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मूर्तियों की चोरी को लेकर कई तरह के उठ रहे सवाल

पहले भी हो चुकी हैं मूर्ति चोरी की घटनाएं कई बार मठों से रामजानकी सहित अन्य मूर्तियों की हो चुकी है चोरी सीवान : जिले के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल से लेकर पुरातत्व महत्व के केंद्र तक की सुरक्षा आमतौर पर यहां भगवान भरोसे है. लिहाजा हर चोरी की घटना के बाद इन स्थलों की सुरक्षा […]

पहले भी हो चुकी हैं मूर्ति चोरी की घटनाएं

कई बार मठों से रामजानकी सहित अन्य मूर्तियों की हो चुकी है चोरी
सीवान : जिले के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल से लेकर पुरातत्व महत्व के केंद्र तक की सुरक्षा आमतौर पर यहां भगवान भरोसे है. लिहाजा हर चोरी की घटना के बाद इन स्थलों की सुरक्षा को लेकर चर्चा होती है. लेकिन, फिर आस्था के केंद्र भक्तों के भरोसे ही रह जाते हैं. इधर, एक माह में मूर्ति चोरी की लगातार दूसरी घटना को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. घटना होने के बाद भी पुलिस के वरीय अधिकारी सबक नहीं ले रहे हैं. इसके पूर्व गोरेयाकोठी प्रखंड मुख्यालय स्थित रामजानकी मंदिर से चार बार मूर्ति चोरी की घटनाएं हो चुकी हैं. पहली बार भगवान राम की 50 वर्ष पूर्व चोरी मूर्ति अब तक बरामद नहीं हुई. वर्ष 2005 से अब तक तीन बार मां जानकी व लक्ष्मण की मूर्ति चोरी हो चुकी है.
इसमें से दो बार बरामदगी हो चुकी है. लेकिन, अंतिम बार चोरी की घटना के बाद से प्रतिमाएं बरामद नहीं हुईं. भगवानपुर हाट के खैरवां स्थित रामजानकी मंदिर से वर्ष 2004 में रामजानकी व लखन लाल की प्रतिमा चोरी हो गयी, जो कुछ दिन बाद यूपी के बलिया जिले के उभांव थाना क्षेत्र से बरामद हुई. पिपरहियां स्थित रामजानकी मंदिर से 15 अक्तूबर, 2014 को रामजानकी की मूर्ति चोरी हुई. लेकिन,
दूसरे दिन ही सारण जिले के बनियापुर थाने के सिसई गांव से मूर्ति बरामद हुई थी. एक जुलाई की रात गोरेयाकोठी के ही पीपरा मठ से मूर्ति की चोरी अज्ञात चोरों ने कर ली थी. इसके कुछ ही दिनों बाद मूर्ति भी बरामद हो गयी.
यमुना गढ़ स्थित देवी मंदिर : बड़हरिया प्रखंड के यमुनागढ़ पर्यटकों को आकर्षित करता है. यहां की गढ़देवी का पौराणिक महत्व है. यहां पेड़ के बीच से गढ़ देवी का उद्भव माना जाता है. बड़े भू-भाग में फैल यमुना गढ़ की अकूत संपत्ति है. इसकी सुरक्षा भगवान भरोसे है.
चमनियां डीह देवी मंदिर, मैरवा : मैरवा धाम के समीप मौजूद चमनियां डीह देवी मंदिर भी भक्तों के आस्था का केंद्र है. यहां सुरक्षा का खतरा लोगों को नवरात्र में विशेष कर सताता है. मंदिर को सिद्धि का स्थल भी कहा जाता है. यहां भक्तों का आना-जाना वर्ष भर लगा रहता है. यह कहा जाता है कि मंदिर की स्थापना देवी भक्त आल्हा रूदल ने की थी.
हंसनाथ धाम, सोहगरा : यूपी की सीमा से सटे गुठनी प्रखंड के सोहगरा स्थित हंसनाथ धाम के शिवलिंग की पांच फुट से अधिक ऊंचाई है. यह भी अन्य कहीं देखने को नहीं मिलता है. पौराणिक मंदिर की स्थापना शिव भक्त राक्षस राज वाणासुर ने की थी. यहां की सुरक्षा को लेकर भी भक्तों में नाराजगी रहती है. लोगों का मानना है कि अन्य पौराणिक मंदिरों की तरह इसकी सुरक्षा की कोई कोशिश नहीं की गयी.
लकड़ी नबीगंज के भोपतपुर भरतिया में मूर्ति चोरी के मामले की जांच करती पुलिस .
यहां की सुरक्षा भगवान भरोसे
भगवानपुर : भगवानपुर प्रखंड मुख्यालय का विष्णु धाम,भेरवनियां भक्तों के आस्था का केंद्र रहा है. यहां ग्रेनाइट पत्थर की भगवान विष्णु की आदमकद प्रतिमा है. इसकी भव्यता भक्तों को आकर्षित करती है. इसकी कीमत करोड़ों रुपये में आंकी जाती है. खास बात है कि दो दशक पूर्व यहां खुदाई के दौरान यह प्रतिमा मिली थी. इसे ग्रामीणों ने भव्य मंदिर का निर्माण कर स्थापित कर दिया. ग्रामीणों के मुताबिक, हजारों वर्ष पुरानी यह प्रतिमा है, जो अनुमान के मुताबिक ऐसी आकृति की अन्य कहीं नहीं है. पुरातत्व विभाग ने अपने संरक्षण में मूर्ति को लेने की कोशिश की थी, लेकिन ग्रामीणों के विरोध के चलते नहीं ले जा सकी.

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