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योग भगाये रोग

– राणा गौरीशंकर – – मुंगेर में विश्व योग सम्मेलन – स्वामी सत्यानंद ने – जन–जन तक पहुंचाया मुंगेर : ‘भारत में सुख, समृद्धि, शक्ति और स्वास्थ्य के लिए हर व्यक्ति को योगाभ्यास करना चाहिए. ‘ ये बातें स्वामी सत्यानंद सरस्वती ने बहुत पहले रिखिया धाम देवघर में आयोजित एक कार्यक्रम में कही थी. योग […]

– राणा गौरीशंकर –

– मुंगेर में विश्व योग सम्मेलन

– स्वामी सत्यानंद ने

– जनजन तक पहुंचाया

मुंगेर : भारत में सुख, समृद्धि, शक्ति और स्वास्थ्य के लिए हर व्यक्ति को योगाभ्यास करना चाहिए. ये बातें स्वामी सत्यानंद सरस्वती ने बहुत पहले रिखिया धाम देवघर में आयोजित एक कार्यक्रम में कही थी. योग से रोग मुक्त समाज बनाने के क्षेत्र में बिहार योग विद्यालय ने अनेक उपलब्धियां हासिल की है.

गंगा दर्शन मुंगेर में स्वामी सत्यानंद सरस्वती द्वारा स्थापित योग रिसर्च फाउंडेशन में व्यापक अनुसंधान हुए हैं. यहां हृदय एवं परिसंचरण तंत्र, श्वसन तंत्र, पाचन तंत्र, मूत्र एवं प्रजनन प्रणाली, मांसपेशी, अस्थि तंत्र के क्षेत्र में कई उल्लेखनीय रिसर्च किये गये हैं. अब तक दमा, मधुमेह, उच्च रक्तचाप और गठिया जैसे रोगों पर यौगिक विधियों के प्रभाव की जांच हो चुकी है.

साथ ही योगाभ्यास की अंत:स्त्रवी प्रणाली, शरीर के विभिन्न आंतरिक अंगों गर्भवती महिलाओं पर होनेवाले प्रभावों पर अनुसंधान किया गया है. हृदय रोगों पर भी योग के सकारात्मक प्रभाव देखे गये हैं. योगाभ्यास द्वारा मधुमेह के रोगियों के इंसुलिन के पुनरोत्पादन की संभावना दिखलायी दी है.

डिस्क प्रोलैप्स में काम आनेवाले योग आसनों का भी निर्धारण किया गया है. मानसिक, मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक विकारों में हठ योग के अभ्यासों के प्रभाव का अध्ययन किया गया है. प्राणायाम का तंत्रिका तंत्र पर क्या प्रभाव पड़ता है, इस विषय पर भी अनुसंधान किया गया है.

ध्यान, कीर्तन, जप और योग निद्रा की उपयोगिता की जांच मस्तिष्क में उत्पन्न होनेवाली अल्फा तरंगों के आधार पर की गयी है. बिहार योग विद्यालय ने अपने शोधों के माध्यम से शारीरिक मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में अनेक उपलब्धियां हासिल की हैं. स्वामी निरंजनानंद सरस्वती कहते हैं कि गुरुदेव स्वामी सत्यानंद ने क्रिया योग को आम लोगों के लिए सुलभ बना दिया.

योग रिसर्च फाउंडेशन

इस वैज्ञानिक अनुसंधान संस्थान की स्थापना स्वामी सत्यानंद सरस्वती ने मुंगेर में 1984 में की थी. स्वास्थ्य के क्षेत्र में योग अनुसंधान से संबंधित देशविदेश के 100 से अधिक चिकित्सा शास्त्रियों का सम्मेलन वर्ष 1988 89 में किया गया था. इसके अलावा श्वसन संबंधी रोगों पर योग के प्रभाव का अध्ययन करने के लिए विश्व भर में लगभग 10,000 मरीजों पर एक अनुसंधान कार्यक्रम चलाया गया था.

विद्यालय की उपलब्धियां

– आसनों के संपूर्ण वर्गीकरण के साथसाथ उनके लाभों और सीमाओं का विवरण, जिसे आसन प्राणायाम मुद्रा बंध नामक पुस्तक में लिपिबद्ध किया गया है.

– पवन मुक्तासन श्रृंखला का प्रतिपादन, जो शरीर के सभी अंगों तंत्रों को योगाभ्यास के लिए क्रमबद्ध रूप से तैयार करती है.

– मुद्राओं और बंधों का वैज्ञानिक ढंग से निरूपण.

– हठ योग के संपूर्ण षट्कर्मो का एक ही विधि, पूर्ण शंख प्रक्षालन में समावेश.

– प्राण विद्या की मुख्य विधियों और प्रक्रियाओं का निरूपण.

– राजयोग के प्रथम अंतरंग सोपान, प्रत्याहार के विभिन्न अभ्यासों की व्याख्या.

– योग निद्रा जो मानवता के लिए अभूतपूर्व देन है, का न्यास की प्राचीन तांत्रिक विधि से सृजन.

– क्रिया योग की गूढ़, रहस्यमयी विद्या का एक क्रमबद्ध साधना पद्धति के रूप में निरूपण.

– चक्रों के सुव्यवस्थित सुरक्षित जागरण के लिए कुंडलिनी योग की क्रमबद्ध प्रशिक्षण प्रणाली का प्रणयन.

– दैनिक जीवन में भक्ति योग, ज्ञान योग और कर्म योग का समन्वय .

– दमा, मधुमेह, उक्त रक्तचाप, गठिया, हृदय रोग, अंत:स्त्रवी तंत्र की गड़बड़ी मानसिक एवं भावनात्मक समस्याओं के लिए यौगिक विधियों पर वैज्ञानिक प्रयोग और अनुसंधान .

– प्राणायाम, ध्यान, कीर्तन, जप, योग निंद्रा अभ्यासों के प्रभावों की जांच .

– प्राणायाम के सभी अभ्यासों का वर्गीकरण .

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