चिंताजनक. कई शहरी बच्चे रह जाते हैं टीकाकरण से वंचित
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बढ़ेगा टीकाकरण का प्रतिशत
चिंताजनक. कई शहरी बच्चे रह जाते हैं टीकाकरण से वंचित सीवान : शहर में प्रतिमाह करीब 360 बच्चे पैदा होते हैं. लेकिन पैदा हुए इन बच्चों में करीब आधे से अधिक बच्चे नियमित टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पाते हैं. वहीं, जो बच्चे प्रारंभिक दौर के टीकाकरण अभियान में शामिल होते हैं, उनमें से […]
सीवान : शहर में प्रतिमाह करीब 360 बच्चे पैदा होते हैं. लेकिन पैदा हुए इन बच्चों में करीब आधे से अधिक बच्चे नियमित टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पाते हैं. वहीं, जो बच्चे प्रारंभिक दौर के टीकाकरण अभियान में शामिल होते हैं, उनमें से बहुत ही कम ऐसे बच्चे होते हैं, जो नियमित टीकाकरण के सभी टीके लेते हैं. शहरी क्षेत्र के बच्चों के लिए सदर अस्पताल में नियमित टीकाकरण केंद्र बनाये गये हैं. इसके अलावा शहर के कई स्थानों पर अस्थायी रूप से टीकाकरण केंद्र बना कर बच्चों को नियमित टीकाकरण में आनेवाले टीके दिये जाते हैं.
बच्चों को टीका दिलवाने के प्रति जागरूक नहीं हुए लोग : शहरी क्षेत्र की अाबादी करीब एक लाख 44 हजार है. इसके हिसाब से प्रतिमाह शहरी क्षेत्र में करीब 360 बच्चे पैदा होते हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग इनमें से करीब 150 से 200 बच्चों को ही नियमित टीकाकरण से जोड़ पाता है. आज के समय में बच्चों को जानलेवा बीमारियों से बचाने के लिए नियमित टीकाकरण के सभी टीके दिलवाने जरूरी हैं. इस बात से सभी लोग वाकिफ नहीं हैं.
कुछ लोग तो बच्चों को टीका लगाने को अशुभ मानते हैं. ऐसे लोगों का कहना है कि उनके परिवार में टीका लगाना अशुभ माना जाता है. ऐसे लोगों को ऐसी बात कहना आज के वैज्ञानिक युग में हैरानी की बात जरूर है. लेकिन, सबसे हैरानी की बात यह है कि आज तक विभाग ऐसे लोगों को क्यों नहीं जागरूक कर सका. शहर के संपन्न लोग, जिनके बच्चे प्राइवेट अस्पतालों में पैदा होते हैं, वे लोग प्राइवेट अस्पतालों में ही अपने बच्चों को टीके दिलवाते हैं.
केंद्र बनाने के लिए नहीं मिल रही जगह
शहर की अाबादी एक लाख 44 हजार में प्रतिमाह पैदा होते हैं 360 बच्चे
अंधविश्वास के चलते अब भी कई लोग बच्चों को नहीं दिलवाते हैं टीके
क्या कहते हैं मेडिकल ऑफिसर
यह बात सही है कि हम सभी बच्चों को टीके नहीं लगा पाते. हमारे पास जो संसाधन उपलब्ध हैं, वह काफी सीमित है. इसके बावजूद हमलोग टीकाकरण के प्रतिशत को बढ़ाने में जुटे हैं. आज भी कुछ लोगों में टीके के प्रति अंधविश्वास है. अस्थायी टीकाकरण केंद्र प्राइवेट स्थानों पर होने के कारण लोग स्वास्थ्यकर्मियों को एक से दो माह तक टिकने नहीं देते.
डॉॅ जीएस पांडेय
अस्थायी टीका केंद्रों पर लगाये जाते हैं टीके
शहरी क्षेत्र में बच्चों को टीके लगाने के लिए विभाग के पास बहुत ही सीमित संसाधन उपलब्ध है. एक लाख 44 हजार आबादी वाले शहर के लिए एक डॉक्टर और छह एएनएम मिली है. सदर अस्पताल को छोड़ कर बाकी सभी टीकाकरण केंद्र अस्थायी हैं तथा रोज टीके नहीं लगाये जातें हैं.
शहर में जहां भी अस्थायी टीकाकरण केंद्र है, वह किसी-न-किसी प्राइवेट जगह पर है. इस कारण लोग ही टीकाकरण केंद्र को एक से दो माह तक टिकते नहीं देते हैं. इसके बावजूद शहर में एक माह में करीब 72 अस्थायी टीका केंद्रों पर बच्चों को टीके लगाए जातें है.विभाग के पास कोई गाड़ी नहीं होने के कारण कार्यक्रम के पर्यवेक्षण करने में अधिकारियों को परेशानी होती है. टीकाकरण प्रतिशत को बढ़ाने के लिए यूनिसेफ द्वारा शहरी क्षेत्र में एक ब्लॉक मोबिलाइजेशन को-ऑर्डिनेटर की प्रतिनियुक्त किया है.
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