राज्य में पांच लाख से ज्यादा निबंधित बेरोजगार हैं. ये सरकारी आंकड़े हैं. नियोजनालयों में निबंधन कराने भर से नौकरी मिलने का जमाना भी लद गया. लाखों ऐसे युवक होंगे, जिन्होंने नौकरी के लिए निबंधन नहीं कराया होगा. इसे जोड़ दिया जाये, तो राज्य में बेरोजगारों की संख्या कई गुणा बढ़ जायेगी. देश की अर्थ व्यवस्था पस्त है. बाजार से पूंजी समेटी जा रही है. निजी क्षेत्र में अवसर कम हुए हैं. सरकारी क्षेत्र में जहां रिक्तियां हैं, वहां भी दरवाजे नहीं खोले जा रहे हैं. झारखंड में स्थानीयता के मुद्दे पर नौकरी के अवसर उलझ कर रह गये हैं.
पढ़े-लिखे लाखों युवकों के बीच नौकरियों की आस टूट रही है. राज्य में बेरोजगारी का यह आलम है कि युवकों को सेना में भरती का मौका मिला, तो 50 हजार से ज्यादा बेरोजगार राजधानी पहुंच गये. तीन सितंबर से राजधानी के मोरहाबादी मैदान में सेना का भरती अभियान चल रहा है. राज्य के कोने-कोने से बेरोजगार युवकों की फौज सेना में भरती के लिए पहुंची है. नौकरी के लिए ये युवक मारे-मारे फिर रहे हैं. ना रहने का ठौर, ना खाने का इंतजाम. मोरहाबादी के खुले आसमान में सोते हैं. ब्रेड-चाय के साथ रात गुजार लेते. 11 सितंबर तक झारखंड के नौजवानों के लिए सेना में भरती होने का मौका था. 50 हजार युवक पहुंचे, तो राजधानी अस्त-व्यस्त हो गयी. मोरहाबादी में अहले सुबह लाइन में लगे युवकों की नौकरी के लिए मशक्कत और बेसब्री देश-राज्य की स्थिति बयां करती हैं. प्रभात खबर की रिपोर्ट.
-नौ दिनों तक पहुंचता रहा हुजूम, शहर नहीं था तैयार
-मैदान में सो कर रात गुजारी, ठेला-फुटपाथ में खाया
रांची. मोरहाबादी के बिरसा मुंडा फुटबॉल स्टेडियम में तीन से 11 सितंबर तक झारखंड के युवकों के लिए बहाली का आयोजन किया गया था. 12 सितंबर को बिहार के सभी जिलों के लिए नर्सिग सहायक और वेटनरी नर्सिग सहायक के लिए बहाली प्रक्रिया चलेगी. सेना भरती का आयोजन तय था. लेकिन शहर इसके लिए तैयार नहीं था. हजारों युवकों के रहने की कोई व्यवस्था नहीं की गयी थी.
मोरहाबादी का खुला मैदान ही इनका आसरा बना. युवकों के शौच और पीने के पानी तक की सही व्यवस्था नहीं थी. बेरोजगारी का जो आलम है, उसमें हजारों की संख्या में युवकों का पहुंचना तय था. युवकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा. ठेला-फुटपाथ में खा कर दिन-रात गुजारा. पीने के पानी के लिए युवक भटकते रहे. मैदान में शौच करने के लिए मजबूर थे. संताल परगना, पलामू के दूर-दराज के इलाके से हजारों की संख्या में युवक पहुंचे थे. रांची में इनका कोई ठिकाना नहीं था. नौकरी के लिए बेहाल युवक सीधे मोरहाबादी पहुंचते और आसपास के पेड़ के नीचे अपना ठिकाना बना लेते. पिछले 9 दिनों तक युवकों ने तरह-तरह की परेशानी ङोली.
छात्र हजारों में, शौचालय 20
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन 8 सितंबर को मोरहाबादी मैदान में युवकों से मिलने पहुंचे. अलग-अलग जिलों से आये अभ्यर्थियों ने मुख्यमंत्री को अपनी परेशानी बतायी. मुख्यमंत्री ने जिला प्रशासन को युवकों के ठहरने और असुविधा को दूर करने का निर्देश दिया. मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद जिला प्रशासन की ओर से दो टेंट की व्यवस्था की गयी. युवकों के लिए 20 अस्थायी शौचालय तैयार किये गये. पानी के लिए प्रशासन की ओर से टैंकर मंगाये गये. अंतिम तीन दिनों में युवकों की परेशानी थोड़ी कम हुई.
गंदगी और दुर्गंध से परेशानी
मोरहाबादी मैदान में जहा-तहां दरुगध व गंदगी से लोग परेशान हैं. मैदान में जहां-तहां शौच कर दिये जाने से चारों ओर दरुगध फैल रही है. गंदे पॉलिथीन, प्लास्टिक के ग्लास, खाने के प्लेट बिखरे पड़े हैं. कई जगहों पर पानी व पेशाब बह रहे हैं. जहां-तहां केला के छिलके पड़े हुए हैं. मैदान की इस हालत से मॉर्निग वॉकरों को खासी परेशानी हो रही है. कई लोग नाक पर रूमाल रख कर मॉर्निग वॉक कर रहे हैं. बुधवार को दिन में मैदान में थोड़ी सफाई नगर निगम की ओर से जरूर की गयी. पर वह पर्याप्त नहीं थी.
सेना बहाली में शामिल होने आये युवकों से ट्रेनों में काफी भीड़ हो गयी है. जिन इलाकोंमें ट्रेन की सुविधा है, वहां के ट्रेनों में काफी भीड़ है. रिजर्वेशन बॉगी में भी विद्यार्थियों ने कब्जा जमा लिया. 12 सितंबर को बिहार के लोगों की बहाली होनी है. इस वजह से वहां से आनेवाली ट्रेनों काफी भीड़ थी. मौर्य एक्सप्रेस, पटना-हटिया एक्सप्रेस, पाटलीपुत्र एक्सप्रेस जैसी ट्रेनों में भाड़ी भीड़ रही. यही नहीं, बड़ी संख्या में विद्यार्थी बसों से भी रांची पहुंचे. बसों में भी काफी भीड़ थी.