सीवान : जिले के किसी भी सरकारी अस्पतालों में कुष्ठ मरीजों के इलाज की व्यवस्था नहीं होने से मरीजों को काफी परेशानी हो रही है. कुष्ठ मरीजों के इलाज की व्यवस्था नहीं होने के पीछे कुष्ठ विभाग तो जिम्मेवार है ही, साथ में स्वास्थ्य विभाग का सहयोग नहीं मिलने से व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है. सभी पीएचसी, रेफरल, अनुमंडल व सदर अस्पताल में सामान्य मरीजों को देखने के लिए डॉक्टर रहते हैं, लेकिन जब कोई कुष्ठ का मरीज इलाज कराने आता है,
तो उसके साथ कर्मचारी से लेकर डॉक्टर तक असहयोग किया जाता है. कुष्ठ विभाग में मात्र चार नॉन मेडिकल असिस्टेंट हैं. इनको विभाग के कार्यालय के काम-काज के साथ पूरे जिले के अस्पतालों में कुष्ठ मरीजों की इलाज करने की जिम्मेवारी है. मरीजों के इलाज के लिए जिला कुष्ठ कार्यालय में स्वास्थ्य विभाग ने एक मेडिकल ऑफिसर डॉ रामदेव दास को पदस्थापित किया है. लेकिन, एक अप्रैल से उनकी प्रतिनियुक्ति सदर अस्पताल में कर उन्हें नशामुक्ति केंद्र का नोडल ऑफिसर बना दिया गया है. इसके अलावा वे जेनरल ओपीडी में भी मरीजों का इलाज करते हैं.
कुष्ठ विभाग में नहीं है पैथोलॉजी जांच की व्यवस्था: जिले के किसी भी सरकारी अस्पतालों में कुष्ठ मरीजों के स्किन जांच स्लाइट्स क्रेपिंग फॉर एएफबी की जांच की व्यवस्था नहीं है. इस जांच के लिए एक आधुनिक सुविधाओं से लैस लैब की जरूरत होती है. यहां तो मरीजों को देखने के लिए विभाग के पास न तो डॉक्टर है और न पारा मेडिकल वर्कर. राज्य स्वास्थ्य समिति ने जिले के सभी 19 सरकारी अस्पतालों में पारा मेडिकल वर्करों की बहाली के लिए 2013 में ही जिला स्वास्थ्य समिति को लिखा था. लेकिन, जिला स्वास्थ्य समिति राज्य स्वास्थ्य समिति की बहाली के आदेश का आज तक पालन नहीं किया गया.
मेडिकल आॅफिसरों के नहीं जाने से टला कुष्ठ खोजी कार्यक्रम : 7 सितंबर से शुरू होनेवाले राष्ट्रीय कार्यक्रम कुष्ठ खोजी अभियान की सफलता के लिए विभाग ने जिले के सभी मेडिकल ऑफिसरों की कार्यशाला अगस्त के अंत में आयोजित किया था. लेकिन, जिले के डीएलओ सहित कुल 20 प्रभारी मेडिकल आॅफिसरों में मात्र 09 अॉफिसर ही कार्यशाला में शामिल हुए. मेडिकल ऑफिसरों की संख्या कम होने पर विभाग ने सीवान में 7 सितंबर से चलने वाले इस राष्ट्रीय कार्यक्रम को फिलहाल टाल दिया.
कुष्ठ विभाग द्वारा 07 सितंबर से शुरू होने वाले राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत घर-घर जाकर स्वास्थ्यकर्मियों को कुष्ठ मरीजों की खोज कर उन्हें नजदीकी स्वास्थ्य केंद्रों में भेजना था. इसके लिए जिला स्तर पर विभाग ने माइक्रो प्लान भी बना लिया था, लेकिन अंत समय में स्वास्थ्य विभाग के असहयोग के कारण राष्ट्रीय कार्यक्रम को कुष्ठ विभाग ने रोक दिया.
डीएलओ कार्यालय में कुष्ठ मरीज को देखते कर्मचारी .
स्वास्थ्य विभाग का नहीं मिल रहा सहयोग
डीएलओ ऑफिस के डॉक्टर की ड्यूटी लगी सदर अस्पताल
विभाग के कर्मचारी ऑफिस काम के साथ करते हैं इलाज
नहीं है पैथोलॉजी जांच की व्यवस्था
स्वास्थ्य विभाग द्वारा मुझे जिला कुष्ठ विभाग में ही पदस्थापित किया है. एक अप्रैल से मेरी प्रतिनियुक्ति नशामुक्ति केंद्र में कर नोड्ल ऑफिसर बनाया गया है. जेनरल ओपीडी में भी एक दिन हमारी ड्यूटी है. जिले में कुष्ठ विभाग द्वारा मरीजों की स्किन जांच स्लाइट्स क्रेपिंग फॉर एएफबी जांच की सुविधा उपलब्ध नहीं है.
डाॅ रामदेव दास, मेडिकल ऑफिसर कुष्ठ विभाग