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मजदूरों का शुरू हाे गया पलायन

चिंताजनक. जिले में मनरेगा का जून से ठप है कार्य, रोजगार का है अभाव सीवान : मजदूरों को एक सौ दिन रोजगार की गारंटी देने की योजना की खराब प्रगति से मनरेगा यहां फ्लॉप साबित हो रही है. मजदूरों को काम नहीं मिलने से अब उन्होंने महानगरों के लिए काम के तलाश में पलायन करना […]

चिंताजनक. जिले में मनरेगा का जून से ठप है कार्य, रोजगार का है अभाव

सीवान : मजदूरों को एक सौ दिन रोजगार की गारंटी देने की योजना की खराब प्रगति से मनरेगा यहां फ्लॉप साबित हो रही है. मजदूरों को काम नहीं मिलने से अब उन्होंने महानगरों के लिए काम के तलाश में पलायन करना शुरू कर दिया है. यह संकट पिछले तीन माह से सबसे अधिक गहराया है. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना केंद्र सरकार की एकलौती योजना है, जिसे बजट के आधार पर क्रियान्वित नहीं किया जाता है,
बल्कि काम के आधार पर बजट का आवंटन समय-समय पर किया जाता है. यह योजना मजदूरों के गांव से पलायन को रोकने के लिए शुरू की गयी थी. यह मकसद मजदूरों को समय से काम नहीं मिलने के कारण प्रभावित हो रहा है. आंकड़ों पर गौर करें, तो जिले में जॉब कार्ड धारकों की संख्या दो लाख 94 हजार है. प्रत्येक जॉब कार्ड पर आमतौर पर दो से तीन मजदूरों की संख्या रहती है. ऐसे में जिले में मजदूरों की संख्या तकरीबन आठ लाख तक है. ये लोग रोजगार के लिए हर माह कतार में रहते हैं. इन मजदूरों ने ग्राम पंचायत से लेकर ब्लॉक कार्यालय तक चक्कर लगाने के बाद भी काम नहीं मिलने के कारण अब पलायन करना शुरू कर दिया है.
प्रत्येक माह हजारों की संख्या में मजदूर कर रहे पलायन : जिले में मजदूरों की संख्या 9 लाख से अधिक है. इन्हें हर दिन रोजगार की तलाश रहती है. यह संख्या डीआरडीए कार्यालय की अनुमानित है. ऐसे मजदूरों को समय से काम नहीं मिलने पर मजबूरी में इन्हें पलायन करना पड़ता है. आंकड़ों पर गौर करें, तो अगर एक सौ दिन रोजगार गारंटी के आदेश का पालन किया जाये, तो वर्ष भर में नौ करोड़ मानव दिवस सृजित करनी होगी. इसके विपरीत हाल यह है कि अब तक अप्रैल से अगस्त तक मात्र पांच लाख मानव कार्य दिवस सृजित हुआ है. ये आंकड़े ही बता रहे हैं कि मजदूर अब निराश होकर हर माह पलायन करने लगे हैं.
जिले में मनरेगा का हाल
जॉब कार्ड-2 लाख 94 हजार
प्रत्येक परिवार के जॉब कार्ड पर दो से तीन हैं मजदूर
अप्रैल से अगस्त तक 15 करोड़ 48 लाख रुपये का योजना पर खर्च
अप्रैल से अगस्त तक मजदूरी पर व्यय हुआ 11 करोड़ 54 लाख 19 हजार
अप्रैल से अगस्त तक 5 लाख 12 हजार मानव श्रम दिवस सृजन
प्रत्येक दिन 8 लाख मानव दिवस की जरूरत
पिछले तीन माह में संकट सबसे ज्यादा गहराया
ट्रेनों से परदेश जाते कुछ मजदूर.
बरसात में मनरेगा का काम होता है बाधित
बरसात के दिनों में मनरेगा का कार्य बाधित होता है. मिट्टी कार्य में सबसे अधिक मजदूरों को रोजगार मिलता है. यह कार्य बरसात में नहीं होने से मजदूर वंचित होते हैं. अक्तूबर से कार्य में तेजी आयेगी.
राजकुमार, डीडीसी, सीवान

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