नियम. अब पूरे कार्यकाल में एक ही बार अविश्वास प्रस्ताव
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विकास को मिलेगी रफ्तार
नियम. अब पूरे कार्यकाल में एक ही बार अविश्वास प्रस्ताव सीवान : त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था के अंतर्गत अब पांच वर्ष में एक बार ही अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकेगा. एक बार अविश्वास प्रस्ताव गिर जाने के बाद कार्यकाल तक दूसरी बार यह नहीं लाया जा सकेगा. इससे विकास कार्य को गति मिलने की उम्मीद […]
सीवान : त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था के अंतर्गत अब पांच वर्ष में एक बार ही अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकेगा. एक बार अविश्वास प्रस्ताव गिर जाने के बाद कार्यकाल तक दूसरी बार यह नहीं लाया जा सकेगा. इससे विकास कार्य को गति मिलने की उम्मीद है.
पंचायती राज के प्रतिनिधियों में जिला परिषद के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष, प्रखंड प्रमुख व उप प्रमुख पर अविश्वास प्रस्ताव की तलवार हमेशा लटकी रहती थी. विरोधी खेमा इसे हथियार के रूप में इस्तेमाल करता था. नये अधिनियम में एक बार ही अविश्वास प्रस्ताव लाने का प्रावधान किया गया है.
दो वर्ष बाद लाया जा सकता है प्रस्ताव
पंचायती राज नियमावली के तहत इन पदों पर आसीन व्यक्तियों के विरुद्ध दो साल तक कोई अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता है. दो साल बाद अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है. पहले भी यह व्यवस्था थी लेकिन अविश्वास प्रस्ताव गिर जाने के बाद दोबारा लाने की व्यवस्था थी.
खींच तान से मिलेगी मुक्ति
प्रमुख, उप प्रमुख व जिला परिषद अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के चुनाव में भारी खींच तान देखने को मिलती है. साथ ही इसमें साम, दाम, दंड भेद सभी उपक्रम आजमाये जाते हैं. ऐसी स्थिति में दौर में पिछड़ने वाले प्रत्याशी हमेशा खींच तान में लगे रहते हैं. इससे विकास कार्य प्रभावित होता है. अब अविश्वास प्रस्ताव का उपक्रम एक बार ही आजमाया जा सकेगा. इससे अनावश्यक खींच तान से मुक्ति मिलेगी. विकास कार्य में भी तेजी आयेगी और जन प्रतिनिधि भी चिंता मुक्त हो कर विकास पर अपना ध्यान केंद्रित कर सकेंगे.
नयी नियमावली के तहत त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था के तहत प्रावधान
जिला परिषद अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, प्रखंड प्रमुख व उप प्रमुख को राहत
अनावश्यक जोड़-तोड़ व गुटबाजी पर लगेगी लगाम, निश्चिंत होकर करेंगे काम
नयी नियमावली के तहत अब कार्यकाल में एक बार ही अविश्वास प्रस्ताव लाने का प्रावधान है. वैसे भी प्रखंड समिति और जिला परिषद में सदन में बहस और सहमति के बाद ही निर्णय लिये जाते हैं. इसके कारण इन प्रतिनिधियों की मनमानी का प्रश्न नहीं है.
बृंदा प्रसाद, जिला पंचायती राज पदाधिकारी, सीवान
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