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सर्वे व पंजीकृत एचआइवी मरीजों की संख्या में चार हजार का अंतर

राष्ट्रीय एड्स नियंत्रक संगठन(नाको)द्वारा हाल ही में किये गये एचआइवी प्रसार सर्वेक्षण में सारण प्रमंडल के तीनों जिले हाई वैल्यू रिस्क जिले में शामिल हैं.सर्वेक्षण के अनुसार सीवान जिले में अनुमानित 7714 एचआइवी संक्रमितों की संख्या है.लेकिन सीवान एआरटी सेंटर में लगभग 3700 मरीज ही पंजीकृत है.

प्रतिनिधि,सीवान.राष्ट्रीय एड्स नियंत्रक संगठन(नाको)द्वारा हाल ही में किये गये एचआइवी प्रसार सर्वेक्षण में सारण प्रमंडल के तीनों जिले हाई वैल्यू रिस्क जिले में शामिल हैं.सर्वेक्षण के अनुसार सीवान जिले में अनुमानित 7714 एचआइवी संक्रमितों की संख्या है.लेकिन सीवान एआरटी सेंटर में लगभग 3700 मरीज ही पंजीकृत है.इसमें से कुछ मरीज दूसरे जिले ट्रांसफर हो गये हैं या मर गए हैं.लगभग 3300 मरीज ही एआरटी सेंटर से दवा खा रहें है.बिहार एड्स कंट्रोल सोसाइटी द्वारा सीवान जिले शेष संभावित चार हजार मरीजों को जांच कर पता करने का निर्देश दिया गया है. स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार एचआइवी प्रसार सर्वेक्षण के मुताबिक राज्य में 155646 एचआइवी के संभावित मरीजों की संख्या है. .इसमें से स्वास्थ्य विभाग के पास 94556 मरीजों की ही जानकारी है.बिहार एड्स कंट्रोल सोसाइटी द्वारा निर्देश मिलने के बाद सीवान में मेडिकल कैंप लगाकर मरीजों की पहचान करने की योजना विभाग द्वारा बनायी जा रही है. कैसे होता है सर्वेक्षण एचआइवी प्रसार सर्वेक्षण किसी आबादी में एचआइवी के साथ रहने वाले लोगों की संख्या का अनुमान लगाने के लिए आयोजित किए जाते हैं. ये सर्वेक्षण कई तरह से किए जा सकते हैं, जिनमें प्रसवपूर्व क्लिनिक और पुरुषों के साथ यौन संबंध रखने वाले पुरुषों (एमएसएम) के बीच सर्वेक्षण शामिल हैं. प्रसव पूर्व क्लिनिकों में आने वाली गर्भवती महिलाओं के बीच आयोजित किए जाते हैं.सर्वेक्षण आमतौर पर गुमनाम और असंबद्ध होते हैं परीक्षण के लिए महिलाओं से रक्त लिया जाता है.ये सर्वेक्षण आमतौर पर वर्ष में एक ही समय पर आयोजित किये जाते हैं.सर्वेक्षण उन पुरुषों के बीच किये जाते हैं जो पुरुषों के साथ यौन संबंध रखते हैं.सर्वेक्षण में यौन व्यवहार से संबंधित प्रश्न शामिल हो सकते हैं, जैसे यौन साझेदारों की संख्या और कंडोम का उपयोग. स्वास्थ्य विभाग के अपने ही विभागों से नहीं है तालमेल एचआइवी संक्रमितों को पता लगाने के लिए जिले में नारायणी सेवा संस्थान, बीएनपी प्लस एवं एचएलएफपीपीटी सहित कई निजी एजेंसी कर करती है.इन सभी एजेंसियों का स्वास्थ्य विभाग के अन्य विभागों से तालमेल नहीं होने से जरूरत के हिसाब से मेडिकल कैंप का आयोजन नहीं हो पाता है.जबतक सभी विभाग एक साथ मिलकर मिलकर मिलकर मेडिकल कैंप का आयोजन नहीं करेंगे तब तक टीबी, एचआइवी, हैपेटाइटिस,सिफलिश,फाइलेरिया एवं कालाजार जैसी बीमारियों का पता लगाना मुश्किल है.अगर एक बीमारी टीबी, एचआईवी या हेपेटाइटिस जांच के लिए मेडिकल कैंप का आयोजन किया जाएगा तो कैंप में लोगों की उपस्थिति नहीं के बराबर होगी.इस प्रकार की बीमारियों को सामान्य मेडिकल कैंप का आयोजन कर सभी प्रकार के जांच करने होंगे.जिले में विभाग की नजर में लगभग 200 इंट्रावीनस ड्रग्स यूजर एवं लगभग 600 फीमेल सेक्स वर्कर है.विभाग द्वारा इन लोगों की समय समय पर जांच तो कराई जाती है.लेकिन इन लोगों से संबंध बनाने वाले लोगों की पहचान विभाग द्वारा नहीं की जाती है. क्या कहते है जिम्मेदार बिहार एड्स कंट्रोल सोसाइटी द्वारा सीवान में एचआइवी प्रसार सर्वेक्षण के अनुसार लगभग 4 हजार संभावित एचआइवी मरीजों की संख्या का गैप बताया गया है.मेडिकल कैंप लगाने के लिए स्थल का चयन किया जा रहा है. जल्द कैंप लगाकर मरीजों की पहचान की जाएगी. प्रत्येक शनिवार को मंडल कारा में कैदियों की एचआइवी जांच की जा रही है. डॉक्टर अशोक कुमार,जिला एड्स नियंत्रक पदाधिकारी,सीवान

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