रांची: भाकपा माओवादी के जिस नक्सली कमांडर प्रसादजी उर्फ कृष्णा अहिर को रांची पुलिस ने बुधवार को गिरफ्तार किया, वह झारखंड के 54 जवानों की हत्या में शामिल रहा है. उस पर ओड़िशा में 20 लाख रुपये का इनाम था. डीजीपी राजीव कुमार ने गुरुवार को पुलिस मुख्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि नक्सली प्रसाद जी माओवादी संगठन में पिछले 15 सालों से था. झारखंड रीजनल कमेटी का सदस्य था. उसके खिलाफ खूंटी व चाईबासा के विभिन्न थानों में 62 मामले दर्ज हैं. ओड़िशा में भी कई मामले दर्ज हैं. उसकी गिरफ्तारी हाल के वर्षो में पुलिस की सबसे बड़ी कामयाबी है.
ऐसे हुई गिरफ्तारी : ग्रामीण एसपी सुरेंद्र कुमार झा ने बताया कि सूचना मिली थी कि नक्सली प्रसादजी अपने 15-20 सहयोगियों के साथ झुमरा से चाईबासा आया है. अनगड़ा के हापेदाग-बरवादाग जंगल में बैठक कर 15 अगस्त को बड़ी घटना को अंजाम देने की योजना बना रहा है.
पुलिस ने ऑपरेशन द्रोण की रूप-रेखा तैयार की.चार टीम बनायी गयी. हापेदाग व बरवादाग जंगल को घेर कर पुलिस टीम आगे बढ़ी. पुलिस को देखते ही नक्सली द्वारा लगाये गये संतरी ने फयरिंग शुरू कर दी. अन्य नक्सली भी फायरिंग करते भागने लगे. पुलिस ने जवाबी फायरिंग कर एक नक्सली को पकड़ लिया. उसने अपना नाम प्रसादजी उर्फ कृष्णा अहिर बताया. उसकी निशानदेही पर हापेदाग पहाड़ से 50 किलो विस्फोटक व दो केन बम बरामद हुए. पुलिस को यह सफलता स्पेशल ब्रांच की सटीक सूचना के आधार पर अनगड़ा क्षेत्र में कार्रवाई के दौरान मिली. कार्रवाई में रांची पुलिस के अलावा कोबरा बटालियन, सीआरपीएफ की 133वीं बटालियन और झारखंड जगुआर के अधिकारी व जवान शामिल थे.
झारखंड में सात लाख रुपये के इनाम का प्रस्ताव था : नक्सली प्रसादजी पर ओड़िशा सरकार ने 20 लाख रुपये के इनाम की घोषणा कर रखी थी. हालांकि झारखंड सरकार की फाइलों में वह एक रुपये का भी इनामी नक्सली नहीं है. स्पेशल ब्रांच ने वर्ष 2013 में उसके खिलाफ सात लाख रुपये के इनाम का प्रस्ताव सरकार के पास भेजा था. इस प्रस्ताव पर सरकार के स्तर से कोई निर्णय नहीं लिया गया था.