काम नहीं कर सकता है.