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17 की हुई गवाही, आरोपित बरी

प्रतापपुर गोलीकांड . 15 वर्ष 3 माह 4 दिन बाद आया कोर्ट का फैसला अत्याधुनिक हथियारों का अपराधियों ने किया था इस्तेमाल फैसले में कोर्ट ने कहा, अभियोजन साक्ष्य जुटाने में रहा असफल चश्मदीद 29 में से मात्र 17 अफसरों ने दी थी गवाही सीवान : 15 वर्ष 3 माह 4 दिन बाद आये फैसले […]

प्रतापपुर गोलीकांड . 15 वर्ष 3 माह 4 दिन बाद आया कोर्ट का फैसला

अत्याधुनिक हथियारों का अपराधियों ने किया था इस्तेमाल
फैसले में कोर्ट ने कहा, अभियोजन साक्ष्य जुटाने में रहा असफल
चश्मदीद 29 में से मात्र 17 अफसरों ने दी थी गवाही
सीवान : 15 वर्ष 3 माह 4 दिन बाद आये फैसले के बाद एक बार फिर प्रतापपुर गोलीकांड की याद लोगों के बीच ताजी हो गयी है. तत्कालीन सांसद मो. शहाबुद्दीन के पैतृक गांव प्रतापपुर में हुई इस घटना में बदमाशों व पुलिस के बीच साढ़े पांच घंटे गोलीबारी चलती रही थी. इसमें अत्याधुनिक हथियारों का अपराधियों ने इस्तेमाल किया था. इस घटना में एक पुलिसकर्मी शहीद हुआ तथा तीन गंभीर रूप से घायल हो गये थे. मुठभेड़ में नौ अपराधी मारे गये थे.
इस घटना में डीएम-एसपी व डीआइजी समेत 29 गवाह रहे. इस घटना के लंबे समय बाद कोर्ट के आरोपित आफताब आलम के बरी कर दिये जाने व इसके साथ ही कोर्ट की व्यक्त की गयी प्रतिक्रिया की खूब चर्चा हो रही है.
साक्ष्य जुटाने में असफल रहा अभियोजन: प्रतापपुर गोलीकांड के मामले में हुसैनगंज थाने में तत्कालीन सांसद मो. शहाबुद्दीन समेत 24 लोगों को आरोपित बनाया था. तफतीश के दौरान आरोप पत्र के माध्यम से सराय ओपी के चांप निवासी आफताब आलम को भी पुलिस ने अभियुक्त बनाया. इस घटना के सूचक तत्कालीन एसडीपीओ व मौजूदा समय में झारखंड के गोड्डा जिले में एसपी हैं. अनुसंधानकर्ता डीएन रजक खुद गवाही के लिए उपस्थित नहीं हुए.
यूपी के आइजी सूर्य कुमार शुक्ल गवाही के लिए कोर्ट में आये, तोअधिवक्ताओं के कार्य से विरत रहने के चलते गवाही नहीं हुई. इसके अलावा आरक्षी अधीक्षक नरेंद्र प्रसाद, अवर निरीक्षक सत्येंद्र मिश्र, आरोप पत्र दाखिल करने वाले अवधेश कुमार सिंह समेत कई पुलिस के अफसर गवाही के लिए कोर्ट में उपस्थित नहीं रहे. कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष द्वारा अपने गवाह व साक्ष्य पर्याप्त प्रस्तुत नहीं करने के चलते आरोपी को संदेह का लाभ मिला.
घटना के 12 आरोपितों की हो चुकी है मौत : गोलीकांड में पुलिस ने नौ आरोपितों को मुठभेड़ के दौरान ही मार गिराया था. इसमें रियाजुद्दीन खान, कुदुस खान, एनुल हक, टेनी खां, शेख वारिस उर्फ आरिफ, मो.सुलेमान मियां, नजीबुद्दीन, मजीर मियां उर्फ वसीर मियां, सुनील शर्मा शामिल हैं. मुकदमे की सुनवाई के दौरान उपेंद्र सिंह, सत्येंद्र तिवारी व मशीर मियां की भी मौत हो चुकी है. ऐसे में अब 12 आरोपित रह गये हैं.
साढ़े पांच घंटे तक पुलिस व अपराधियों में होती रही थी गोलीबारी
विशेष अदालत में शहाबुद्दीन समेत 12 पर चल रही सुनवाई
प्रतापपुर गोलीकांड में हाइकोर्ट के आदेश पर मंडल कारा में गठित विशेष अदालत में बारह आरोपितों के खिलाफ सुनवाई चल रही है. इसमें से पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन इस मामले में जमानत पर हैं. इस मुकदमे की पैरवी के लिए बिहार सरकार से मो. शहाबुद्दीन ने सरकारी खर्च पर अधिवक्ता की मांग की थी.
तत्कालीन विशेष अदालत के न्यायाधीश एसके पांडेय ने इसके लिए आदेश दे दिया. इसके खिलाफ अभियोजन पक्ष ने हाइकोर्ट में रिविजन दायर किया है. इसके चलते विशेष अदालत में सुनवाई लंबित है.
अधिकतर ने नहीं की आरोपित की पहचान
मुकदमे की गवाही के दौरान सहायक आरक्षी निरीक्षक श्रीराम
सिंह घटना में घायल हुए थे. लेकिन कोर्ट में वह स्पष्ट नहीं कर सके
थे कि मुझे किसकी गोली लगी. घटना में शहीद हुए बासुकीनाथ
पांडेय किसकी गोली से मरे ,यह कोई कोर्ट में नहीं बता सका. डीआइजी की जिप्सी को किसने फूंका, यह कोर्ट में कोई स्पष्ट
नहीं कर सका.

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