रांची: रिम्स के न्यूरो सर्जरी के विभागाध्यक्ष डॉ अनिल कुमार ने बताया कि जन्मेजय को उसके परिजन शुक्रवार को उसकी यूनिट में लेकर आये थे. वह मानसिक रूप से बीमार था. यहां लाये जाने से पहले उसका इलाज बोकारो जेनरल अस्पताल (बीजीएच) में चल रहा था. वहां के डॉक्टरों ने उसे रिनपास रेफर किया था.
डॉ कुमार के मुताबिक किसी वजह से जन्मेजय के सिर में चोट लग गयी थी, जिसका इलाज कराने के लिए उसके परिजन उसे रिम्स के न्यूरो सर्जन विभाग में लेकर आये थे. शुक्रवार सुबह न्यूरो सर्जरी विभाग की टीम ने मरीज को देखा और परामर्श दिया था. इसके बाद उसका सीटी स्कैन कराया गया, जिसकी रिपोर्ट सामान्य थी. इसलिए रिम्स के डॉक्टरों ने परिजनों से कहा कि अब वे अपने मरीज को रिनपास ले जा सकते हैं. उसे रिनपास रेफर करने की तैयारी चल रही थी, लेकिन परिजनों ने आग्रह किया कि अभी मरीज को रिम्स में रहने दिया जाये.
वार्ड के दरवाजे के पास फर्श पर चल रहा था इलाज
न्यूरो सर्जरी वार्ड तीसरी मंजिल पर स्थित है. यहां भर्ती अन्य मरीजों के परिजन ने बताया कि जन्मेजय को वार्ड के दरवाजे के पास ही फर्श पर लिटाया गया था. शाम चार बजे अचानक वह उठा और दरवाजे से निकलकर सामने कॉरिडोर को पार करते हुए नीचे छलांग लगा दी. वह सीधे बेसमेंट में जा गिरा. काफी ऊंचाई से गिरने की वजह से उसका सिर फट गया और आसपास की जमीन खून से लथपथ हो गयी. घटनास्थल पर मरीज के परिजन और अन्य लोगों की भीड़ जमा हो गयी. रिम्स के सुरक्षाकर्मियों की मदद से जन्मेजय को इमरजेंसी में लाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.
जन्मेजय का पोस्टमार्टम नहीं कराना चाहते थे परिजन
जन्मेजय को मृत घोषित करने के बाद उसके शव को पोस्टमार्टम के लिए शीतगृह में रखवा दिया गया. इधर, उसके परिजन बिना पोस्टमार्टम के ही शव को ले जाना चाहते थे, लेकिन डॉक्टर बिना पोस्टमार्टम के शव को देने के लिए तैयार नहीं हुए. गौरतलब है कि इससे पूर्व भी रिम्स के न्यूरो सर्जरी वार्ड में भर्ती मरीज कॉरिडोर से छलांग लगा चुके हैं, जिसमें उनकी मौत हो चुकी है.
मरीज मानसिक रूप से बीमार था. सुबह में मैंने मरीज को देखा था. घाव भरने की दवा देकर उसे रिनपास में ही इलाज कराने को कहा गया था. कई बार मरीज के ब्रेन में चोट के कारण उसका व्यवहार बदल जाता है.
डॉ अनिल कुमार, विभागाध्यक्ष न्यूरो सर्जरी