– संत जेवियर्स इंगलिश स्कूल में शिक्षा अधिकार कानून की अनदेखी
– मामले की जानकारी लेने पहुंचे पत्रकारों को भी दो घंटे तक कैंपस में जबरन रोके रखा गया
चाईबासा : फीस नहीं जमा करा पाने के कारण संत जेवियर्स स्कूल में एक दर्जन से अधिक बच्चों को सोमवार स्कूल की आंतरिक परीक्षा में शामिल नहीं होने दिया गया. इन बच्चों को प्राचार्या के निर्देश पर परीक्षा भवन में जाने से रोका गया एवं परीक्षा हॉल से बाहर बरामदे में घंटों बैठाये रखा गया.
बच्चों का दोष यह था कि इनके अभिभावक किसी कारण से समय पर फीस जमा नहीं कर सके थे. इन बच्चों में कई गरीब आदिवासी बच्चे भी हैं. स्कूली छात्र को थप्पड़ मारने के बाद चर्चा में आयी संत जेवियर्स इंग्लिश स्कूल की प्राचार्या सिस्टर फ्लोरा का यह कदम सरकार के निर्देशों के प्रतिकुल.
मौके पर पहुंचे पत्रकारों व छायाकारों को भी प्राचार्या की नाराजगी का सामना करना पड़ा. यहां उन्होंने साफ कहा कि उनकी संस्था की अपनी व्यवस्था है और वे उसमें किसी की दखलंदाजी बर्दाश्त नहीं करेंगी. बच्चों को परीक्षा से वंचित करने का निर्देश देनेवाली सिस्टर फ्लोरा ने पत्रकारों को दो घंटे तक स्कूल कैंपस में रुकने पर मजबूर कर दिया. बाद में पुलिस ने आकर गेट खुलवाया तब पत्रकार बाहर निकल सके.
हर किसी को जवाब देना जरूरी नहीं
इस मामले में मुझे कुछ नहीं कहना है. मैं क्या करती हूं या क्या नहीं करती हूं इसका जवाब सबको देना जरूरी नहीं है. मुझे जो सही लगता है, वह मैं करूंगी. यह स्कूल का आंतरिक मामला है, इसमें किसी की दखलंदाजी सहन नहीं की जायेगी.
सिस्टर फ्लोरा, प्राचार्या
उपायुक्त से करायेंगे मामले की जांच: बलमुचु
राज्यसभा सांसद प्रदीप बलमुचु ने कहा है कि कोई भी संस्था सरकारी कानून से ऊपर नहीं है. आदिवासी बच्चों को परीक्षा शुल्क नहीं देने के कारण परीक्षा से वंचित करना शिक्षा अधिकार कानून का उल्लंघन है. लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को बंधक बनाना भी अपराध है. उपायुक्त को जांच की अनुशंसा कर रहा हूं. जांच के बाद कार्रवाई की जायेगी.
पूरे मामले की होगी जांच : आरडीडीइ
आरडीडीइ नागेंद्र ठाकुर ने कहा है कि कोई भी संस्था सरकार से बाहर नहीं है. प्राचार्या द्वारा परीक्षा शुल्क नहीं देने के कारण बच्चों को परीक्षा से वंचित करने की जांच होगी. जांच में प्राचार्या दोषी पायी गयीं, तो शिक्षा अधिकार कानून के तहत जो प्रावधान हैं उसके अंतर्गत कार्रवाई होगी.