रांचीः सिल्ली के मेधावी विद्यार्थियों को रविवार को गूंज परिवार की ओर से सम्मानित किया गया. सिल्ली के पॉलिटेक्निक कॉलेज के सभागार में गूंज परिवार के संरक्षक व पूर्व उपमुख्यमंत्री सुदेश महतो और विधायक चंद्र प्रकाश चौधरी ने सिल्ली विधानसभा के हाइस्कूल के 68 और इंटर के 16 स्कूल टॉपरों को टैबलेट दिया. विधानसभा के मैट्रिक के दो संयुक्त टॉपरों को लैपटॉप दिया गया. समारोह में सिल्ली, सोनाहातू, राहे और अनगड़ा के विद्यार्थी शामिल हुए.
माटी के बेटे-बेटियों का सम्मान : समारोह को संबोधित करते हुए आजसू प्रमुख सुदेश महतो ने कहा : यह माटी के बेटे-बेटियों का सम्मान है. आज झारखंड में 67 प्रतिशत आबादी नौजवानों की है. नौजवान झारखंड आज ऐसे मेधावी बच्चों की ओर देख रहा है. बच्चों के सामने चुनौतियां भी हैं. बच्चे हर क्षेत्र में बेहतर लीडर बन कर उभरें. उन्होंने कहा : बच्चों के हुनर को सम्मान मिला है. हमने दुनिया की तकनीक से बच्चों को जोड़ने का प्रयास किया है. पूर्व मंत्री और आजसू नेता चंद्र प्रकाश चौधरी ने कहा : माहौल प्रतियोगिता का है. अभिभावक बच्चों को प्रोत्साहित करें. सुदूर ग्रामीण इलाकों में अभाव के बीच रह कर बच्चों ने प्रदर्शन किया है. आनेवाला समय इन बच्चों का है. उन्होंने कहा : राज्य में तकनीकी शिक्षा की कमी थी. हमारी कोशिश रही है कि छात्रों को तकनीकी शिक्षा के लिए पलायन न करना पड़े.
ये भी थे
विज्ञान प्रावैधिकी के निदेशक डॉ अरुण कुमार व खादी बोर्ड के अध्यक्ष जयनंदू
जिन्हें मिला टैबलेट
मैट्रिक के स्कूल टॉपर : कैलाश महतो, सुचित्र कोयरी, बलराम चौधरी, पूनम कुमारी, कैलाश महतो, संयोती कुमारी, ज्ञानी सिंह घटवार, पूनम कुमारी, कविता कुमारी, प्रज्जवल मालवीय, पंकज हजाम, ललन पोद्दार, रिंपा कुमारी, संजय कुमार मिश्र, आशीष कुमार, रुखसार खातून, प्रतिमा कुमारी, अभिषेक कुमार, नयन कुमार ठाकुर, हेमा कुमारी, रतन कुमार महतो, ज्योति कुमारी, जीतेंद्र प्रजापति, श्वेता गुप्ता, नरेश भोगता, पूनम महतो, दृष्टि मांझी, मुरारी तिवारी, किरण कुमारी, नागेंद्र महतो, रमेश मंडल, सरस्वती कुमारी, रोशन लाल महतो, नाजनीन खातून, चंदन कर्मकार, शिवानी कर्मकार, अमीर महतो, नीलिमा कुमारी, पिंकी कुमारी, अश्विनी कुमार प्रमाणिक, किरण कुमारी, दिवाकर महतो, चंद्रिका कुमारी, तरुण कुमार महतो, शारदा कुमारी, नीतीश कुमार गुप्ता, रमेश कुमार सिंह मुंडा, अजय कुम्हार, मीणा कुमारी, मालती कुमारी, निकीता सिंह, शक्ति प्रमाणिक, प्रीति कुमारी, लेलिन कुमार महतो, आकाश अहीर, रीना कुमारी, परेश नाथ सिंह मुंडा, जयंती कुमारी, मोतीलाल महतो, राहुल कुमार मेहता, लीला कुमारी, गोपाल महतो, विनोद कच्छप, उर्मिला कुमारी, कुंती कुमारी, दिनेश सिंह मुंडा, पिंकी कुमारी, राजेंद्र महतो.
इंटर के टॉपर : विष्णु चरण महतो, नीतू साहू, रोहित कोयरी, सबाना खातून, इलीन सोनल पन्ना, माना कुमारी, सरस्वती कुमारी, रीना कुमारी, पंचानन महतो, राजेश कुमार प्रमाणिक, रोशनी कुमारी, नसरुद्दीन, जूही कुमारी सिंह, विकास कुमार महतो, ललित कुमार महतो, राजेश कुम्हार.
पॉलिटेक्निक कर रहा सिदो का परपोता
– सुदेश की पहल पर सिल्ली में हुआ है दाखिला, रांची में ही पूरी करायी स्कूल की शिक्षा
– कहा : अपने परदादा पर होता है गर्व, मंत्री-विधायक आते हैं गांव
रांची : सिदो-कान्हू के वंशज भी अब भोगनाडीह के बाहर की दुनिया निहार रहे हैं. सिदो का परपोता मंडल मुरमू सिल्ली के पॉलिटेक्निक कॉलेज से सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा कर रहा है. यहां पहले बैच की पढ़ाई शुरू हुई है. सुदेश महतो की पहल पर कॉलेज में उसका दाखिला कराया गया है. सुदेश उसे वर्षो पहले रांची लेकर आये थे. रांची में कैंब्रिज स्कूल में दाखिला कराया था. 10 वीं की परीक्षा पास करने के बाद उसने तकनीकी शिक्षा में जाने की इच्छा जतायी. मंडल मुरमू का सपना है कि वह इंजीनियर बन कर झारखंड की सेवा करे. अपने भोगनाडीह का नाम रोशन करे. वह कहता है : झारखंड के संघर्ष की विरासत उसके घर से जुड़ी है. गर्व होता है कि सिदो-कान्हू उसके परदादा थे. मंत्री-विधायक उसके घर पहुंचते हैं. सम्मान पाकर खुशी होती है. मंडल मुरमू के पिता का नाम बेटाधन मुरमू था. दादा मंडल मुरमू थे. मंडल की दो बहनें हैं. बहनों की शादी हो चुकी है. परिवार खेती बारी से चलता है. वह कहता है : सुदेशजी भोगनाडीह पहुंचे, उसके बाद दुनिया बदल गयी. उन्होंने मुङो पढ़ाने के लिए रांची लाया. मैं भी मेहनत कर मुकाम हासिल करना चाहता हूं.
भारत की मलाला है पार्वती, जगा रही है शिक्षा का अलख
रांची : भारत में मलाला के संघर्ष का प्रतिनिधित्व करनेवाली और शिक्षा की अलख जगा रही पार्वती पुजारी भी समारोह में पहुंची थी. पार्वती कर्नाटक के गुलबर्ग की रहनेवाली है. माता-पिता मुंबई में बस गये हैं. मिल में काम करते थे. बेटे की आस में छह बेटियां हो गयी. आमदनी कम और बच्चों की पढ़ाई का बोझ. तंगहाली में पार्वती ने पढ़ाई नहीं छोड़ी. यही नहीं, वह गरीब बच्चों की पढ़ाई के लिए भी संघर्ष कर रही है. खेल के विकास के लिए संस्था चलाती है. म्यूजिक प्लस नाम की संस्था के जरिये बच्चों के लिए काम करती है. लहर नाम की संस्था से वह महिला उत्थान के लिए काम कर रही है. छोटी सी उम्र में पार्वती ने संघर्ष की लंबी लकीर खींची है. दुनिया भर में पार्वती के संघर्ष को मलाल से जोड़ कर देखा जाता है. मुंबई की तंग बस्ती में रह कर देश-दुनिया में भारत का नाम पहुंचाया है. पार्वती ब्रिटेन, अमेरिका, सिंगापुर में कई कार्यक्रम में प्रतिनिधित्व किया है. समारोह में बच्चों को जोश बढ़ाते हुए उसने कहा : लड़कियां वह सबकुछ कर सकती हैं. अपनी प्रतिभा को निखारें. चुनौतियों का सामना करें.