सुपौल : वर्ष 1954 में स्थापित अनुमंडल क्षेत्र का एक मात्र बालिका उच्च विद्यालय बबुजन बालिका उच्च विद्यालय बदहाली के दौर से गुजर रहा है. बदहाली की स्थिति आधारभूत संरचना की वजह से नहीं बल्कि शिक्षकों की कमी की वजह से है.
हाल यह है कि लगभग 850 छात्राओं के लिए केवल पांच शिक्षक मौजूद हैं और यहां कई कार्य जुगाड़ तकनीक के आधार पर निबटाये जाते हैं. जुगाड़ तकनीक का अनोखा उदाहरण बुधवार को विद्यालय परिसर में तब देखने को मिला जब विद्यालय में कक्षा नौ में नामांकन के लिए प्रवेश परीक्षा आयोजित की जा रही थी. प्रवेश परीक्षा में कुल 1150 छात्राएं सम्मिलित हुई. परीक्षा कुल 13 कमरे में आयोजित हुआ.
ऐसे में परीक्षा हॉल में 13 वीक्षक की जरूरत थी. लेकिन पांच ही शिक्षक रहने की वजह से कम पड़ रहे वीक्षक के लिए जुगाड़ तकनीक का सहारा लेना पड़ा. विद्यालय की दसवीं कक्षा की छात्र और एनसीसी कैडेटों को वीक्षक बना कर परीक्षा संपन्न करायी गयी. गौरतलब है कि फिलहाल कक्षा दस में कुल 823 छात्राएं अध्ययनरत है. यहां पांच शिक्षक व एक प्रभारी प्रधानाध्यापक पदस्थापित हैं. हैरानी की बात यह है कि यहां विज्ञान विषय में एक भी शिक्षक पदस्थापित नहीं है.
जबकि उर्दू व संस्कृत के शिक्षक का भी अभाव है. विद्यालय के शिक्षक स्वीकार करते हैं कि जब एक सेक्शन में पढ़ाई हो रही होती है तो दूसरे सेक्शन में शिक्षक के अभाव में छात्राएं टाइम पास कर रही होती है. बहरहाल केवल हिंदी, अंगरेजी, समाज विज्ञान व संगीत के शिक्षक ही पदस्थापित हैं. हाल में संपन्न नियोजन प्रक्रिया के बावजूद विज्ञान विषय में शिक्षक का योगदान संभव नहीं हो सका. गौरतलब है कि जिले में कुल 41 मध्य विद्यालय को उत्क्रमित कर हाइस्कूल तो बना दिया गया, लेकिन शिक्षक व व्यवस्था के अभाव में ऐसे विद्यालय की ओर छात्र-छात्राएं आकर्षित नहीं हो पा रहे हैं.
क्या कहते हैं पदाधिकारी
इस बाबत जिला शिक्षा पदाधिकारी सुल्तान अहमद ने बताया कि नियोजन प्रक्रिया में विज्ञान विषय के शिक्षक उपलब्ध नहीं हो सके हैं. पुन: नियोजन प्रक्रिया अपनायी जायेगी. मामले की बाबत विशेष जानकारी नगर परिषद ही दे सकता है.