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मामला मवेशी लदे वाहन के चालक को गोली मारने का, धनबाद पुलिस ने 24 घंटे के बाद लिया था नफीस के हाथ का धोवन

रांची: धनबाद के जीटी रोड पर 13 जून 2016 की रात ट्रक के खलासी नफीस द्वारा गोली चलाये जाने के मामले में नया तथ्य सामने आया. प्रभात खबर को मिली जानकारी के मुताबिक नफीस के हाथ का धोवन पुलिस ने कथित फायरिंग के 24 घंटे बीतने के बाद लिया था. विशेषज्ञ के मुताबिक इतने वक्त […]

रांची: धनबाद के जीटी रोड पर 13 जून 2016 की रात ट्रक के खलासी नफीस द्वारा गोली चलाये जाने के मामले में नया तथ्य सामने आया. प्रभात खबर को मिली जानकारी के मुताबिक नफीस के हाथ का धोवन पुलिस ने कथित फायरिंग के 24 घंटे बीतने के बाद लिया था. विशेषज्ञ के मुताबिक इतने वक्त बाद लिये गये धोवन में बारूद का कण नहीं मिलना चाहिए था, क्योंकि 24 घंटे के दौरान पुलिस पर फायरिंग करने के आरोपी नफीस ने नित्य-क्रिया किया होगा. शौच गया होगा और खाना भी खाया होगा.

इस स्थिति में उसके हाथ के धोवन में कुछ भी नहीं मिलेगा. विशेषज्ञों के मुताबिक भी धोवन की प्रक्रिया अधिकतम दो-तीन घंटे के भीतर पूरी की जानी चाहिए.


जानकारी के मुताबिक मजिस्ट्रेट की उपस्थिति में लिये गये धोवन की वीडियोग्राफी भी नहीं करायी गयी. नफीस ने हाथ का धोवन लिये जाने से इनकार किया है और इस मामले में पुलिस ने जिसे गवाह बनाया था, वह मुकर गया है. गवाह के मुताबिक उसके सामने धोवन नहीं लिया गया था, बल्कि सादे कागज पर हस्ताक्षर कराये गये थे. यहां उल्लेखनीय है कि पुलिस ने जो धोवन एफएसएल में भेजा था, उसकी रिपोर्ट में यह बात है कि धोवन में मिला बारूद का कण, जिस हथियार से फायरिंग की गयी, उसमें मिले कण से मिलता है. इस रिपोर्ट के बाद यह आशंका व्यक्त की जाने लगी है कि पुलिस ने घटना के 24 घंटे के बाद फायरिंग कर किसी और के हाथ का धोवन जब्त किया था.
क्या है मामला : 13 जून 2015 को धनबाद की पुलिस तोपचांची थाना क्षेत्र के जीटी रोड पर वाहन चेकिंग कर रही थी. इस दौरान मांस लदा एक ट्रक वहां से निकला. पुलिस ने उसका पीछा किया. राजगंज थाना क्षेत्र में ट्रक का चालक मो नाजीर और खलासी नफीस भागने लगा. इस दौरान नफीस ने पुलिस पर फायरिंग की. बाद में पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया और हथियार बरामद किया. दूसरी तरफ पुलिस की गोली मो नाजीर को लगी थी. इसी घटना के तीन दिन बाद तोपचांची थाना के प्रभारी इंस्पेक्टर उमेश कच्छप ने थाना परिसर में ही आत्महत्या कर ली थी. उन्हें आत्महत्या की स्थिति में पहुंचाने का आरोप धनबाद पुलिस के अफसरों पर लगा था.
क्या होता है धोवन
धोवन एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है, जिसमें केमिकल लगी रूई से फायरिंग करनेवाले व्यक्ति का हाथ पोछा जाता है. फिर उस रूई और जिस हथियार से फायरिंग होती है, उसे जांच के लिए एफएसएल को भेजा जाता है. एफएसएल जांच में यह स्पष्ट होता है कि संबंधित व्यक्ति ने फायरिंग की है या नहीं.
आत्महत्या से पहले एक अफसर से हुई थी 11 मिनट तक बात
रांची. जीटी रोड पर मवेशी चालक को गोली मारने की घटना के बाद तोपचांची के इंस्पेक्टर उमेश कच्छप तनाव में थे. जिस रात उन्होंने आत्महत्या की थी, उस रात उन्होंने अपनी पत्नी से बात की थी. बातचीत उनके मोबाइल में रिकॉर्ड हो गया था, जिसे पुलिस ने जांच के लिए भेजा है. रिकॉर्डिंग में उमेश कच्छप अपनी पत्नी से कह रहे थे कि अफसरों ने उन्हें फंसा दिया है. वह तनाव में हैं. दिन भर कुछ खाया नहीं है. इस बीच सूत्रों ने बताया कि पत्नी से बात करने से कुछ देर पहले पुलिस के ही एक वरिष्ठ अधिकारी ने उमेश कच्छप को कॉल किया था. अधिकारी ने करीब 11 मिनट बात की थी. जिसके बाद उन्होंने अपने निजी नंबर से पत्नी को कॉल किया था.
फायरिंग की घटना के बाद हाथ धोवन की प्रक्रिया तुरंत पूरी की जाती है. दो-तीन घंटे के बाद हाथ में कुछ भी मिलने की सं‌भावना नहीं रहती है. फायरिंग के वक्त हाथ में लगा बारूद का कण कई कारणों से हाथ से अलग हो सकता है. हाथ धोने या हाथ को कपड़े से रगड़ने के कारण भी.
एके वापुली निदेशक एफएसएल, रांची

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