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कोरोना से जंग: 304 कोरोना संदिग्धों की हुई जांच, 303 निगेटिव, एक पॉजिटिव

304 कोरोना के संदिग्ध मरीजों की जांच के लिए पीएमसीएच रेफर किया गया था, जिसमें से 303 मरीजों की रिपोर्ट निगेटीव जांच और एक मरीज का रिपोर्ट पॉजिटिव आया है.

सीवान. बिहार के सीवान जिले के सदर अस्पताल में विभिन्न प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों से अब तक 304 कोरोना के संदिग्ध मरीजों को जांच के लिए पीएमसीएच रेफर किया गया था, जिसमें से 303 मरीजों की रिपोर्ट निगेटीव जांच और एक मरीज का रिपोर्ट पॉजिटिव आया है. जानकारी के अनुसार नौतन प्रखंड के एक गांव के विदेश से आये था. जांच के बाद निगेटिव और एक मरीज पाये जाने पर कुछ लोगों को तुरंत छोड़ दिया गया है. तथा कुछ लोगों को पाटलिपुत्र होटल में बने आइसोलेशन वार्ड में रखा गया है. सूत्रों के अनुसार बताया जाता है कि आइसोलेशन पीरियड 14 दिन बितने के बाद ही उन्हें वहां से छोड़ा जा रहा है. इधर सीवान में स्वास्थ्य विभाग ने करीब तीन हजार संक्रमित देशों व प्रांतों से आने वाले लोगों की पहचान कर उन्हें होम आइसोलेशन में रहने की सलाह दी गयी है. आशा कार्यकर्ताओं द्वारा ऐसे लोगों के स्वास्थ्य की प्रतिदिन की सूचना विभाग को उपलब्ध करायी जा रही है.

कोरोना पॉजिटिव मरीज के परिवार के सभी 13 सदस्य को भेजा गया पटना

महाराजगंज अनुमंडलीय अस्पताल में रखे गये कोरोना पॉजिटिव मरीज के परिवार के सभी 13 सदस्यों को शुक्रवार की मध्य रात्रि एंबुलेंस से पीएमसीएच रेफर कर दिया गया. शुक्रवार की रात सिविल सर्जन डॉ अशेष कुमार के नेतृत्व में डॉक्टरों की एक मेडिकल टीम महाराजगंज पहुंची तथा सभी तेरह लोगों की स्वास्थ्य समीक्षा के बाद पीएमसीएच रेफर करने का फैसला किया गया. शुक्रवार की सुबह में एनएमसीएच पटना से एक मेडिकल टीम आयी थी जो सभी तेरह लोगों का सैंपल लेकर जांच के लिए पटना रवाना हो गयी. 13 संदिग्ध कोरोना के मरीजों के पटना रेफर होने के बाद अनुमंडलीय अस्पताल के डॉक्टरों एवं कर्मचारियों ने राहत की सांस लिया है.

झोला छाप डॉक्टर आइसोलेशन से भागा

नौतन के एक गांव के कोरोना पॉजिटिव मरीज व उसके परिवार के लोगों का इलाज करने वाला झोला छाप डॉक्टर व एक अन्य व्यक्ति सरकारी भवन में प्रशासन की निगरानी में रखे गये आइसोलेशन वार्ड से फरार हो गये. इसकी सूचना वरीय पदाधिकारियों को मिली तो हड़कंप मच गया. बताया जाता है कि स्वास्थ्य विभाग की टीम ने कड़ी मशक्त के बाद इलाज करने वाले झोला छाप डॉक्टर की पहचान कर प्रशासन को सौंपा था. उसके साथ मरीज के घर के आसपास के दो अन्य लोग भी सरकारी भवन में बने आइसोलेशन वार्ड में रखे गये थे.

संसाधन की कमी से परेशान है राहत एवं इलाज में लगे कर्मचारी

उक्त गांव के कोरोना मरीज के घर के तीन किलोमीटर के परिधि में राहत एवं इलाज में लगे कर्मचारियों को पीपी कीट, मास्क, एप्रॉन तथा गलब्स जैसे संसाधन नहीं मिलने के कारण उन्हें काम करने में परेशानी हो रही है. दुकानों के बंद होने के कारण कर्मचारियों को खाने-पीने में भी काफी परेशानी हो रही है. विभाग के पदाधिकारियों ने इस संबंध में अपने वरीय अधिकारियों को सूचित किया है. लेकिन जरूरत के मुताबिक संसाधन उपलब्ध नहीं हो पाने से कई कर्मचारी व मजदूर काम नहीं करना चाहते हैं. कोनटेंमेंट जोन के करीब 300 घरों में जिला मलेरिया पदाधिकारी डॉ एमआर रंजन के नेतृत्व में ब्लीचींग पाउडर का घोल बनाकर छिड़काव किया गया.

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