Gujarat Election 2022: भाजपा के गढ़ गुजरात में चुनाव की तैयारी शुरू हो चुकी है. नेताओं का प्रदेश में आना जाना जारी है. सूबे में इस बार कांग्रेस पर सबका ध्यान होगा ऐसा इसलिए क्योंकि साल 2017 के विधानसभा चुनाव में कई ऐसे नेता थे जो अब उसके साथ नहीं हैं. सबसे बड़ी बात तो ये है कि अहमद पटेल का साथ भी कांग्रेस को नहीं मिलेगा क्योंकि उनका निधन हो चुका है. पिछले गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा को कड़ी टक्कर दी थी, लेकिन विधानसभा चुनाव में कांटेदार मुकाबला देने के बाद भी कांग्रेस सत्ता हासिल नहीं कर पायी थी. इस बार आम आदमी पार्टी के चुनावी मैंदान पर उतरने के बाद मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है.
अहमद पटेल की बेटी नाराज क्यों
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल को पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी का करीबी बताया जाता था. उनके निधन से कांग्रेस को गुजरात में बड़ी क्षति हुई है. जहां एक ओर इस बार के विधानसभा चुनाव में अहमद पटेल नहीं नजर आएंगे. वहीं दिवंगत नेता की बेटी मुमताज पटेल सिद्दीकी कांग्रेस से नाराज चल रहीं हैं. पिछले दिनों उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी में कार्यकर्ताओं की सुनने वाला कोई नहीं है. अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस मुमताज पटेल ने एक इंटरव्यू दिया जिसमें उन्होंने कहा कि उनके पिता अहमद पटेल की मौत के बाद मैडमजी यानी सोनिया गांधी ने कुछ कांग्रेसी नेताओं से हमारी मदद करने को कहा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. मुझे पता चला है कि बहुत से लोग कांग्रेस का दामन छोड़कर जा रहे हैं. मुमताज ने कहा कि कांग्रेस छोड़ रहे कार्यकर्ताओं ने अपने गॉडफादर (अहमद पटेल) को खो दिया है. कई नेता हैं लेकिन कार्यकर्ताओं को नहीं पता कि किससे संपर्क करने की जरूरत है.
गुजरात विधानसभा चुनाव 2017 का हाल
यदि आपको याद हो तो साल 2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने पहले की तुलना में अच्छा प्रदर्शन किया था जिससे पार्टी को बल मिला था. गुजरात की 182 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस को 77 जबकि भारतीय जनता पार्टी यानी भाजपा को 99 सीटों पर जीत मिली थी. हालांकि बाद के वर्षों में कांग्रेस के कई विधायकों ने भाजपा का दामन थाम लिया था.
पिछले चुनाव में ये नेता भी थे साथ
कांग्रेस को विधानसभा चुनाव 2017 में हार्दिक पटेल, जिग्नेश मेवानी और अल्पेश ठाकोर का साथ मिला था. लेकिन इन तीन नेताओं में से दो ने पार्टी का साथ छोड़ दिया है. जहां हार्दिक पटेल और अल्पेश ठाकोर ने भाजपा का दामन थाम लिया है. वहीं जिग्नेश मेवानी अभी भी कांग्रेस के साथ हैं.