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इंतजार हुआ खत्म, आज से शुरू होगा विद्युत शवदाह गृह

हाजीपुर : लंबे इंतजार के बाद विद्युत शवदाह गृह 14 फरवरी को चालू होने जा रहा है. इसका उद्घाटन नगर पर्षद के सभापति हैदर अली करेंगे. लगभग डेढ़ दशक से बंद पड़े कोनहारा घाट स्थित शवदाह गृह के चालू होने से जिले के उन तमाम लोगों को भारी राहत मिलेगी. जिन्हें भीषण गरमी, बरसात या […]

हाजीपुर : लंबे इंतजार के बाद विद्युत शवदाह गृह 14 फरवरी को चालू होने जा रहा है. इसका उद्घाटन नगर पर्षद के सभापति हैदर अली करेंगे. लगभग डेढ़ दशक से बंद पड़े कोनहारा घाट स्थित शवदाह गृह के चालू होने से जिले के उन तमाम लोगों को भारी राहत मिलेगी. जिन्हें भीषण गरमी, बरसात या कड़ाके की ठंड में दाह-संस्कार में दुश्वारियों को ङोलना पड़ता था.
बताते चलें कि जिले के एक मात्र विद्युत शवदाह गृह को चालू कराने के लिए चलाये गये अभियान का नतीजा है कि राज्य सरकार को इसका जीर्णोद्धार कराने को बाध्य होना पड़ा. सरकार के नगर विकास एवं आवास विभाग ने इसके लिए लगभग 97 लाख रुपये की राशि आवंटित की और बिहार राज्य जल पर्षद ने 2014 के नवंबर में जीर्णोद्धार कार्य को पूरा किया, तब से इसके चालू होने का लोगों को इंतजार था.
रंग लायी प्रभात खबर की पहल : लावारिस लाशों की नदी में फेंक दिये जाने से बढ़ते प्रदूषण तथा दाह-संस्कार में आमलोगों को होनेवाली कठिनाइयों के मद्देनजर प्रभात खबर ने प्रमुखता से इस मामले को उठाया था. अखबार में कई बार खबर छपने के बाद नागरिक समाज भी इस के लिए मुखर हुआ. एक सामाजिक कार्यकर्ता ने पटना हाइकोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया. हाइकोर्ट ने मामले में संज्ञान लिया और इसे चालू कराने का दबाव बना.
अब होगी समय और पैसे की बचत : विद्युत शवदाह गृह के चालू होने से एक साथ कई तरह के लाभ होंगे. पारंपरिक तरीके से दाह-संस्कार करने पर जहां महंगी लकड़ी और अन्य मदों में चार से पांच हजार रुपये खर्च होते थे, वहीं अब महज कुछ सौ रुपये में शव जलाया जा सकेगा. लकड़ी की चिता पर दाह-संस्कार करने में तीन से चार घंटे का समय लग जाता है, जबकि विद्युत शवदाह गृह में आधे घंटे से 45 मिनट में यह कार्य संपन्न हो जायेगा. इसके अलावा घाट और नदी का प्रदूषण भी काफी हद तक कम होगा.
एक नजर तथ्यों पर
23 जून 1993 को यह चालू हुआ.
बिहार राज्य जल पर्षद ने शव दाह गृह को हाजीपुर नगर पर्षद तब नगर पालिका को सौंपा था.
इसी तारीख को नगर पर्षद ने एक एकरारनामे के तहत शवदाह गृह का संचालन पीड़ित पोषित कल्याण संस्था के हवाले कर दिया.
दिसंबर 2000 तक यह चालू रहा
संस्था की ओर से बिजली बिल के बकाये का भुगतान नहीं किये जाने पर कनेक्शन विभाग ने काट दिया.8 लाख 8 हजार रुपये बकाये बिजली बिल का भुगतान नगर विकास एवं आवास विभाग को करना पड़ा.
शवदाह गृह के संचालन के दौरान संस्था की ओर से मेंटेनेंस कार्य में एक भी पैसा खर्च नहीं किया गया. इससे इसके हीटिंग एलीमेंट आदि खराब हो गये.
बिजली बिल के भुगतान के बाद भी इन खराबियों के चलते शवदाह गृह चालू नहीं हो सका.19 जनवरी, 2006 को नगर थाने में चोरी की प्राथमिकी दर्ज हुई. इसमें शवदाह गृह से मोटर, ट्रांसफॉर्मर, प्लेट, पाइप एवं अन्य सामान की चोरी हो जाने की बात कही गयी.
2014 में नगर पर्षद को मिला 97 लाख 33 हजार रुपये का आवंटन. नगर पर्षद ने इस राशि को जल पर्षद को सुपुर्द किया.
जल पर्षद ने शवदाह गृह का जीर्णोद्धार कार्य संपन्न कर इसे फिर से चालू करने के लिए नगर पर्षद को सौंप दिया गया है.

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