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जम्मू-कश्मीर: 13 घंटे में चार आतंकी हमले, रांची के लेफ्टिनेंट कर्नल शहीद

श्रीनगर: आतंकियों ने शुक्रवार को उरी सैन्य शिविर समेत चार स्थानों पर हमले कर कश्मीर को दहला दिया. रांची निवासी 24 पंजाब रेजिमेंट के लेफ्टिनेंट कर्नल संकल्प कुमार शुक्ला समेत 11 सुरक्षकर्मी शहीद हो गये. आठ हमलावर मारे गये. दो नागरिक की भी जान गयी. 20 से अधिक सैनिक व पुलिसकर्मी घायल हुए. ये हमले […]

श्रीनगर: आतंकियों ने शुक्रवार को उरी सैन्य शिविर समेत चार स्थानों पर हमले कर कश्मीर को दहला दिया. रांची निवासी 24 पंजाब रेजिमेंट के लेफ्टिनेंट कर्नल संकल्प कुमार शुक्ला समेत 11 सुरक्षकर्मी शहीद हो गये. आठ हमलावर मारे गये. दो नागरिक की भी जान गयी. 20 से अधिक सैनिक व पुलिसकर्मी घायल हुए. ये हमले उन्हीं स्थानों पर हुए हैं, जहां अभी मतदान बाकी है. दो दिन बाद प्रधानमंत्री का कार्यक्रम है.

चार जवान जिंदा जले : आतंकियों ने सबसे पहले बारामुला के उरी सेक्टर में तड़के 3.30 बजे सेना के शिविर पर फिदाइन हमला किया. छह-सात आतंकी मोहरा स्थित सेना की फील्ड आर्टिलरी यूनिट पर हमला बोला. बाहर ड्यूटी कर रहे उरी पुलिस स्टेशन के कई जवान चपेट में आ गये. एएसआइ अकबर लोन, हेड कांस्टेबल अब्दुल मजीद और कांस्टेबल संजय की मौके पर ही मौत हो गयी.

आतंकी गोलीबारी चलाते और हथगोले दागते हुए सेना के कैंप में जा घुसे. संतरी ने रोकने की कोशिश की, तो उसे मार डाला. जवाबी कार्रवाई में वहीं एक आतंकी मारा गया, तब तक अन्य आतंकी कैंप के भीतर जा घुसे थे. वे हथगोलों और रॉकेट लांचर का इस्तेमाल कर रहे थे. इससे शिविर के भीतर कई जगहों पर आग लग गयी. निकटवर्ती पंजाब रेजिमेंट को संदेश दिया गया, जिसने आतंकवादियों से मुकाबले के लिए त्वरित प्रतिक्रिया दल को रवाना किया. यह टीम गोलीबारी में फंस गयी, जिसमें पंजाब रेजिमेंट के लेफ्टिनेंट कर्नल संकल्प कुमार और तीन अन्य सैनिक मारे गये. बैरक में आग लगने से चार जवान जिंदा जल गये. सैनिकों ने भी छह आतंकियों को ढेर कर दिया. यह पहला मौका था, जब आतंकियों ने दो खेमों में बंट कर दोहरे हमले किये. एक ग्रुप बैरक में आग लगा रहा था, दूसरा हमला कर रहा था.

कार रोकी, तो कर दिया हमला

इधर, श्रीनगर के सौरा इलाके में सुरक्षाबलों ने एक कार को रोका, तो उसमें सवार लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों ने हमला बोल दिया. जवाबी कार्रवाई में वांछित कमांडर कारी इसरार समेत दो आतंकी मारे गये. मुठभेड़ में कई पुलिसवाले जख्मी हो गये.

पुलिस पार्टी को निशाना बनाया

आतंकियों ने इसके बाद शोपियां पुलिस स्टेशन के पास पुलिस पार्टी पर हथगाले से हमले किये. कई जवान जख्मी हो गये. हमले के बाद इलाके को घेर लिया गया. आतंकियों की तलाश जारी थी.

हथगोलों से हमला

आतंकियों ने दोपहर 3.30 बजे त्रल बस अड्डे पर हथगोलों से पुलिस पार्टी पर हमला किया. छह लोग गंभीर रूप से जख्मी हो गये. बाद में 60 साल के गुलाम हसन व एक अन्य ने अस्पताल में दम तोड़ दिया.

भारी मात्र में हथियार बरामद

आतंकियों के पास से छह एके राइफल, 55 मैगजीन दो शॉटगन, दो दूरबीन ,चार रेडियो सेट, 32 ग्रेनेड एक चिकित्सा किट व युद्ध का सामान जब्त.

प्रधानमंत्री से मिले आर्मी चीफ

हमलों के मद्देनजर शुक्रवार की शाम सेना प्रमुख दलबीर सुहाग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. घाटी में हुए आतंकी हमलों के बारे में पीएम को अपडेट दिया.

संकल्प शुक्ला को जनवरी में कश्मीर से लौटना था, आज आयेगा पार्थिव शरीर

रांची: जम्मू-कश्मीर के उरी सेक्टर में सेना के कैंप पर आतंकी हमले में शहीद होनेवाले लेफ्टिनेंट कर्नल संकल्प कुमार शुक्ला रांची के निवासी थे. बूटी मोड़ के निकट कृष्णा नगर में उनका मकान है. पिता एसके शुक्ला व माता सुषमा शुक्ला यहीं रहते हैं. टेकारी, गया के मूल निवासी शहीद संकल्प की पत्नी प्रिया व दोनों बच्चे दानापुर आर्मी कॉलोनी में रहते हैं. जम्मू-कश्मीर में पोस्टिंग से पहले सभी साथ रहते थे. जनवरी में कश्मीर से उनकी पोस्टिंग का टर्म खत्म होनेवाला था. शनिवार शाम तक उनका पार्थिव शरीर रांची लाये जाने की संभावना है.

संकल्प शुक्ला के शहीद होने की सूचना मिलने के बाद रामगढ़ स्थित पंजाब रेजिमेंट से सेना के कई अधिकारी और जवान उनके रांची स्थित घर पर पहुंचे. सेना के अधिकारियों के मुताबिक, शहीद संकल्प शुक्ला के माता-पिता को फिलहाल घटना की जानकारी नहीं दी गयी है.

दोस्त उमेश अग्रवाल ने बताया कि संकल्प शुक्ला की स्कूली शिक्षा दीपाटोली आर्मी स्कूल में हुई थी. आर्मी स्कूल से बोर्ड की परीक्षा पास करने के बाद संकल्प ने संत जेवियर कॉलेज से बी कॉम की पढ़ाई पूरी की. फिर सेना में बहाल हुए थे. 24 पंजाब रेजिमेंट में थे. वह पंजाब और दानापुर में पदस्थापित रह चुके थे. 15 साल तक सेना में रह कर देश की सेवा की.

2003 में पेट में लगी थी गोली, लगे थे 40 टांके

संकल्प की शहादत की बात सुनते ही मेरे दिमाग में अप्रैल 2003 की बात घूमने लगी. उस वक्त मैं और संकल्प श्रीनगर के एक अस्पताल के आइसीयू में अगल-बगल भरती थे. हम दोनों का ऑपरेशन हुआ था. उसे आतंकियों की गोली लगी थी. मैं ग्रेनेड के विस्फोट से जख्मी हुआ था. उसके पेट में एके-47 की गोली लगी थी. हम दोनों के पेट में 40-40 टांके लगे थे. उसके माता-पिता उससे मिलने अस्पताल आये थे. गंभीर रूप से घायल होने के बाद भी वह मुस्कुराता रहता था.

जख्म के बावजूद उसके चुटकुले सुन कर हंसते-हंसते पेट में दर्द हो जाता था. वास्तव में वह एक सच्च सैनिक था. अफसर उसे बहुत पसंद करते थे.

(नोट : यह मैसेज शहीद संकल्प के साथ काम कर चुके सेना के अफसर ने अपने दोस्तों को भेजा है.)

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