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मर कर भी जिंदा रहेंगी सुशीला देवी की आंखें

रांची: सुशीला देवी की आंखें जल्द किसी जरूरतमंद को रोशनी देगी. सुशीला देवी (55) की मृत्यु के बाद 28 अगस्त की रात दो बजे उनके परिजनों ने कश्यप आइ बैंक से संपर्क किया. आइ बैंक की टीम रात में ही उनकी कॉर्निया ले आयी. परिजनों ने बताया कि सुशीला देवी की अंतिम इच्छा थी कि […]

रांची: सुशीला देवी की आंखें जल्द किसी जरूरतमंद को रोशनी देगी. सुशीला देवी (55) की मृत्यु के बाद 28 अगस्त की रात दो बजे उनके परिजनों ने कश्यप आइ बैंक से संपर्क किया. आइ बैंक की टीम रात में ही उनकी कॉर्निया ले आयी. परिजनों ने बताया कि सुशीला देवी की अंतिम इच्छा थी कि उनकी आंखों को किसी जरूरतमंद को दे दिया जाये. डॉ भारती कश्यप ने बताया कि पूरे देश में कॉर्नियाजनित दृष्टिहीनता 12 मिलियन के करीब है.

कॉर्निया को खरीदा नहीं जा सकता है. कोशिश के बावजूद देश में हर साल किसी तरह 45 से 50 हजार कार्निया ही मिल पाती हैं. इसके लिए जागरूकता कार्यक्रम चलाने की जरूरत है. उन्होंने आंख दान की विधि भी बतायी, कहा, जिस व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, उसके सिर को छह इंच ऊपर उठा कर रखना चाहिए. पलक को बंद कर देना चाहिए. आंखों पर बर्फीले पानी से कॉटन को भिंगों कर रख देना चाहिए. पंखा बंद कर देना चाहिए.

क्या है कॉर्निया व नेत्रदान
कॉर्निया पुतली के ऊपर शीशे की तरह की एक परत होती है. आंखों के ऑपरेशन करानेवाले और शारीरिक रूप से बीमार व्यक्ति भी नेत्रदान कर सकते हैं.

इन लोगों ने किया नेत्रदान
पिछले एक वर्ष में रांची में मदनलाल जैन, माया देवी, राम लाल, गिरधारी लाल, सविता बनर्जी, संतोषी देवी, संतोष कुमार, उमा देवी बुधिया, सी अग्रवाल और सुशीला देवी ने नेत्रदान किया है.

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