रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि सरकार आइएएस अधिकारियों को काम करने की पूरी स्वतंत्रता दे रही है. कहीं कोई बंधन नहीं है. वे काम करके दिखायें. पैसे का अभाव नहीं है. जो सहयोग चाहिए, सरकार देने को तैयार है. मुख्यमंत्री मंगलवार को श्रम विभाग की ओर से होटल कैपिटल हिल में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर(डीबीटी) पर आयोजित सेमिनार में बोल रहे थे. उन्होंने आइएएस अधिकारियों से कहा : मैं नहीं चाहता कि आप पर कोई उंगली उठाये. पर यह भी उम्मीद करते हैं कि आपकी वजह से हम पर कोई उंगली न उठाये. इस बात का ध्यान रखें. सेमिनार में मुख्य सचिव आरएस शर्मा समेत कई जिलों के उपायुक्त भी उपस्थित थे.
जिम्मेवारियों से भाग रहे : मुख्यमंत्री ने आइएएस अधिकारियों से कहा : अधिकारी इस सिस्टम में 40-40 साल तक रहते हैं. दूसरे राज्य इसी साइंस टेक्नोलॉजी को अपना कर आगे बढ़ चुके हैं. हम पीछे क्यों हैं. क्या हमलोगों में कमी है. दूसरे राज्यवाले भी वही एक्जाम पास कर आते हैं, जो आप पास करके आते हैं.
वही सोच उनके पास है, जो आपके पास है. पर इतनी बड़ी गैप मेरी समझ से परे है. यह सब इसलिए हो रहा है कि हमारी मानसिकता की कमी है. हम मानसिकता नहीं बना पा रहे हैं कि हमको ऐसे काम करना है. हम अपनी जिम्मेवारियों से भाग रहे हैं.
सैर-सपाटा के लिए विदेश जाना ठीक नहीं : उन्होंने कहा : विकसित जगह पर अधिकारी जाकर काम करेंगे, तो उनका नाम नहीं होगा. कठिन जगह पर काम करेंगे और कुछ कर दिखायेंगे, तो वहां ज्यादा सम्मान मिलेगा. मुख्यमंत्री ने कहा : इस राज्य को व्यवस्थित करने की जरूरत है. अधिकारी विदेश जाते हैं. कई अधिकारी वहां से पढ़ कर आते हैं. पर इस ज्ञान को राज्य में कितना लागू कर पाते हैं. घूमने और सैर-सपाटा के लिए जाना उचित नहीं है, बल्कि कुछ कर दिखाना चाहिए. संकल्पित होकर योजनाओं को लागू करने का प्रयास किया जाना चाहिए. सीएम ने कहा : सरकार जब भी बदले सिस्टम दुरुस्त रहेगा, तो नयी सरकार को कोई परेशानी नहीं होगी. इसी तरह यदि अधिकारी जहां काम करते हैं, वहां बेहतर करके जायेंगे, तो जूनियर भी उन्हें याद रखेंगे.
मोनोटोनस न बने अधिकारी
मुख्यमंत्री ने कहा : मेरी किसी से व्यक्तिगत शिकायत नहीं है, शिकायत व्यवस्था से है. आजकल विदेशों में इतनी छूट रहती है कि घर से भी कामकाज निबटा सकते हैं. पर यहां तो फील्ड में ही काम नहीं करते, तो घर में रह कर कैसे करेंगे. उन्होंने कहा : जिंदगी को मोनोटोनस न बनायें, बल्कि काम को निबटा कर अपने लिए भी समय निकालें. उन्होंने बोकारो का उदाहरण दिया, बताया कि वहां के लोगों की जिंदगी मोनोटोनस हो गयी है. घर से दफ्तर और दफ्तर से घर. कहा : समस्याओं को ठीक करेंगे, तो आपको समय मिलेगा. इसके लिए वर्क फ्रेंडली बनना होगा. ऐसा नहीं करेंगे, तो मुख्य सचिव आपकी क्लास लेंगे और हम मुख्य सचिव की क्लास लेंगे. यह सब कब-तक चलता रहेगा. सीएम ने कहा कि डाटा इंट्री में भी गड़बड़ी होती है. जाली करके लोग राष्ट्र को नुकसान पहुंचाते हैं.
निजी कंपनी बेहतर, तो सरकार क्यों नहीं
उन्होंने कहा : निजी कंपनी में कितने आइएएस काम करते हैं, फिर वह कंपनी कैसे बेहतर करती है. क्या किसी कंपनी के पास इस राज्य के जितना आइएएस व आइपीएस अधिकारी है, फिर भी यह राज्य क्यों नहीं चल रहा है.