सुपौल : प्रमुख राजनीतिक दलों द्वारा पार्टी प्रत्याशी के नामों की घोषणा के साथ ही सुपौल लोकसभा क्षेत्र में सियासी सरगरमी तेज हो गयी है. प्रत्याशी के नाम उजागर होते ही विशेष कर पार्टी कार्यकर्ताओं व समर्थकों के बीच हलचल बढ़ गयी है.
अपेक्षित उम्मीदवार पाये कार्यकर्ताओं में जहां खुशी का माहौल है, वहीं मनमाफिक प्रत्याशी नहीं मिलने से कई खेमों में उदासी छायी हुई है. प्रत्याशियों के क्षेत्र में आगमन व उनके अभिनंदन का दौर भी प्रारंभ हो गया है. लेकिन इन सब के बीच आम मतदाता अभी बिल्कुल शांत दिख रहे हैं, एकदम निरपेक्ष. यह दीगर बात है कि आधुनिक दौर के इन मतदाताओं के मन में क्षेत्रीय समस्याएं चुनावी मुद्दा बन कर अभी से कुलबुलाने लगी है और मतदाता इन मुद्दों के तराजू पर उम्मीदवारों को तौलने के भरसक प्रयास में भी जुट गये हैं. क्षेत्र में मतदान 24 अप्रैल को है, लिहाजा फिलवक्त मतदाताओं के नब्ज टटोलने की चर्चा भी बेमानी होगी.
छह विस क्षेत्र हैं शामिल
सुपौल लोकसभा क्षेत्र में कुल छह विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं. इसमें सुपौल जिले के सुपौल, पिपरा, त्रिवेणीगंज, छातापुर व निर्मली समेत मधेपुरा जिले का सिंहेश्वर विधानसभा क्षेत्र शामिल है. पूर्व में यह जिला सहरसा लोकसभा क्षेत्र के अधीन था. लेकिन नये परिसीमन के बाद सुपौल लोकसभा क्षेत्र वर्ष 2009 में पहली बार वजूद में आया. जबकि सहरसा को मधेपुरा लोकसभा क्षेत्र में शामिल कर दिया गया.
15 लाख हैं मतदाता
सुपौल लोकसभा क्षेत्र की कुल आबादी 29 लाख से अधिक है. जबकि कुल मतदाताओं की संख्या 14 लाख 81 हजार 889 है. इनमें सात लाख 72 हजार 75 पुरुष व सात लाख नौ हजार 786 महिला मतदाता शामिल हैं.
इन सब के अलावा अन्य श्रेणी के 28 मतदाता भी हैं. जो 24 अप्रैल को क्षेत्र में स्थापित कुल 1338 मतदान केंद्रों पर अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे.
बीते चुनाव में जदयू ने मारी थी बाजी. बीते लोकसभा चुनाव वर्ष 2009 में जदयू के विश्वमोहन कुमार ने तीन लाख 13 हजार 677 मत प्राप्त कर जीत हासिल की थी. जबकि कांग्रेस की रंजीत रंजन एक लाख 47 हजार 602 मत प्राप्त कर दूसरे स्थान पर रही थी. वहीं लोजपा के सूर्य नारायण यादव ने कुल 93 हजार 94 मत प्राप्त किये थे. चुनाव में कुल 16 उम्मीदवारों ने अपना भाग्य आजमाया था. यह अलग बात है कि इनमें से 11 प्रत्याशी दो प्रतिशत मत भी हासिल नहीं कर पाये थे.