रांची : बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने विशेष सीबीआई अदालत द्वारा चारा घोटाले के एक मामले में उन्हें पांच वर्ष के कठोर कारावास और 25 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाये जाने के बाद आज कहा, ‘‘हुजूर मैं निर्दोष हूं. मैंने ही पूरे मामले की जांच के लिए प्राथमिकी दर्ज करवायी थी और मुझे ही फंसा दिया गया, यह कैसा न्याय है?’’
लालू यादव ने सजा सुनाये जाने के बाद वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से जेल से ही हाथ जोड़े हुए विशेष सीबीआई न्यायाधीश प्रवास कुमार सिंह से कहा,‘‘जी हुजूर हमें फंसाया गया, मैं निर्दोष हूं. पूरे मामले की जांच के लिए मैंने ही प्राथमिकी दर्ज करवाने के निर्देश दिये थे और मुझे ही फंसा दिया गया. यह कैसा न्याय है?’’लालू ने कहा, ‘‘मुझे साजिश के तहत फंसाया गया है.’’ उन्होंने कहा कि उन्होंने 30 सितंबर को इस मामले में फैसला सुनाये जाने के दौरान भी अदालत से दरख्वास्त की थी कि राजनीतिक साजिश के तहत ही उन्हें इस मामले में फंसाया गया था. न्यायाधीश ने लालू की बात सुनने के बाद कहा कि उन्होंने पूरे मामले का गंभीरता से अध्ययन किया है और न्यायोचित फैसला दिया है.
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘यदि इस निर्णय से वह संतुष्ट नहीं हैं तो वह उपरी अदालतों में अपील में जाने के लिए स्वतंत्र हैं.’’ चारा घोटाले के चाईबासा कोषागार से 37 करोड़, 70 लाख रुपये अवैध निकासी के इस मामला संख्या आरसी 20ए-96 में लालू को पहली बार सजा सुनायी गयी है. नौ सौ पचास करोड़ रुपये के चारा घोटाले में सीबीआई ने कुल 54 मामले दर्ज किये थे जिनमें से यह 45वें मामले में फैसला सुनाया गया है.