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राज्य के अधिकांश ब्लड बैंकों में पुरानी पद्धति से होती है जांच, कहीं संक्रमित नहीं हो जायें आप

रांची: अगर आप राज्य के किसी ब्लड बैंक से खून ले रहे हैं तो थोड़ी सावधानी बरतने की जरूरत है. हो सकता है कि आप इसके इस्तेमाल से हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस सी एवं एचआइवी की चपेट में आ जायें, क्योंकि राज्य के अधिकांश ब्लड बैंक में जांच के लिए पुरानी पद्धति के किट का उपयोग […]

रांची: अगर आप राज्य के किसी ब्लड बैंक से खून ले रहे हैं तो थोड़ी सावधानी बरतने की जरूरत है. हो सकता है कि आप इसके इस्तेमाल से हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस सी एवं एचआइवी की चपेट में आ जायें, क्योंकि राज्य के अधिकांश ब्लड बैंक में जांच के लिए पुरानी पद्धति के किट का उपयोग किया जा रहा है.

वहां थर्ड जेनरेशन के किट का इस्तेमाल जांच में हो रहा है. जांच की यह किट पिछले तीन माह में हुए हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस सी एवं पिछले एक माह में हुए एचआइवी के संक्रमण को नहीं पकड़ सकती है. हालांकि राज्य के कुछ ब्लड बैंक में फोर्थ जेनरेशन किट का इस्तेमाल हो रहा है. कुछ ब्लड बैंकों में तो रैपिट टेस्ट से जांच होती है जो सबसे पुरानी पद्धति है.

रिम्स में भी हो रहा है थर्ड जेनरेशन किट का ही इस्तेमाल
राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स के ब्लड बैंक में भी थर्ड जेनरेशन के किट का ही इस्तेमाल किया जा रहा है. इस ब्लड बैंक की ओर से सबसे ज्यादा रक्तदान शिविर का आयोजन किया जाता है. ब्लड जमा कर जांच थर्ड जेनरेशन किट से होती है. यानी जांच में पिछले तीन माह के दौरान हुई बीमारी को नहीं पकड़ा जा सकता है.

रक्तदाता व खून लेनेवाले दोनों हो जाते हैं असुरक्षित
स्वैच्छिक रक्तदान करनेवाले एवं उसका खून लेनेवाले, दोनों ही जांच की अत्याधुनिक किट का इस्तेमाल नहीं किये जाने से असुरक्षित हो जाते हैं. ब्लड डोनेट करने की सही रिपोर्ट नहीं मिल पाती है, तो दूसरी तरफ खून लेनेवालों को खून की शुद्धता पर संदेह होता है.

नैट टेस्ट है सबसे उपयोगी
नैट टेस्ट सबसे एडवांस जांच है. इस जांच में हेपेटाइटिस बी, सी एवं एचआइवी का पता तीन दिन के अंदर चल जाता है. यानी तीन दिन में अगर कोई इस बीमारी की चपेट में आया है तो उसे नैक टेस्ट से पकड़ा जाता है. देश के कई राज्यों के ब्लड बैंक में इसका उपयोग किया जा रहा है. यह अलग बात है कि नैक टेस्ट की मशीनें महंगी हैं.

यह गंभीर बात है

अगर ऐसा है तो यह गंभीर बात है. किट हमको भारत सरकार नॉको से मिलती है. हम शीघ्र ही नॉको से इस संबंध में जानकारी प्राप्त करेंगे. बुधवार को पत्र के माध्यम से सूचना दी जायेगी. हमारा प्रयास होगा कि सबसे लेटेस्ट जांच की प्रक्रिया झारखंड के ब्लड बैंकों में अपनायी जाये.

आशीष सिंहमार
परियोजना निदेशक, एनआरएचएम

इसमें हैं कई कमियां
थर्ड जेनरेशन की एलाइजा किट से तीन महीने के अंदर की हेपेटाइटिस बी एवं सी के लक्षण नहीं पहचाने जा सकते हैं. वहीं एक महीने से अधिक का एचआइवी पकड़ में नहीं आता है. बाजार में थर्ड जेनरेशन का ही किट उपलब्ध है.

डॉ बिमलेश सिंह, पैथोलॉजिस्ट

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