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अब तक नहीं मिला हत्या में प्रयुक्त असलहा

श्रीकांत हत्याकांड. जमानत पर बाहर घूम रहे हैं घटना के सभी पांचों आरोपित सीवान : बहुचर्चित भाजपा नेता श्रीकांत हत्याकांड के गुजरे ढाई वर्षों के बाद भी कांड के साजिशकर्ता का नाम उजागर नहीं हुआ. साथ ही पुलिस की नाकामी इस बात को लेकर भी है कि कांड का खुलासा व अभियुक्तों की गिरफ्तारी के […]

श्रीकांत हत्याकांड. जमानत पर बाहर घूम रहे हैं घटना के सभी पांचों आरोपित

सीवान : बहुचर्चित भाजपा नेता श्रीकांत हत्याकांड के गुजरे ढाई वर्षों के बाद भी कांड के साजिशकर्ता का नाम उजागर नहीं हुआ. साथ ही पुलिस की नाकामी इस बात को लेकर भी है कि कांड का खुलासा व अभियुक्तों की गिरफ्तारी के बाद भी घटना में प्रयुक्त असलहा व बाइक की तलाश करने में विफल रही है.
इसके चलते कांड की कोर्ट में सुनवाई के दौरान साक्ष्यों के अभाव में पीड़ित पक्ष की पैरवी कमजोर पड़ने की संभावना जतायी जा रही है. नगर थाने के साबुन टोली निवासी सह भाजपा सांसद के प्रवक्ता श्रीकांत भारतीय की 23 नवंबर, 2014 की रात बदमाशों ने शहर के श्रीकृष्ण टाॅकीज के सामने गोली मार कर हत्या कर दी थी.
भाजपा नेता श्रीकांत शादी समारोह से हिस्सा लेकर वापस लौटते समय घटना के शिकार हुए. इस कांड का खुलासा करते हुए पुलिस ने यूपी के तीन सुपारी किलरों को गिरफ्तार किया था. यूपी के मऊ व गाजीपुर जिलोंं के अभियुक्त अमित कुमार सिंह उर्फ मोनू उर्फ चवन्नी,विकास कुमार सिंह उर्फ मोनू व शैलेंद्र सिंह उर्फ शैलेंद्र यादव की गोरखपुर से एसटीएफ व सीवान एसआइटी की मदद से गिरफ्तारी हुई थी. पुलिस के मुताबिक गिरफ्तार अभियुक्तों ने अपने बयान में सुपारी लेकर हत्या करने की बात स्वीकार की थी.
अभियुक्तों के बयान पर ही इस मामले में उन्हें संरक्षण देने के आरोप में नगर थाने के विशेश्वर नगर निवासी उपेंद्र सिंह को भी गिरफ्तार किया गया. गिरफ्तारी के बाद ही यह खुलासा हुआ कि उपेंद्र के सहयोग से तीनों आरोपित लंबे समय तक रेलवे स्टेशन रोड स्थित एक होटल में ठहरे थे. इसको लेकर पुलिस बाद में सह अभियुक्त बनाते हुए होटल के मैनेजर को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. इन तीनों हत्यारोपितों ने अपने बयान में पुलिस को बताया कि हत्या को अंजाम देने के बाद चवन्नी व विकास बाइक से छपरा चले गये,
जहां इन दोनों ने हत्या में प्रयुक्त असलहा व बाइक को छपरा शहर में ही सह अभियुक्त के संबंधी के यहां रख दिया था. इसके बाद कोलकाता रवाना हो गये. पुलिस के इस खुलासे के दो वर्ष से अधिक वक्त गुजरने के बाद भी पुलिस के हाथ बाइक नहीं लगी. साथ ही हत्या में प्रयुक्त असलहा भी पुलिस बरामद करने में नाकाम रही है. तीसरा सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि घटना के साजिशकर्ता का नाम उजागर करने में पुलिस कामयाब नहीं हुई है. घटना के बाद से ही हर किसी की जुबान पर यह बात रही कि आखिर किसके इशारे पर शूटरों ने श्रीकांत की जान ली. यह अब तक पुलिस रिकाॅर्ड में रहस्य ही बना हुआ है.
ऐसे में कोर्ट में कांड की सुनवाई के दौरान इन साक्ष्यों के अभाव में दोषियों को सजा दिलाना मुश्किल होगा. इसके साथ यह भी बात सामने आयी थी कि शूटरों का मुख्य सरगना यूपी का हरीश पासवान सीवान मंडल कारा में बंदी के दौरान ही यह योजना बनायी थी. हरीश के जेल के बाहर आने के 15 दिनोंं के अंदर ही बदमाशों ने घटना को अंजाम दे दिया.
इसके बाद भी पुलिस हरीश को तलाश नहीं पायी है. इस संबंध में पूछे जाने पर एसपी सौरभ कुमार साह ने कहा कि यह मामला न्यायालय में विचाराधीन है. कांड के संदर्भ में आइओ से पूछताछ करने के बाद ही कुछ कह पाऊंगा. घटना में प्रयुक्त हथियार व बाइक की तलाश जारी है.
कांड के साजिशकर्ता का नाम उजागर करने में भी नहीं मिली कोई सफलता
बाइक को ढूंढ़ने में भी सफल नहीं रही पुलिस
साक्ष्यों के अभाव में पीड़ित पक्ष की पैरवी हो रही कमजोर

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