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सरहुल: गोटा रांची झूइम गेलक

रांची: केंद्रीय सरना पूजा समिति हातमा सरनाटोली के तत्वावधान में बुधवार को प्रकृति पर्व सरहुल का हर्षोल्लास के साथ आयोजन किया गया. जगलाल पाहन ने पूरे विधि-विधानपूर्वक पूजा-अर्चना करायी. पांच मुर्गा-मुर्गियों की बलि दी गयी. सृष्टिकर्ता के लिए सफेदा मुर्गा, ग्राम देवता के लिए रंगुआ, देशावली के लिए माला मुर्गा, पूर्वजों के लिए लुपुंग व […]

रांची: केंद्रीय सरना पूजा समिति हातमा सरनाटोली के तत्वावधान में बुधवार को प्रकृति पर्व सरहुल का हर्षोल्लास के साथ आयोजन किया गया. जगलाल पाहन ने पूरे विधि-विधानपूर्वक पूजा-अर्चना करायी. पांच मुर्गा-मुर्गियों की बलि दी गयी.

सृष्टिकर्ता के लिए सफेदा मुर्गा, ग्राम देवता के लिए रंगुआ, देशावली के लिए माला मुर्गा, पूर्वजों के लिए लुपुंग व बुरी आत्मा की शांति के लिए काली मुर्गी की बलि दी गयी. पूजा-अर्चना के बाद प्रसाद का वितरण किया गया. लगभग तीन बजे रांची लोकसभा क्षेत्र के टीएमसी प्रत्याशी बंधु तिर्की सरनाटोली सरना स्थल पहुंचे. लोगों ने उनका अबीर-गुलाल व सरई फूल से स्वागत किया. दोपहर 3.30 बजे सरहुल शोभायात्रा केंद्रीय सरना स्थल सिरोमटोली के लिए रवाना हुई.

जगलाल पहान के साथ बंधु तिर्की शोभायात्रा का नेतृत्व करते हुए आगे-आगे चल रहे थे. ढोल-मांदर व नगाड़ा की थाप पर महिला, पुरुष व बच्चे नृत्य कर रहे थे. लोग एक-दूसरे को अबीर-गुलाल व सखुआ फूल लगा कर सरहुल पर्व की बधाई दे रहे थे. शोभायात्रा रांची कॉलेज, रेडियम रोड होते हुए कचहरी चौक पहुंची. यहां विभिन्न सरना पूजा समितियों की ओर से निकाली गयी शोभायात्रा का मिलन हुआ. इसके बाद श्रद्धालु ढोल-मांदर की थाप पर झूमते-नृत्य करते सिरोमटोली केद्रीय सरना स्थल की ओर बढ़ते गये. इससे पूर्व जगलाल पहान ग्रामीणों के साथ सुबह सरना स्थल पहुंचे. वहां पानी से भर कर रखे गये दोनों घड़े का अवलोकन किया तथा सामान्य बारिश होने की घोषणा की.

उन्होंने लोगों की सुख-समृद्धि, समाज व राज्य की खुशहाली की कामना की. ग्रामीणों ने जगलाल पहान को नहला कर तथा कंधे पर बैठा कर घर लाया. वहां उनके पैर धोये गये. इसके बाद उन्होंने घर में प्रवेश किया. सरहुल महोत्सव के सफल आयोजन में शिवलाल पहान, रोशन पहान, निर्मल पहान, सुरेश, भोला, आनंद, लक्ष्मी नारायण मुंडा, सुनील टोप्पो, मनोज मुंडा, कृष्णा आदि ने सक्रिय भूमिका निभायी.

झलकियां

शोभायात्रा में इस बार आधुनिक नागपुरी गीतों का ज्यादा प्रयोग हुआ. मांदर, नगाड़े व ढोल जैसे पारंपरिक वाद्ययंत्रों का प्रयोग बहुत कम समूहों के द्वारा हुआ.

सरना कोड की मांग, धुर्वा में पुलिस लाठीचार्ज की निंदा जैसे मुद्दे की झलक भी शोभायात्रा में दिखी.

विभिन्न समूहों के द्वारा रस्सियों के द्वारा घेरा बना कर नृत्य कर रही महिलाओं की सुरक्षा की जा रही थी.

चुनाव की वजह से ज्यादातर नेता इस बार सरहुल की शोभायात्रा में नहीं दिखे.

अलबर्ट एक्का चौक पर तीन मंच थे, जिससे शोभायात्रा का स्वागत किया जा रहा था.

शहर के विभिन्न मार्गो पर विभिन्न संगठनों के द्वारा शिविर लगाया गया था. चना-पानी के द्वारा लोगों का स्वागत किया जा रहा था.

सड़क के किनारे खड़े लोग मोबाइल से शोभायात्रा की तसवीरें ले रहे थे.

शोभायात्रा के दौरान लोगों ने एक-दूसरे को गुलाल लगाकर एवं सखुए के फूल खोंस कर पर्व की बधाई दी.

पहली बार शोभायात्रा में घोड़ागाड़ी भी दिखाई दी. इसमें बैठे पाहन लोगों के आकर्षण का केंद्र थे.

कुछ समितियों के द्वारा शोभायात्रा में डीजेलाइट का भी प्रयोग किया गया.

फूलखोंसी आज

तीन अप्रैल को फूलखोंसी होगी. पाहन घर-घर जायेंगे. घर के स्वामी द्वारा पाहन को पानी से नहलाया जायेगा, पैर धोयेंगे तथा तेल लगा कर उनका स्वागत करेंगे. इसके बाद पाहन घर में सरई फूल (सखुआ का फूल) खोसेंगे तथा सरहुल की शुभकामना देंगे और सुख-शांति की कामना करेंगे. यह क्रम लगातार जारी रहेगा.

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