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झारखंड: 50 हजार विद्यार्थी को छोड़ना होगा जिला

रांची: राज्य के 50 हजार विद्यार्थियों को इंटरमीडिएट की पढ़ाई के लिए अपना जिला छोड़ना होगा. राज्य के 24 जिलों में से 13 जिलों में मैट्रिक पास विद्यार्थियों की तुलना में लगभग 50 हजार सीट कम है. इन जिलों के सभी विद्यार्थी चाह कर भी अपने जिले से आगे की पढ़ाई नहीं कर सकते हैं. […]

रांची: राज्य के 50 हजार विद्यार्थियों को इंटरमीडिएट की पढ़ाई के लिए अपना जिला छोड़ना होगा. राज्य के 24 जिलों में से 13 जिलों में मैट्रिक पास विद्यार्थियों की तुलना में लगभग 50 हजार सीट कम है. इन जिलों के सभी विद्यार्थी चाह कर भी अपने जिले से आगे की पढ़ाई नहीं कर सकते हैं. गुमला, लोहरदगा, पलामू, गढ़वा, प सिंहभूम, सरायकेला, लातेहार, चतरा, कोडरमा, बोकारो, गिरिडीह, देवघर व पाकुड़ जिले में वर्ष 2014 में मैट्रिक पास विद्यार्थियों की संख्या की तुलना में इंटर में कम सीट हैं.

पलामू प्रमंडल के सभी जिलों में मैट्रिक पास विद्यार्थियों की संख्या इंटर में उपलब्ध सीट की तुलना में कम है. प्रमंडल में इंटर में नामांकन के लिए उपलब्ध सीट की तुलना में लगभग 16 हजार अधिक विद्यार्थी मैट्रिक में पास हुए है. मैट्रिक परीक्षा में पास करनेवाले विद्यार्थियों की संख्या लगातार बढ़ रही है, लेकिन उस अनुपात में इंटर में सीट नहीं बढ़ रही है. वर्ष 2013 की तुलना में इस वर्ष मैट्रिक पास करनेवाले परीक्षार्थियों की संख्या में 16,422 की बढ़ोतरी हुई है. खासकर राजधानी के कॉलेजों में नामांकन में विद्यार्थियों को काफी परेशानी होती है.

राजधानी में भी संकट
रांची जिला में अंगीभूत, इंटर व प्लस टू स्कूल मिला कर इंटर की कुल 56 हजार सीटें हैं. इसमें 20 हजार सीट अंगीभूत व अल्पसंख्यक कॉलेजों में हैं. विद्यार्थी इन्हीं कॉलेजों में नामांकन लेना चाहते हैं. इस वर्ष रांची से लगभग 35 हजार परीक्षार्थी मैट्रिक में सफल हुए. इसके अलावा दूसरे जिलों से भी लगभग 20 से 25 हजार विद्यार्थी इंटर में नामांकन के लिए रांची आते हैं. सीबीएसइ व आइसीएसइ बोर्ड के लगभग दस हजार विद्यार्थी भी कॉलेजों में नामांकन लेते हैं. इस कारण राजधानी के कॉलेजों में नामांकन के लिए सबसे अधिक भीड़ होती है.

1.97 लाख बढ़े सफल छात्र
राज्य में मैट्रिक पास करने वाले विद्यार्थियों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. वर्ष 2005 की तुलना में 1.97 लाख अधिक विद्यार्थी मैट्रिक परीक्षा में सफल हुए हैं. एक ओर विद्यार्थी की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है, वहीं दूसरी ओर राज्य गठन के बाद राज्य में इंटर की पढ़ाई के लिए एक भी सरकारी कॉलेज नहीं खुला. इस कारण विद्यार्थी को इंटर में नामांकन में काफी परेशानी होती है.

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