रांची: झारखंड सरकार ने कर्मियों को वेतनमान और पे बैंड के आधार पर नि:शुल्क चिकित्सा सुविधा देने का निर्णय लिया है. वेतनमान 1 एस, पीबी-एक और दो (ग्रेड पे 1300-4600) को सामान्य वार्ड में चिकित्सा की सुविधा मिलेगी. पीबी-दो और तीन (ग्रेड पे 48 सौ से 76 सौ ) को प्राइवेट वार्ड में, पीबी-चार (ग्रेड पे 87 सौ से 10 हजार ) को डीलक्स अथवा विशेष रूम में स्वास्थ्य सुविधा दी जायेगी. स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा और परिवार कल्याण विभाग की ओर से इस संबंध में संकल्प जारी किया गया है.
सभी सरकारी अस्पतालों एवं स्वास्थ्य केंद्रों पर नि:शुल्क चिकित्सा सुविधा सरकार उपलब्ध करायेगी. जिन सरकारी अस्पतालों में जांच की सुविधा नहीं है, वहां के चिकित्सा पदाधिकारी के परामर्श से बाहर से दवा खरीदने की सुविधा दी जायेगी.
प्रति माह राज्य सरकार के पदाधिकारी एवं कर्मचारियों को अधिकतम छह हजार रुपये तक के वार्षिक प्रीमियम पर स्वास्थ्य बीमा की सुविधा दी जायेगी. इसमें राज्य कर्मी, पत्नी, दो बच्चों तथा आश्रित माता-पिता को बीमा का लाभ दिया जायेगा. सेवानिवृत्त कर्मियों को यह सुविधा प्रीमियम का भुगतान देने के बाद दी जायेगी. स्वास्थ्य विभाग की ओर से खुली निविदा के आधार पर बीमा कंपनी का चयन किया जायेगा. इसके लिए कर्मियों के स्वास्थ्य बीमा को लेकर चयनित कंपनियों के साथ एग्रीमेंट भी किया जायेगा.
जिन बीमारियों की चिकित्सा सुविधा सरकारी अस्पतालों में नहीं है, वहां राज्य चिकित्सा परिषद की अनुशंसा पर अनुमोदित चिकित्सा संस्थानों में चिकित्सा की सुविधा उपलब्ध कराने की मंजूरी दी जायेगी.
80 प्रतिशत ही अग्रिम राशि का होगा भुगतान : राज्य कर्मियों को चिकित्सा के लिए हॉस्पिटल के प्राक्कलन के आधार पर अधिकतम 80 फीसदी राशि अग्रिम के रूप में दी जायेगी. आंतरिक वित्तीय सलाहकार की सहमति के बाद विभागीय प्रमुख भी इसे अनुमोदित करेंगे. चिकित्सा अग्रिम की राशि का व्यय संबंधित पदाधिकारी और कर्मचारी के वेतन से ही किया जायेगा. छह माह के अंदर प्राप्त चिकित्सा अग्रिम का समायोजन नहीं कराने पर सरकार 12 प्रतिशत ब्याज भी वसूलेगी. चिकित्सा लाभ में कर्मचारी और उनके एक सहयोगी को ही यात्र भत्ता मिलेगा. बीमा कंपनी के चयन के लिए प्रकाशित की जानेवाली निविदा में इस बात का उल्लेख किया जायेगा कि हेपेटाइटिस बी, लीवर सिरोसिस, हिमोफिलिया, एप्लास्टिक एनीमिया, एड्स, कालाजार, लकवा, लीवर ट्रांसप्लांट, गुर्दा रोग में डायलिसिस आरंभ होने पर, ब्लड प्रेशर, मधुमेह, हृदय रोग और कैंसर जैसी बीमारी पर चिकित्सा होने पर व्यय की प्रतिपूर्ति करना जरूरी होगा.