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नहीं हो सकी सरयू राय की सीडी की जांच

झारखंड में भ्रष्ट आचरण को प्रोत्साहित करने और फिर इसे ढकने- छुपाने की गलत परंपरा ने पूरी व्यवस्था को चौपट कर दिया है. विधानसभा में गलत तरीके से हुई नियुक्तियों के सबूत मिलने के बाद भी इसकी पूरी जांच नहीं कराना, झारखंड में व्यवस्था की गंदगी को बेपर्द करता है. रिश्वतखोरी, कमीशनखोरी और राज्य के […]

झारखंड में भ्रष्ट आचरण को प्रोत्साहित करने और फिर इसे ढकने- छुपाने की गलत परंपरा ने पूरी व्यवस्था को चौपट कर दिया है. विधानसभा में गलत तरीके से हुई नियुक्तियों के सबूत मिलने के बाद भी इसकी पूरी जांच नहीं कराना, झारखंड में व्यवस्था की गंदगी को बेपर्द करता है.

रिश्वतखोरी, कमीशनखोरी और राज्य के युवाओं का हक मारनेवाले कुत्सित कर्मो की जांच नहीं करना, क्या झारखंड के लोगों के साथ न्याय है? क्या झारखंड इसी सपनों के साथ बना था? क्या इसी तरह का विकास होगा?

रांची: विधानसभा में स्पीकर आलमगीर आलम के कार्यकाल में 150 सहायकों की नियुक्ति में पैसों के लेन-देन का मामला सामने आया. तत्कालीन भाजपा विधायक सरयू राय ने इससे संबंधित सीडी विधानसभा में उपलब्ध करायी. सीडी में विधानसभा के पूर्व सचिव सीताराम साहनी, प्रशाखा पदाधिकारी मो शमीम और लिपिक बासुकीनाथ पाठक को नियुक्ति के लिए पैसों की बात करते दिखाया गया था. इस सीडी की जांच के लिए विधानसभा ने विशेष कमेटी बनायी. इसके अध्यक्ष राधाकृष्ण किशोर बनाये गये. चार विधायकों को कमेटी का सदस्य बनाया गया.

तत्कालीन स्पीकर ने खुद को अलग किया : कमेटी के अध्यक्ष राधाकृष्ण किशोर ने अपनी रिपोर्ट दी कि पूरे मामले की जांच किसी एजेंसी से करायी जाये, ताकि मामला उजागर हो सके. पर तत्कालीन स्पीकर आलमगीर आलम ने इस रिपोर्ट पर लिख दिया कि अगली विधानसभा के गठन के बाद नियुक्त अध्यक्ष विधानसभा की गरिमा और स्वायत्त स्वरूप को देखते हुए उचित निर्णय लेंगे. इस तरह उन्होंने इस पूरे मामले से खुद को अलग कर लिया. पर इसकी अब तक जांच नहीं हो पायी.

क्या थी कमेटी की अनुशंसा

पूरे प्रकरण की गहराई से जांच हो

किसी ऐसी सरकारी एजेंसी से जांच करायी जाये, जो गहराई से सच्चई उजागर करे

समिति नियुक्तियों में हुई अनियमितता के आरोप की संपूर्ण की जांच नहीं कर सकी

कमेटी में कौन-कौन थे

राधाकृष्ण किशोर (अध्यक्ष), चितरंजन यादव, रवींद्र नाथ महतो, रामचंद्र सिंह, सुखदेव भगत (सभी तत्कालीन विधायक)

विशेष कमेटी की 18 बैठकें आठ बार मिला अवधि विस्तार

सीडी की जांच के लिए बनी विशेष कमेटी ने 18 बैठकें की. सीडी में जिन्हें दिखाया गया था, उन्हें कमेटी के सामने बुलाया गया. सात लोगों को गवाही के लिए भी बुलाया गया. इसमें पूर्व सचिव सीता राम साहनी, प्रशाखा पदाधिकारी मो शमीम, लिपिक बासुकीनाथ पाठक, अनुसेवक कमलेश कुमार सिंह, आशुतोष तिवारी, मिथिलेश कुमार मिश्र, और निलेश रंजन शामिल थे. सीडी में इनकी भी तसवीर थी. इनकी गवाही को रिकॉर्ड किया गया. इस कमेटी को आठ बार अवधि विस्तार भी मिला. अंत में 30 अगस्त 2008 को कमेटी ने रिपोर्ट सौंपी.

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