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विपदा में है अग्निशमन विभाग

चिंताजनक. 10 वर्ष पूर्व भवन को किया गया था परित्यक्त घोषित अग्निशमन विभाग के कार्यालय व आवासों की दीवारों में मौजूद दरारें व छत से टपकता पानी बयान करते हैं हालात बरसात में बदतर हो जाते हैं हालात सीवान : नालंदा में जिले के सबसे बड़े आला अफसर डीएम के जर्जर आवास के चलते शाॅर्ट […]

चिंताजनक. 10 वर्ष पूर्व भवन को किया गया था परित्यक्त घोषित
अग्निशमन विभाग के कार्यालय व आवासों की दीवारों में मौजूद दरारें व छत से टपकता पानी बयान करते हैं हालात
बरसात में बदतर हो जाते हैं हालात
सीवान : नालंदा में जिले के सबसे बड़े आला अफसर डीएम के जर्जर आवास के चलते शाॅर्ट सर्किट की एक दिन पूर्व की घटना ने ढेर सारे सवाल खड़ा कर दिये हैं. सरकारी भवनों के रखरखाव में लापरवाही की ये मिसाल कमोबेश हर जिले में है. यहां अग्निशमन विभाग के कार्यालय व कर्मियों के आवास किसी खंडहर से कम नहीं हैं.
दीवारों में मौजूद दरारें व छत से बरसात में टपकता पानी हालात को बयां करने के लिए काफी हैं.अगलगी जैसी आपदा की घटनाओं में हर किसी को सबसे पहले अग्निशमन विभाग की याद आती है. कर्मियों की कमी व संसाधनों के अभाव के बावजूद आग पर काबू पाने के लिए अंतिम दम तक ये जूझते नजर आते हैं. लेकिन इनकी हर दिन की दुश्वारियां भरी जिंदगी सबसे ओझल हैं. शहर के पुलिस लाइन में मौजूद विशाल भवन में अग्निशमन विभाग संचालित है.
इसी भवन में विभाग के कर्मियों के आवास भी हैं. हाल यह है कि यह भवन कब बन कर तैयार हुआ, यहां तैनात कर्मचारी बताने में असमर्थ हैं. हालांकि भवन को देख यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि तकरीबन 50 वर्ष पूर्व से अधिक का वक्त गुजर चुका होगा. भवन की समय से मरम्मत नहीं होने के कारण हाल यह है कि यह अब खंडहर में तब्दील होने लगा है. विभागीय अधिकारी समेत नौ कर्मचारी यहां जान जोखिम में डाल कर रहने को मजबूर हैं. बरसात में तो हालात और बदतर हो जाते हैं. छत से टपकते पानी से राहत के लिए अब कर्मियों ने पूरी छत पर प्लास्टिक लगा रखी है. इससे बारिश में थोड़ी बहुत राहत मिलती है.
बरसात आने के साथ ही फिर बढ़ी मुसीबत : बरसात एक बार फिर शुरू हो जाने से यहां के कर्मियों की मुसीबत बढ़ गयी है. बारिश होने पर कमरों में पानी लग जाता है. इसके अलावा सांप व बिच्छू का भी डर बना रह रहा है. अधिकतर कर्मचारी तो बारिश होने पर पुलिस लाइन कैंपस के अन्य भवनों में शरण लेते हैं. इसके बाद भी कर्मचारियों को इस बात को लेकर नाराजगी है कि जीर्णोद्धार के लिए पहल नहीं हो रही है.
भूकंप के झटकों ने कई दिनों तक उड़ा दी थी नींद
अग्निशमन कर्मी एक वर्ष पूर्व आये भूकंप के झटके को कभी भी भुला नहीं पाते है. इनका कहना है कि कई दिनों तक आये झटकों में भवन का ध्वस्त न होना एक बड़ा आश्चर्य है. इस दौरान कई दिनों तक अग्निशमन कार्यालय खुले आसमान के निचे संचालित हुआ. इसके अलावा कर्मचारियों को यहां सोने के बजाय अन्य स्थानों पर शरण लेनी पड़ी. इसका भय इस कदर रहा कि कई दिनों बाद भी कर्मचारी इस भवन में रह कर काम करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे थे.
भवन में रहना उचित नहीं
भवन के हालात को देख 10 वर्ष पूर्व ही भवन निर्माण विभाग के अभियंता ने परित्यक्त घोषित कर दिया. इसके मुताबिक, अब इस भवन में रहना उचित नहीं है. इस घोषणा के बाद भी हाल यह है कि कर्मचारी अब तक कोई वैकल्पिक इंतजाम नहीं होने से यहां रहने को मजबूर हैं. इस कारण अब तो सांप व बिच्छू का भी डर कर्मचारियों को सताता है. इसके बाद भी भय के बीच कर्मचारी रहने को विवश हैं.

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