रांची: मानव संसाधन विभाग ने 295 बालिका विद्यालयों की चहारदीवारी के लिए उस वक्त पैसा विमुक्त किया, जब सिर्फ 58 बालिका विद्यालय ही अस्तित्व में थे. विभाग ने उन जिलों में भी बुनियादी विद्यालयों के भवन निर्माण के लिए पैसा दिया था, जिन जिलों में इसकी जरूरत नहीं थी. प्रधान महालेखाकार (पीएजी) ने मानव संसाधन विभाग के ऑडिट के बाद सरकार को भेजी गयी रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2006 में राज्य में सिर्फ 58 बालिका उच्च विद्यालय थे. इसके बावजूद मानव उच्च स्तरीय समिति ने 295 बालिका उच्च विद्यालयों की चहारदीवारी की योजना स्वीकृत की थी. समित ने एक-एक विद्यालय की चहारदीवारी के लिए 10-10 लाख रुपये की स्वीकृति दी थी. इसे आधार मान कर राशि की आवंटित की गयी थी. बाद में इसे बढ़ा कर 310 विद्यालयों के लिए 31 करोड़ रुपये कर दिया गया.
11 योजनाओं की जांच की
पीएजी ने रांची, गुमला, लोहरदगा और चाईबासा में चहारदीवारी की 11 योजनाओं की जांच की. इसमें यह पाया गया कि माध्यमिक ंिशक्षा निदेशक ने 11 स्कूलों की चहारदीवारी के लिए 1.10 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी थी. हालांकि इन सभी बालिका उच्च विद्यालयों में पहले से चहारदीवारी मौजूद थी. इस मुद्दे पर पीएजी के साथ विचार विमर्श के दौरान विभागीय अधिकारियों ने यह स्वीकार किया कि आंकड़ों की सही जानकारी नहीं होने की वजह से ऐसी गलती हुई. पीएजी ने बुनियादी विद्यालयों के निर्माण से जुड़े मामलों की जांच में भी भारी गड़बड़ी पायी.
आकलन किये बिना 46.40 करोड़ दिये
जांच में पाया गया कि प्राथमिक शिक्षा निदेशक ने जरूरतों का आकलन किये बिना ही 116 बुनियादी विद्यालयों के निर्माण के लिए फरवरी 2008 में 46.40 करोड़ रुपये विभिन्न जिला शिक्षा अधीक्षकों को दिया था. उन जिलों के शिक्षा अधीक्षकों को पैसे दिये गये थे, जिन जिलों के 41 बुनियादी विद्यालयों के प्राचार्यों ने राज्य स्तरीय बैठक में यह कहा था कि उनके स्कूलों में अतिरिक्त भवनों के निर्माण की जरूरत नहीं है.
राशि की निकासी कर व्यक्तिगत खातों में रखा
जांच में यह भी पाया गया कि बुनियादी विद्यालयों में भवन निर्माण के लिए जारी किये गये 44.80 करोड़ रुपये की राशि की निकासी कर व्यक्तिगत खातों में रख लिये गये थे. वर्ष 2010-11 में यह राशि कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों के लिए झारखंड शिक्षा परियोजना को हस्तांतरित किया गया. इसके फलस्वरूप जिन 75 बुनियादी विद्यालयों में भवन निर्माण की जरूरत थी उसमें भवन निर्माण नहीं हो सका. जबकि राशि इसी योजना के लिए थी.