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उदासीनता. अस्तित्व में नहीं आ सका राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम, नहीं हो रहा समुचित इलाज देश में बाल मृत्यु दर को कम करने के लिए सरकार ने बनायी महत्वाकांक्षी योजना खानापूर्ति के लिए खोला गया जिला शीघ्र हस्तक्षेप केंद्र (डीआइइसी) केंद्र! 53 मोबाइल स्वास्थ्य दलों में मात्र 19 ही बन पाये हैं पूर्ण सीवान : […]

उदासीनता. अस्तित्व में नहीं आ सका राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम, नहीं हो रहा समुचित इलाज

देश में बाल मृत्यु दर को कम करने के लिए सरकार ने बनायी महत्वाकांक्षी योजना
खानापूर्ति के लिए खोला गया जिला शीघ्र हस्तक्षेप केंद्र (डीआइइसी) केंद्र!
53 मोबाइल स्वास्थ्य दलों में मात्र 19 ही बन पाये हैं पूर्ण
सीवान : जिले में करीब एक साल से राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत छह सप्ताह से लेकर 18 साल के बच्चों की मोबाइल स्वास्थ्य दलों द्वारा जांच की जा रही है. मोबाइल स्वास्थ्य दलों द्वारा बच्चों में बीमारी पाये जाने पर पीएचसी, रेफरल, अनुमंडलीय या सदर अस्पताल में बच्चों को इलाज के लिए रेफर किया जाना है.
स्वास्थ्य दल को साल में अपने क्षेत्र के सरकारी स्कूलों में एक बार और आंगनबाड़ी केंद्रों में दो बार बच्चों के स्वास्थ्य की जांच करनी है. सदर अस्पताल में रेफर बच्चों के इलाज के लिए कार्यक्रम शुरू होने के साथ ही जिला शीघ्र हस्तक्षेप केंद्र खुल जाना चाहिए. लेकिन कार्यक्रम के शुरू होने के करीब एक साल बाद सदर अस्पताल के चाइल्ड ओपीडी में एक खानापूर्ति के लिए जिला शीघ्र हस्तक्षेप केंद्र खोल दिया गया है. यह जिला शीघ्र हस्तक्षेप केंद्र (डीआइइसी) कार्यक्रम के मानक के अनुसार नहीं है.
25 जून को खुल गया डीआइइसी : सदर अस्पताल में डीआइइसी तो 25 जून को विभाग ने खोल दिया. लेकिन, रेफर बच्चों के इलाज के लिए यहां कोई सुविधा नहीं है. विभाग ने यूं तो बच्चों को देखने के लिए मंगलवार व शनिवार को सुबह आठ से दो बजे तक ओपीडी आवर में देखने का समय निर्धारित किया है.
इस कक्ष में वो भी समय से नहीं बैठनेवाले डॉक्टर बच्चों को देखने के बाद सर्जन, इएनटी, आंख, आॅर्थोपेडिक्स व स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टरों के पास रेफर कर देते हैं. विभाग के करीब सभी अधिकारियों को पता है. आंख के डॉक्टर व आर्थोपेडिक्स के डॉक्टर नियमित नहीं बैठते. सदर अस्पताल में इएनटी का कोई डॉक्टर नहीं है. जहां तक स्त्री रोग विशेषज्ञ की बात है, तो सदर अस्पताल में दिखाने आनेवाली महिलाएं, तो सामान्य ओपीडी में इलाज कराती हैं. भला बच्चों को महिला डॉक्टर इलाज के लिए कैसे उपलब्ध होंगी. जिले के दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों से लोग अपने बच्चों को इलाज के लिए डीआइइसी आ रहे हैं. विशेषज्ञ डॉक्टरों को दिखाने के लिए भटकते रहते हैं मरीजों के परिजन. बाद में पर्याप्त सुविधा नहीं होने के कारण वापस लौट जा रहे हैं.
क्या है इस कार्यक्रम का उद्देश्य : देश में बाल मृत्यु दर को कम करने के लिए सरकार ने बच्चों के लिए यह महत्वाकांक्षी योजना बनायी. राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन कार्यक्रम के तहत शुरू किये गये बाल स्वास्थ्य जांच और शीघ्र हस्तक्षेप सेवा कार्यक्रम का लक्ष्य बच्चों में प्रचलित 4 डी का जल्दी पता लगाना और प्रबंधन करना है.
ये 4 डी हैं-डिफेक्ट एट बर्थ (जन्म के समय विकृति), डिसीज इन चिल्ड्रेन (बच्चों में रोग), डिफिसिएंसी कंडीशंस (कमियों की स्थिति) और डेवलपमेंट डिले इन्क्लूडिंग डिसएबिलिटी (विकलांगता सहित विकास में देरी)है. स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत बच्चों की स्वास्थ्य जांच की एक ज्ञात पहल है. इस कार्यक्रम के तहत नि:शुल्क उपचार व प्रबंधन के लिए 30 पूर्व चिह्नित बीमारियों को कवर करने की परिकल्पना की गयी है.
क्या कहते हैं अिधकारी
करीब एक साल से डीआइइसी के नहीं खुलने से रेफर बच्चों का इलाज नहीं हो पा रहा था. डॉक्टरों की कमी के बावजूद इसे खोल कर दो दिन बच्चों का इलाज किया जा रहा है. कुछ विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं हैं. इसके लिए विभाग को लिखा गया है.
डाॅ शिवचंद झा, सीएस, सीवान
जिला शीघ्र हस्तक्षेप केंद्र में दल की सरंचना
बाल रोग विशेषज्ञ 01
चिकित्सा अधिकारी 01
दंत चिकित्सक 01
फिजियोथेरेपिस्ट 01
ऑडियोलॉजिस्ट और संवाद चिकित्सक 01
मनोवैज्ञानिक 01
ऑप्टोमेट्रिस्ट 01
शीघ्र हस्तक्षेप सह विशेष शैक्षिक समाजिक कार्यकर्ता 01
लैब टेक्नीशियन 02
डेंटल टेक्नीशियन 01
प्रबंधक 01
डाटा इंट्री ऑपरेटर 01

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