हाजीपुर : शारदीय नवरात्र कलश स्थापना के साथ शुरू हो गया. वैदिक मंत्रों के बीच कलश स्थापना व पूजा-अर्चना की गयी. इसी के साथ श्रद्धालु नौ दिनों तक देवी के नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना व अाराधना करेंगे.
इस दौरान देवी और वैदिक मंत्रों से पूरा नगर गूंज उठा. मठ-मंदिरों, पूजा पंडालों एवं आवासीय परिसरों श्रद्धा और भक्ति का वातावरण बना रहा. श्रद्धालुओं ने कलश स्थापना के बाद दुर्गा सप्तशती का पाठ आरंभ किया.
देवी के प्रथम स्वरूप की पूजा अर्चना : शारदीय नवरात्र के प्रथम दिन श्रद्धालुओं देवी के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री का ध्यान व पूजा, अर्चना व अाराधना की. स्टेशन चौक स्थित नव शक्ति दुर्गा स्थान के पुजारी अशोक बाबा ने बताया कि यह देवी पर्वत राज हिमालय की पुत्री हैं, जिनका श्वेत व दिव्य स्वरूप है.
वे वृषभ कर आरूढ़ होकर त्रिशुल व कमल धारण कर पधारती हैं. देवी का स्वरूप शांति प्रदान करने एवं प्रेरित करने वाला है. इस स्वरूप का ध्यान करने से सरलता, सादगी और प्रेम जैसी भावनाएं जागृत होती हैं.
नारायणी नदी के घाटों पर उमड़ी भीड़ : कलश स्थापना व जल के लिए ऐतिहासिक नारायणी नदी के विभिन्न घाटों पर श्रद्धालुओं भीड़ अहले सुबह से ही जुटनी शुरू हो गयी थी.
स्न्नान ध्यान, पूजा-अर्चना के बाद जल लेकरश्रद्धालुओं ने प्रस्थान किया और पूजा स्थल पर पहुंच कर कलश में जल भरा और पूजा-अर्चना की. कोनहारा घाट, सीढ़ी घाट, पुल घाट, चित्रगुप्त घाट, चेचर घाट आदि पर देर तक चहल-पहल बनी रही.
आचार्यों एवं पूजारियों ने करायी कलश स्थापना : मठ-मंदिरों, पूजा पंडालों एवं अवासीय परिसरों में पूर्व निर्धारित समय पर पुजारियों एवं आचार्यों ने कलश स्थापना करायी. स्टेशन चौक स्थित नवशक्ति दुर्गा स्थान पर अशोक बाबा,
माई स्थान एवं अवासीय परिसरों में पंडित प्रमोद झा, आचार्य सुरेश चंद्र शास्त्री, आचार्य विशेश्वर झा सहित अनेक पुजारियों व आचार्यों ने वैदिक मंत्रों के बीच कलश स्थापना करायी.
आचार्य सुरेश चंद्र शास्त्री ने बताया कि वर्ष में चार नवरात्रों में शारदीय नवरात्र का अधिक महत्व है. भागवान श्री राम ने लंका विजय के पहले शक्ति पूजा की थी. नगर के सभी देवी स्थानों व पूजा पंडालों में कलश स्थापना की गयी.
गायत्री साधकों ने किया कलश पूजन : गायत्री शक्ति पीठ और गोशाला परिसर में गायत्री साधकों ने सामूहिक कलश स्थापना व पूजा-अर्चना की. गायत्री शक्ति पीठ, दिग्धी में कर्मकांडी आचार्य नवल दत झा ने साधकों एवं अन्य श्रद्धालुओं को संप्रवृति संवर्द्धन एवं दुष्प्रवृत्ति उन्मूलन के संकल्प के साथ अनुष्ठान के महत्व एवं विधि-विधान को समझाया.
पीठ ट्रस्टी अनिरुद्ध शुक्ला की देखरेख में संपन्न कार्यक्रम में प्रभात कुमार, अमरनाथ प्रसाद, राजेश पांडेय, चंदन शुक्ला, राजीव रंजन प्रसाद आदि शामिल हुए.
गोशाला परिसर में गायत्री परिवार के हरिनाथ गांधी ने सामूहिक कलश स्थापना करायी, जिसमें गायत्री साधक शशिभूषण प्रसाद, श्याम बिहारी सिंह, उषा चौधरी, शीला चौधरी, निर्मला देवी सहित अनेक साधक शामिल हुए.