रांची: चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (सीडब्ल्यूसी) के सदस्यों ने शनिवार को इशांक उर्फ किशन पटनायक का बयान लिया. इशांक ने बताया कि उसे जमशेदपुर से पॉली आंटी और ललिता आंटी रांची लेकर आयी थी. इशांक ने बताया कि ललिता आंटी ने घर का काम करवान शुरू कर दिया.
सुबह उठने के साथ ही उसे सारे घरवालों का बिस्तर ठीक करना, किचन साफ करना, डॉ शेखर चौधरी काजल के पीठ में तेल मालिश करने का काम करवाया जाता था. यही नहीं सब्जी काटना, साफ- सफाई करना और बरतन भी धोने पड़ते थे. काम खत्म होने के बाद रात का बासी खाना खाने के लिए दिया जाता था. सोने के लिए एक चटाई दी जाती थी. इशाक ने बताया है कि काम में थोड़ी ढिलाई होने पर उसे पीटा जाता था.
उल्लेखनीय है कि शुक्रवार को कुसई कॉलोनी निवासी डॉ शेखर चौधरी एवं ललिता सिंह के घर से इशांक नंगे भागते हुए नेपाल हाउस पहुंचा था. बाद में पुलिस ने बच्चे को कोकर स्थित चाइल्ड लाइन को सौंप दिया था.
गोद लेने के नाम पर बच्चे की हो रही खरीद बिक्री
दीया सेवा संस्थान के बैजनाथ कुमार का कहना है बच्च गोद लेने के नाम पर खरीद बिक्री हो रही है. डॉ शेखर ने बच्चे को जमशेदपुर स्थित चाइल्ड लाइन से फोस्टर केयर के तहत गोद लिया था. इस सिस्टम के तहत वैसे बच्चे को गोद लिया जाता है, जो अनाथ हैं. इशांक पटनायक के बारे में जानकारी मिली है कि उसके पिता जीवित हैं, जो राऊरकेला में रहते हैं. इस संबंध में राऊरकेला सीडब्ल्यूसी से संपर्क कर पता लगाया जा रहा है. इससे स्पष्ट है कि इन दिनों झारखंड में बच्चों को गोद लेने के नाम बच्ची की खरीद- बिक्री की जा रही है. बच्चे के नाम पर नौकर खरीद कर अपने घर ले जा रहे हैं. पुलिस को कार्रवाई करनी चाहिए.
बच्चा उन पर गलत आरोप लगा रहा है. वह बच्चे को अपने बेटे की तरह रखते थे. उसे रोजाना टय़ूशन भी भेजते थे.
डॉ शेखर चौधरी काजल