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विशेषज्ञों की राय : अखबार भरोसेमंद, इससे कोरोना वायरस नहीं फैलता

यूएस सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन के अनुसार बाहरी सतहों पर कोरोना वायरस बहुत समय तक जिंदा नहीं रहता है. सेंटर फॉर डिजीज फॉर प्रीवेंशन (सीडीसी) ने भी स्पष्ट कहा है कि अखबार व खाद्य पदार्थ के पैकेट पर कोरोना वायरस के होने की संभावना नहीं के बराबर होती है.

यूएस सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन के अनुसार बाहरी सतहों पर कोरोना वायरस बहुत समय तक जिंदा नहीं रहता है. सेंटर फॉर डिजीज फॉर प्रीवेंशन (सीडीसी) ने भी स्पष्ट कहा है कि अखबार व खाद्य पदार्थ के पैकेट पर कोरोना वायरस के होने की संभावना नहीं के बराबर होती है. वायरोलॉजिस्‍ट व माइक्रोबायोलॉजिस्ट भी मान रहे हैं कि जब आप अखबार छूते हैं, तो संक्रमण फैलने की आशंका तकरीबन नहीं के बराबर होती है. खाद्य पदार्थ, दूध का पैकेट, फल, सब्जी जिस तरह सुरक्षित हैं, उसी तरह अखबार भी सुरक्षित है. डब्लूएचओ की गाइड लाइन का पालन करते हुए हाथों की सफाई का पूरा ख्याल ही बचाव है. रिम्स के पैथोलॉजी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष व पद्मश्री डॉ एसपी मुखर्जी सहित राजधानी के कई डॉक्टरों ने अपनी राय दी है.

कोरोना से घबराएं नहीं. इस वायरस को लेकर अभी पूरे विश्व में बहस चल रही है. यह अफवाहों का दौर है. ऐसे में हमें पुख्ता प्रमाणों पर बात करनी होगी. वरना लोग घबरा जायेंगे. ऐसी कोई सूचना नहीं है कि अखबार से कोई संक्रमित हुआ है. हमें डब्लूएचओ की गाइड लाइन का पालन करना होगा. सफाई बरतनी होगी. भीड़ वाली जगहों से बचना है. साथ ही खुद की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़नी होगी.- डॉ एसपी मुखर्जी

रिम्स पैथोलॉजी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष

झारखंड में अब तक एक भी कोरोना पॉजिटिव नहीं मिला है, इसलिए चिंता की बात नहीं है. खाने वाले पदार्थ जैसे: आटा, चावल, दूध के पैकेट, दाल, सब्जी आदि घर आते हैं, तो अखबार क्यों नहीं आ सकता है. हां! जिन चीजों का हम उपयोग कर रहे हैं, उसमें सजगता व सतर्कता बरतें. अखबार व टीबी के जरिये कोरोना की प्रामाणिक सूचना आप तक पहुंचती है. अगर यही नहीं होंगे, तो जानकारी का अभाव हो जायेगा.- डाॅ मनोज कुमार,

विभागाध्यक्ष, माइक्रोबायोलॉजी, रिम्स

यह भ्रामक खबरों और जानकारियों का दौर है. कुछ लोग अधकचरा ज्ञान जुटा कर यूट्यूब और सोशल मीडिया पर वीडियो अपलोड कर रहे हैं. अखबार एवं समाचार चैनल ही एक मात्र ऐसा माध्यम हैं, जिन पर भरोसा किया जा सकता है. अब तक कोई ऐसा प्रमाण नहीं मिला है, जिससे यह साबित हो सके कि अखबार असुरक्षित हैं. ऐसे में सही सूचनाओं को आम जनता तक पहुंचने से रोकना भी गलत होगा.

दिनेश कुमार सिंह, निदेशक, रिम्स

कोरोना वायरस से बचाव के लिए सतर्कता ज्यादा जरूरी है. खाद्य पदार्थ भी पैकेट में आता है, जो कई जगह से होकर गुजरता हुआ आता है. सीडीसी ने स्पष्ट किया है कि अखबार व अन्य पैकेट से कोरोना वायरस के पहुंचने का बहुत ही कम संभावना है. सफाई हर स्तर पर जरूरी है. सरकार अखबार के माध्यम से कई अहम सूचनाएं हमारे पास पहुंचाती है, जिससे रोकना गलत है. अफवाह पर भरोसा न करें.

– डॉ पूजा सहाय, माइक्राेबायोलाॅजिस्ट

अखबार तो प्रिटिंग प्रेस से होते हुए घराें तक पहुंचता है, इसलिए वायरस के घर तक आने की संभावना नहीं के बराबर है. सीडीसी ने भी स्पष्ट किया है कि अखबार व पैकेट में मिलनेवाले खाद्य पदार्थों में कोरोना जैसे वायरस के पहुंचने की संभावना नहीं के बराबर है. हम लगातार यही समझाते हैं कि हाथों की सफाई इसमें अहम है. जितनी बार हो सके हाथों की सफाई करें व नाक-कान व मुंह को छूने से बचें. – डॉ देवेश कुमार

कोरोना हेल्प डेस्क के प्रभारी, पीएसएम विभाग, रिम्स

प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री का संदेश और स्थानीय खबरें हमें अखबारों से मिलती हैं. सोशल मीडिया की जानकारी आधी-अधूरी रहती है. सेंटर फॉर डिजीज फॉर प्रीवेंसन ने भी स्पष्ट किया है कि अखबार व अन्य खाद्य पदार्थ में वायरस के नहीं आने की संभावना है. अपने एम्यून सिस्टम को बेहतर करना है. डब्लूएच के गाइड लाइन का पालन करना है. साफ-सफाई के तहत हाथों की सफाई समय-समय पर करना है.

– डॉ प्रदीप सिंह, राज्य सचिव, आइएमए

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