रांची: लोकसभा चुनाव के संभावित परिणाम को लेकर प्रदेश भाजपा के नेता और कार्यकर्ता काफी उत्साहित हैं. पार्टी सभी 14 सीटों पर जीत दर्ज करने का दावा कर रही है. पर प्रदेश भाजपा का असली इम्तिहान विधानसभा चुनाव में होगा. इस चुनाव में पार्टी के साथ मोदी लहर भी नहीं होगी. साथ ही पार्टी के अंदर चल रहा अंतर्कलह भी बाधक बनेगा.
लोकसभा चुनाव में प्रत्याशियों और नेताओं को पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी समेत पार्टी के वरीय नेताओं का पूरा साथ मिला. श्री मोदी ने झारखंड में आठ चुनावी सभाएं की. प्रदेश स्तर के नेता मतभेद भूल कर एक मंच पर जुटे. खूब प्रचार किया. संघ के कार्यकर्ताओं ने भी खुल कर पार्टी को सपोर्ट किया. चुनाव प्रचार से लेकर बूथ तक मतदाताओं को ले जाने की जिम्मेवारी निभायी. प्रदेश भाजपा ने यूपीए सरकार की विफलता को हथियार बनाया. महंगाई, भ्रष्टाचार और बेरोजगारी दूर करने के लिए वोट मांगे. हालांकि विधानसभा चुनाव की स्थिति इससे काफी उलट होगी. कांग्रेस के साथ-साथ क्षेत्रीय दलों से कड़ी चुनौती मिलेगी. राज्य में सबसे अधिक दिन भाजपा गंठबंधन की सरकार रही है. इसलिए सभी दलों के निशाने पर भाजपा ही रहेगी.
30 सीटों से 18 पर पहुंच गयी भाजपा
झारखंड अलग राज्य बनने के बाद यहां दो बार विधानसभा चुनाव हुए. फरवरी 2005 में हुए चुनाव में भाजपा ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 30 सीटों पर जीत दर्ज की थी. पार्टी ने 63 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किये थे. वर्ष 2009 में हुए चुनाव में भाजपा को 12 सीटों का नुकसान हुआ. सिर्फ 18 सीटें ही मिल पायी. हालांकि भाजपा ने झामुमो और आजसू के साथ मिल कर सरकार का गठन किया. झामुमो के अलग होने के बाद भाजपा गंठबंधन की सरकार गिर गयी. फिलहाल झामुमो, कांग्रेस और राजद गंठबंधन की सरकार चल रही है.