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फरार अफसर ने दिलाया चहेते को ठेका

रांची: कृषि घोटाले में फरार आरोपी अफसर व अन्य को फरजी दस्तावेज के आधार पर चहेते को ठेका दिलाने का भी दोषी पाया गया है. जांच में पाया गया है कि इन अधिकारियों ने साजिश कर फरजी दस्तावेज पर ठेकेदार उमाशरण सिंह को पॉली हाउस निर्माण का काम दिया. साथ ही इस ठेकेदार द्वारा खोले […]

रांची: कृषि घोटाले में फरार आरोपी अफसर व अन्य को फरजी दस्तावेज के आधार पर चहेते को ठेका दिलाने का भी दोषी पाया गया है. जांच में पाया गया है कि इन अधिकारियों ने साजिश कर फरजी दस्तावेज पर ठेकेदार उमाशरण सिंह को पॉली हाउस निर्माण का काम दिया. साथ ही इस ठेकेदार द्वारा खोले गये फरजी खाते में भुगतान किया. कृषि उप निदेशक अजेश्वर सिंह नेशनल वेजिटेबल इनिशिएटिव (एनवीआइ) के नोडल पदाधिकारी हैं. कृषि घोटाले में वारंट जारी होने के बाद से वह फरार हैं.

उन्होंने वेजिटेबल फेडरेशन (वेज फेड) के प्रबंध निदेशक सहित अन्य अधिकारियों से मिल कर उमाशरण सिंह को पुणो की ग्रीन टेक इंडिया लिमिटेड नामक कंपनी के फरजी दस्तावेज पर पॉली हाउस निर्माण का ठेका दिया. वर्क ऑर्डर देने से पहले इस ठेकेदार के साथ एकरारनामा भी नहीं किया. उमाशरण सिंह द्वारा टेंडर के दौरान जमा कराये गये दस्तावेज पर संदेह होने पर जांच अधिकारी ने ग्रीन टेक इंडिया लिमिटेड के सक्षम अधिकारियों से पत्रचार किया. उधर से सरकार को यह जानकारी दी गयी कि उन्होंने उमाशरण सिंह को अपनी कंपनी की ओर से टेंडर में हिस्सा लेने के लिए कुछ दस्तावेज दिये थे. सक्षम अधिकारियों ने ग्रीन टेक इंडिया लिमिटेड को झारखंड में पॉली हाउस निर्माण का ठेका नहीं मिलने की सूचना दी और बताया कि पहले भी कंपनी ने झारखंड में कोई काम नहीं किया है.

जून-2013 में कंपनी की ओर से मिली इस लिखित सूचना के बाद जांच अधिकारी ने टेंडर में ग्रीन टेक के नाम पर दिये गये दस्तावेजों की जांच की. इसमें पाया गया ‘पैन’ कंपनी के बदले किसी बसंत कुलकर्णी नामक व्यक्ति का है. कंपनी के नाम पर दाखिल किये गये आय-व्यय के ब्योरे में गलतियां हैं. फाइल में बैंक गारंटी और सोलवेंसी सर्टिफिकेट नहीं हैं. इसके बावजूद नोडल अधिकारी अजेश्वर सिंह ने टेंडर से जुड़ी फाइल में यह लिखा है कि जांच में सोलवेंसी सर्टिफिकेट सही पाये गये. इस तरह ग्रीन टेक इंडिया के नाम फर्जी दस्तावेज पर उमाशरण सिंह को ठेका दिया गया. इतना ही नहीं, इस ठेकेदार ने ग्रीन टेक इंडिया के नाम पर रांची में ही एक बैंक खाता खोल लिया. वेजफेड के अधिकारियों ने इस खाते में 57.54 लाख रुपये का भुगतान किया है. दूसरी तरफ, इस काम के बदले 1.86 करोड़ रुपये का डीसी बिल (खर्च का विस्तृत ब्योरा) तैयार किया गया है. सभी वाउचरों पर वेजफेड के एमडी रमोद नारायण झा के हस्ताक्षर हैं.

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