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फरजी तरीके से रजिस्ट्री करा ली थी स्वतंत्रता सेनानी की जमीन
रांची: खूंटी के तजना पुल के पास पांच एकड़ 12 डिसमिल जमीन की फरजी तरीके से रजिस्ट्री कराने का मामला सामने आया है. यह रजिस्ट्री और कोई नहीं, बल्कि पन्नालाल महतो ने किया है. इसका खुलासा उस वक्त हुआ, जब जमीन मालिक व उनके परिवार म्यूटेशन से संबंधित दस्तावेज निकालने खूंटी सीओ कार्यालय पहुंचे. वहां […]
रांची: खूंटी के तजना पुल के पास पांच एकड़ 12 डिसमिल जमीन की फरजी तरीके से रजिस्ट्री कराने का मामला सामने आया है. यह रजिस्ट्री और कोई नहीं, बल्कि पन्नालाल महतो ने किया है.
इसका खुलासा उस वक्त हुआ, जब जमीन मालिक व उनके परिवार म्यूटेशन से संबंधित दस्तावेज निकालने खूंटी सीओ कार्यालय पहुंचे. वहां पाया कि खूंटी के सीओ कार्यालय से पन्ना ने उक्त जमीन का फरजी दस्तावेज बनवा लिया है और अपने नाम से जमीन की रजिस्ट्री करवा ली है. यह जमीन स्वतंत्रता सेनानी राधाकृष्ण प्रसाद की पत्नी सीता देवी के नाम से है. इस मामले को लेकर पन्ना के खिलाफ जमीन मालिक ने खूंटी न्यायालय में मामला भी दर्ज करा दिया है. जमीन मालिक के भतीजे धीरेंद्र कुमार ने बताया कि पन्नालाल को जब पता चला कि इस जमीन का मालिक रांची में रहता है, तो वह वहां पहुंचा और जमीन लेने की इच्छा जतायी.
एग्रीमेंट कराने के नाम पर जमीन मालिक को पांच लाख रुपये भी दिये. पन्नालाल ने यह रुपये बाबा वामदेव के हाथों दिलवाया. बाबा वामदेव की जमीन का एग्रीमेंट भी हुआ, जिसका गवाह पन्नालाल बना.
कौन है पन्नालाल
पन्नालाल वही शख्स है, जो मानव तस्करी के मामले में गिरफ्तार बाबा वामदेव का शार्गिद है और दिल्ली में प्लेसमेंट एजेंसी चलाता है. झारखंड के दलाल यहां की लड़कियों को बहला फुसला कर दिल्ली उसके प्लेसमेंट एजेंसी तक पहुंचाते थे. वहां से वह लड़कियों को दूसरी जगह भेजता था. खूंटी पुलिस हाल ही में उसकी तलाश में दिल्ली गयी थी.
खूंटी न्यायालय में दर्ज है मामला
जमीन मालिक सीता देवी के भतीजे धीरेंद्र कुमार ने बताया कि इस मामले को लेकर खूंटी न्यायालय में पन्ना के खिलाफ मामला दर्ज करा दिया गया है. पुलिस ने कार्रवाई का आश्वासन दिया है. धीरेंद्र कुमार के अनुसार पन्नालाल ने सोची-समझी साजिश के तरह उनकी जमीन हथियाने का प्रयास किया है.
1955 में खरीदी थी जमीन
सीता देवी ने वर्ष 1966 में हरि राम भड़ेच से जमीन खरीदी थी. हरि राम ने उक्त जमीन को वर्ष 1955 में आत्मा राम पोद्दार से खरीदी थी. सीता देवी के पास जमीन के सारे कागजात हैं.
आश्रम बनाने के नाम पर ली थी जमीन
सीता देवी के भतीजे धीरेंद्र कुमार ने बताया कि बाबा वामदेव ने उक्त जमीन पर आश्रम बनाने की इच्छा जतायी थी. लेकिन बाद में पता चला कि उक्त जमीन को एफसीआइ को देने की बात चल रही है. जमीन पर सभी मिल कर कब्जा करना चाह रहे थे.
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