* न्यूनतम मजदूरी 168 रुपये दैनिक से बढ़ा कर 200 रुपये करने की मांग
निर्मली (सुपौल) : अखिल भारतीय खेत मजदूर व मनरेगा मजदूर महासंघ के आह्वान पर राज्यव्यापी हड़ताल व चक्का जाम के तहतमजदूरों ने शनिवार को सवाड़ी गाड़ी संख्या 52525 को तीन घंटों तक रोक कर रखा. इस दौरान आक्रोशित मजदूरों ने सरकार विरोधी नारे लगाये.
इस मौके पर मजदूर नेताओं ने कहा कि मनरेगा मजदूरों की मजदूरी में कटौती के निर्णय को वापस लेना होगा. उन्होंने न्यूनतम मजदूरी 168 रुपये से बढ़ा कर 200 रुपये देने की मांग की. सरकार पर मजदूरों के साथ खिलवाड़ करने का आरोप लगाया गया व इसे सहन नहीं करने की बात कही गयी.
मरौना प्रखंड मजदूर संघ के सचिव छुतहरु मंडल ने कहा कि सरकार ने मनरेगा मजदूरी में कटौती कर मजदूरों के साथ अन्याय किया है. जब केंद्र से इस मद में 122 रुपये प्रति मजदूर के हिसाब से दिया जाता था, तब 22 रुपये राज्यांश मिला कर राज्य सरकार 144 रुपये मजदूरी का भुगतान करती थी. लेकिन केंद्र द्वारा राशि बढ़ा कर 138 रुपये किये जाने के बाद अब सरकार अपना हिस्सा नहीं दे रही है. सूबे में सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम मजदूरी 138 रुपये है.
राज्य सरकार इसे देने के लिए तैयार नहीं है. जबकि न्यूनतम मजदूरी लागू करने की जिम्मेवारी राज्य सरकार की है. मजदूरों द्वारा ट्रेन रोके जाने की सूचना पर पहुंचे एसडीओ अरुण कुमार सिंह, सीओ नरेश कुमार झा, थानाध्यक्ष श्याम सुंदर सिंह सदल बल पहुंचे, जिन्होंने मजदूरों को समझा कर रेल परिचालन बहाल कराया.
* मनरेगा मजदूर ने किया एसएच -76 जाम
त्रिवेणीगंज : राज्यव्यापी मनरेगा मजदूर हड़ताल और चक्का जाम के समर्थन में शनिवार को खेमस के नेता जय नारायण यादव के नेतृत्व में कार्यकर्ता एवं मनरेगा मजदूर महासंघ के कार्य कर्ताओं के द्वारा प्रखंड कार्यालय परिसर के समीप स्टेट हाईवे 76 को जाम कर प्रदर्शन किया.जाम के कारण सड़क पर छोटी बड़ी वाहनों की लंबी कतार लग रही. जाम स्थल पर खेमस नेता जय नारायण यादव ने अपने संबोधन में कहा कि एक करोड़ से ज्यादा मनरेगा मजदूरों के साथ नीतीश मोदी सरकार हकमारी कर रही है.
मनरेगा मजदूरों का बहुतायात हिस्सा दलित, महादलित, अति पिछड़े समुदाय से आता है. तथा इसमें महिलाओं की बड़ी तादाद है. इन्हीं गरीबों के वोट से नीतीश मोदी की सरकार दुबारा सत्ता में आई है. लेकिन भाजपा जदयू की सरकार बड़े लोगों की सेवा में इस कदर व्यस्त है कि गरीबों की चिंता ही नहीं रह गयी. पूरे देश में सबसे ज्यादा जॉब कार्ड धारी होने के बावजूद बिहार में सबसे कम पैसे खर्च हो रहे है.
अच्छेलाल मेहता ने कहा कि भाकपा माले और खेमस के नेतृत्व में चले संघर्ष के बाद राज्य सरकार 162 रुपय मनरेगा मजदूरी पर विचार क रने के लिए बाध्य हुई हैं. प्रदर्शनकारियों में खेमस के प्रखंड अध्यक्ष राम देव यादव दयाल यादव, बद्री शर्मा, शिवनारायण यादव, सुरेश मंडल,राजदेव यादव, उदय रंजन पासवान रधिया देवी, सत्यनारायण राम, ललिता देवी , सुरेंद्र यादव, कम्पु यादव, सहदेव शर्मा समेत दर्जनों कार्यकर्ता शामिल थे.
कहा कि केंद्र इस मद में 122 रुपये मजदूरी देती थी तो राज्य सरकार 22 रुपये राज्यांस मिलाकर 144 रुपये मजदूरों को मजदूरी देती थी. लेकिन कें द्र ने जब यह राशि बठाकर 138 रुपये कर दी तो अब सरकार अपना हिस्सा देने के लिए तैयार नहीं है. बिहार में सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम मजदूरी 168 रुपये है. लेकिन राज्य सरकार इसे देने के लिए तैयार नहीं हैं. यह हमारी लड़ाई की जीत है लेकिन सरकार अभी भी स्वयं द्वारा तय न्यूनतम मजदूरी नहीं लागू करना चाह रही है.