महाराजगंज : महापर्व छठ ने दस्तक दे दी है. महाराजगंज अनुमंडल मुख्यालय समेत ग्रामीण इलाकों में चार दिवसीय महापर्व का अनुष्ठान शुक्रवार को नहाय-खाय के साथ आरंभ होगा .जो सोमवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य के साथ संपन्न होगा. अनुष्ठान को लेकर छठ व्रतियों ने अपनी तैयारी लगभग पूरी कर ली है.पर्व के आयोजन में कोई चूक न हो इसका ख्याल छठ व्रती व उनके परिजन रख रहे हैं. छठ घाटों की साफ-सफाई व रंगरोगन जोरों पर है.
घरों से लेकर चौक-चौराहों तक छठ गीतों की गूंज है. छठ सामग्री की खरीदारी को ले बाजारों में काफी चहल-पहल बढ़ गयी है. बाजार छठ पूजा सामग्रियों से सज गये हैं. जहां श्रद्धालु सुबह से देर शाम तक खरीदारी करने में जुटे हुए हैं. पूजा सामग्री की खरीदारी को लेकर बाजारों में काफी चहल-पहल देखी जा रही है. नहाय-खाय के दिन लौकी की सब्जी और आम की लकड़ी का महत्व अधिक होने से पूरा बाजार आम की लकड़ी व लौकी से पट गया है. बाजारों में आम की लकड़ी 20 रुपये प्रति किलो तथा लौकी 30 से 40 रुपये तक बिकती देखी गयी.
इसके अलावा बाजारों में दौरा, कलसूप, टोकरी, नारियल, चावल, फल आदि सामान की खरीदारी को ले बाजारों में काफी ग्राहकों की भीड़ सुबह से देर शाम तक लगी रह रही है. इसको लेकर बाजारों में जाम सा नजारा देखने को मिला, शहर के राजेंद्र चौक निवासी रासबिहारी उपाध्याय ने बताया कि शुक्रवार को छठ व्रती नहाय-खाय के साथ छठ व्रत आरंभ करेंगे. व्रती शुक्रवार की सुबह घरों की सफाई कर अपने घरों में या नजदीक के तालाबों या नदियों में पवित्र स्नान करेंगे. इसके बाद सात्विक तरीके से बना भोजन ग्रहण करेंगे. नहाय खाय के दिन कद्दू की सब्जी, अरवा चावल के भात और अरहर की दाल खाने के विधान के कारण इस आयोजन को कद्दू-भात भी कहा जाता है.
परंपरा के मुताबिक छठ व्रतियों के भोजन करने के बाद ही परिवार के अन्य सदस्य प्रसाद के रूप में भोजन ग्रहण करेंगे. इसके साथ चार दिवसीय छठ का अनुष्ठान आरंभ हो जायेगा. शुक्रवार को रात में भोजन करने के बाद छठ व्रती शनिवार को पूरा दिन निर्जला रहकर रात में साठी के चावल, गुड़ की खीर तथा रोटी व रोट, फल आदि के साथ खरना करेंगे, छठ व्रतियों के खरना करने के बाद घर के अन्य सदस्य या परिजन प्रसाद के रूप में खीर-रोटी ग्रहण करेंगे, छठ व्रती रविवार को पूरे दिन निर्जला रहकर शाम को अपने घर के नजदीक छठ घाटों पर पहुंच कर भगवान सूर्य को अर्घ्य देंगे.
तथा पूजा करेंगे. रविवार की रात अधिकतर घरों से कोसी भरने की प्रक्रिया पूरी की जायेगी. पुन: सोमवार की अहले सुबह छठ व्रती छठ घाटों पर जाकर भगवान सूर्य की पूजा करेंगे तथा सूर्योदय होते ही उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर इस चार दिवसीय अनुष्ठान का समापन करेंगे.