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पातेपुर में बंद पड़े हैं आधा दर्जन से अधिक राजकीय नलकूप

पातेपुर : विभागीय उदासीनता के कारण पातेपुर प्रखंड में आधा दर्जन से अधिक सरकारी नल कूप खराब होकर बंद पड़े हैं. लाखों की लागत से बने यह नलकूप किसानों के लिए हाथी का दांत बन कर रह गये हैं. पातेपुर के लोहस, बालिगांव, बहुआरा मंडइडीह, बस्ती खोआजदूर का सरकारी नलकूप वर्षों से बंद पड़ा है. […]

पातेपुर : विभागीय उदासीनता के कारण पातेपुर प्रखंड में आधा दर्जन से अधिक सरकारी नल कूप खराब होकर बंद पड़े हैं. लाखों की लागत से बने यह नलकूप किसानों के लिए हाथी का दांत बन कर रह गये हैं.

पातेपुर के लोहस, बालिगांव, बहुआरा मंडइडीह, बस्ती खोआजदूर का सरकारी नलकूप वर्षों से बंद पड़ा है. सरकारी नलकूप बंद होने के कारण किसानों को फसल का पटवन करने में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. बड़े किसान डीजल पंप सेट से किसी प्रकार पटवन कर लेते हैं, परंतु छोटे एवं मध्य वर्ग के किसानों को खेत पटवन करने के लिए सौ से डेढ़ सौ रुपये प्रति घंटा डीजल पंप सेट से फसलों का पटवन करना पड़ता है,

जो किसान डीजल पंप सेट से पटवन नहीं कर पाते, उनकी फसल सूख जाती है, जिससे किसानों की स्थिति दयनीय हो जाती है. गौरतलब है कि 32 पंचायतों वाले पातेपुर प्रखंड मात्र कृषि पर ही आधारित है. यहां की मुख्य फसल गेहूं, धान, मक्का, आलू, सरसों आदि है. क्षेत्र के किसान नारायण पंडित, दिनेश सिंह, राजन चौधरी, पवन कुमार चौधरी,

विश्वनाथ चौधरी, कपिलदेव राय, जवाहर चौधरी, अरुण कुमार, आलोक कुमार, नमन कुमार आदि बताते हैं कि लाखों की लागत से बने सरकारी नलकूप अगर चालू होते, तो किसनों को पटवन करने में काफी सहूलियत होती. डीजल पंप सेट से सिंचाई कर पटवन कर फसल उपजाना किसानों के लिए घाटे का सौदा साबित हो रहा है.

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