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जेपीएससी पांचवीं सिविल सेवा मुख्य परीक्षा पर निर्णय अधर में लटका, 14 वर्षो में पांचवीं परीक्षा भी नहीं हुई

झारखंड बने 14 साल हो गये. इन 14 सालों में जेपीएससी (सिविल सेवा) अब तक सिर्फ चार परीक्षाएं ही ले सका है. पांचवीं मुख्य परीक्षा होने के ठीक एक दिन पहले सरकार ने परीक्षा स्थगित कर दी. ढाई माह से फाइल सरकार के पास पड़ी है. कोई फैसला लेनेवाला नहीं. राज्य में अधिकारियों की कमी […]

झारखंड बने 14 साल हो गये. इन 14 सालों में जेपीएससी (सिविल सेवा) अब तक सिर्फ चार परीक्षाएं ही ले सका है. पांचवीं मुख्य परीक्षा होने के ठीक एक दिन पहले सरकार ने परीक्षा स्थगित कर दी. ढाई माह से फाइल सरकार के पास पड़ी है. कोई फैसला लेनेवाला नहीं. राज्य में अधिकारियों की कमी है. सरकार परीक्षा ही नहीं ले रही तो कैसे होगी बहाली. झारखंड सरकार नीति ही नहीं बना पायी है. अन्य राज्यों में स्थिति अलग है. इसी अवधि में बिहार आठ बार और छत्तीसगढ़ सात बार यह परीक्षा ले चुका है.

रांची: राज्य सरकार ने 16 जून को जेपीएससी सिविल सेवा की मुख्य परीक्षा स्थगित कर दी, लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई निर्णय नहीं लिया जा सका है. फाइल सरकार के पास लंबित है. इससे लगभग 3800 छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है. पांचवीं परीक्षा नहीं होने से जेपीएससी की छठी सिविल परीक्षा भी नहीं हो पा रही है. स्थिति यह है कि झारखंड लोक सेवा आयोग में अब तक सिर्फ चार सिविल सेवा परीक्षाएं हुईं,उनमें से भी दो की सीबीआइ जांच चल रही है.

आयोग ने पांचवीं सिविल सेवा मुख्य परीक्षा 16 जून 2014 से लेने की तैयारी पूरी कर ली थी, एन वक्त पर राज्य सरकार ने यह कह कर इसमें रोक लगा दी कि राज्य के कुछ अभ्यर्थियों ने शिकायत की है कि आयोग द्वारा पांचवीं सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा में आरक्षण का पालन नहीं किया गया. कुछ विद्यार्थियों द्वारा ओएमआर शीट में मामूली गलती किये जाने पर उन्हें परीक्षा से वंचित कर दिया गया है.

इसके अलावा कई अभ्यर्थियों ने यह भी शिकायत की है कि प्रारंभिक परीक्षा में सामान्य व पिछड़े वर्ग के लिए कट-ऑफ मार्क्‍स एक ही (138) रखा गया, जो गलत है. राज्य सरकार की ओर से कार्मिक विभाग ने 14 जून 2014 को आयोग को पत्र भेज कर आयोग को स्थिति स्पष्ट करने को कहा और तब तक परीक्षा नहीं लेने का आग्रह किया. इसके बाद ही आयोग ने 16 जून से होनेवाली परीक्षा स्थगित कर सरकार को लिखित रूप से जवाब भी भेज दिया. इसमें आयोग ने स्पष्ट किया है कि प्रारंभिक परीक्षा में किसी प्रकार की गलती नहीं हुई है. आयोग ने कहा है कि इसी मार्क्‍स पर सामान्य व पिछड़े वर्ग दोनों का निर्धारित कोटा पूरा हो जाता. आयोग ने यह भी कहा है कि नियुक्ति अनुशंसा के समय अभ्यर्थियों को आरक्षण का पूर्ण लाभ दिया जायेगा. कार्मिक विभाग की ओर से बताया गया कि मामला कैबिनेट में जायेगा. इसमें लिये गये फैसले के बाद ही आगे की कार्रवाई होगी.

चार बार कैबिनेट, पर निर्णय नहीं
बताया जाता है कि इस बीच चार बार कैबिनेट की बैठक हो गयी, लेकिन जेपीएससी सिविल सेवा मुख्य परीक्षा से संबंधित कोई प्रस्ताव कैबिनेट में नहीं ले जाया गया है. आयोग द्वारा पांचवीं सिविल सेवा में 277 पदों के लिए नियुक्ति की जानी है. मुख्य परीक्षा में लगभग 3800 अभ्यर्थी शामिल होनेवाले हैं.

आचार संहिता से होगी देर
कुछ दिनों बाद राज्य में आचार संहिता लग जायेगी. उसके बाद निर्णय नहीं लिया जा सकेगा. आयोग के पास छठी सिविल सेवा परीक्षा के लिए 71 पदों की रिक्तियां मिल गयी हैं, लेकिन पांचवीं सिविल सेवा परीक्षा पूरी नहीं होने के कारण आयोग छठी सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा नहीं ले पा रहा है.

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