रांची: अपराध अनुसंधान विभाग (सीआइडी) के अधिकारियों ने जांच में खुलासा किया है कि पुलिस और टीपीसी के उग्रवादियों के संरक्षण में कोयले का अवैध कारोबार होता है. इस धंधे को स्थानीय पत्रकार और सीसीएल के अधिकारी तक संरक्षण देते हैं.
सीआइडी मुख्यालय भेजी गयी जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि कोयला तस्करी में शामिल होने के कारण स्थानीय पत्रकार इससे संबंधित खबर तक नहीं लिखते. हालांकि जांच रिपोर्ट में किसी पत्रकार, पुलिस या सीसीएल अधिकारी के नाम का उल्लेख नहीं है.
ईंट भट्ठों में भेजा जाता है : रिपोर्ट में कहा गया है कि कोयले को अवैध रूप से पिपरवार से डंपर के माध्यम से खलारी और मैक्लुस्कीगंज पहुंचाया जाता है. इन दोनों जगहों पर कोयले को डंप किया जाता है. इसके बाद इसे विभिन्न ईंट भट्ठे और दूसरे स्थानों पर भेजा जाता है.
सबसे अधिक हिस्सा टीपीसी को : सीआइडी के डीएसपी की ओर से तैयार एक दूसरी रिपोर्ट में कहा गया है कि कोयले के अवैध कारोबार में प्रति टन 210 रुपये पुलिस, स्थानीय पत्रकार, टीपीसी के उग्रवादी और दूसरे अधिकारियों के बीच बांटा जाता है. सबसे अधिक हिस्सा टीपीसी के उग्रवादी लेते हैं. उग्रवादी ही अवैध कारोबार के लिए पूरी सेटिंग करते हैं. सीआइडी ने कारोबार में संलिप्त उग्रवादी की पहचान तक कर ली है, हालांकि रिपोर्ट में उसके नाम का उल्लेख नहीं किया गया है.
प्रभात खबर में छपी खबर पर हुई जांच
सीआइडी एडीजी ने प्रभात खबर में कोयला तस्करी से संबंधित रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद इसकी जांच की जिम्मेवारी सीआइडी के एसपी साकेत कुमार सिंह को दी. इसके बाद मामले की जांच सीआइडी के डीएसपी और एक इंस्पेक्टर रैक के पदाधिकारी ने शुरू की. जांच अब पूरी हो चुकी है.
‘‘कोयला तस्करी की जांच हुई है. छुट्टी पर होने की वजह से अभी रिपोर्ट नहीं देख सका हूं. सोमवार को पूरे मामले की जानकारी लूंगा.
एसएन प्रधान, एडीजी, सीआइडी