रांची: तारा शाहदेव प्रकरण में शामिल दागी मंत्रियों के मामले को भाजपा मुद्दा नहीं बना पायी. भाजपा का अभियान मात्र बयानबाजी तक ही सीमित रह गया. पार्टी की ओर से विज्ञप्ति जारी कर मंत्रियों को बरखास्त करने की मांग की गयी.
दागी मंत्रियों को हटाने को लेकर न तो पार्टी की ओर से धरना दिया गया और न ही प्रदर्शन. पार्टी की ओर से भाजपा के कद्दावर नेता सह पूर्व वित्त और विदेश मंत्री यशवंत सिन्हा की घोषणा की भी अनदेखी की गयी. श्री सिन्हा ने भाजपा के कार्यकर्ता सम्मेलन में इस मुद्दे को लेकर आंदोलन करने की सलाह दी थी.
कहा था कि अकर्मण्य सरकार को बरखास्त करने के लिए पार्टी को कार्यक्रम तय करना चाहिए. जब तक मंत्रियों को बरखास्त नहीं किया जाये, तब तक आंदोलन जारी रखना चाहिए. अपराधियों को संरक्षण देने वाली सरकार को एक दिन भी गद्दी पर नहीं बैठने देने का संकल्प लेना चाहिए. कार्यकर्ता सम्मेलन के 14 दिन गुजर जाने के बाद भी अब तक पार्टी की ओर से आंदोलन की कोई रूप रेखा तय नहीं की गयी.
बिजली आंदोलन में नहीं मिला था यंशवत को साथ : यशवंत सिन्हा ने हजारीबाग में बिजली को लेकर आंदोलन की घोषणा की थी. इसको लेकर वे 14 दिनों तक जेल में भी रहे थे. यशवंत सिन्हा के आंदोलन को केंद्रीय स्तर के नेता लाल कृष्ण आडवाणी समेत कई नेताओं ने समर्थन किया था. इसे राज्यव्यापी आंदोलन बनाने की बात कही थी. प्रदेश नेतृत्व का पूरा समर्थन नहीं मिल पाने के कारण यह आंदोलन भी कुछ जिलों तक ही सीमित रह गया. हालांकि बाद में पार्टी की ओर से बिजली आंदोलन को समर्थन करने की घोषणा की गयी. लेकिन इसका कोई खास असर नहीं पड़ा.