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कॉपी-कलम की जगह नन्हे हाथों में औजार
मजदूर दिवस आज. कागजों पर सिमट कर रह गयी बाल मजदूरी उन्मूलन योजना रविवार को अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस पर हर जगह जब मजदूरों के हालात व उनके एेतिहासिक संघर्षों की चर्चा हो रही है. ऐसे में असंगठित क्षेत्र के कामगारों की दशा व उनके हितों में संचालित सरकारी योजनाओं की चर्चा स्वाभाविक है. मोटर मैकेनिक […]
मजदूर दिवस आज. कागजों पर सिमट कर रह गयी बाल मजदूरी उन्मूलन योजना
रविवार को अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस पर हर जगह जब मजदूरों के हालात व उनके एेतिहासिक संघर्षों की चर्चा हो रही है. ऐसे में असंगठित क्षेत्र के कामगारों की दशा व उनके हितों में संचालित सरकारी योजनाओं की चर्चा स्वाभाविक है. मोटर मैकेनिक से लेकर होटलों में काम करते नन्हे हाथ हर दिन दिखते हैं. ये बच्चे जिनके हाथों में कापी- कलम होने चाहिए, वे औजारों से खेलते हैं.
सीवान : शहर के मौलाना मजहरूल हक बस स्टैंड के समीप 10 वर्ष का जफरूल आॅटो रिक्शा की मरम्मत करने में मशगूल है. उसकी जब कैमरे पर नजर पड़ती है, तो मुस्कुरा पड़ता है. लेकिन क्षण भर में ही उसके चेहरे पर अचानक अनायास चिंता की लकीरें खिंच जाती है. पूछने पर अपने घर का पता बताने से कतराते हुए कहता है कि यहां गत दो वर्षों से काम करता हूं.
दिन भर काम के बाद रात में बगल के होटल में भोजन करने के साथ वहीं सो जाता हूं. जफरूल समेत ऐसे नन्हे बच्चे शहर में दर्जनों की तादाद है. जिनका बचपन खेल-कूद के बजाय मेहनत मजदूरी में कटती है. उधर गोपालगंज मोड़ के समीप 10 वर्षीय बालक तरबूज बेचते नजर आता है. अपना नाम पता यह कहते है हुए छुपाता है कि मालिक डाटेंगे. अपनी पहचान तक छुपानेवाले ऐसे बच्चों को अपने भविष्य की चिंता नहीं है. इनका कोई कल नहीं है. समाजसेवी मनोज मिश्र कहते हैं कि बाल मजदूरी के उन्मूलन के लिए सरकार द्वारा संचालित योजनाएं कागजों पर ही सिमट कर रह जा रही है. योजनाओं के व्यापक प्रचार- प्रसार की जरूरत है. दूसरी तरफ शहर के श्रद्धानंद बाजार, तेलहटा, बैलहटा बाजार समेत कई गल्ला मंडियों में पोलदार बड़ी उम्र में भी छोटी कमाई करने को मजबूर है.
सरकारी योजनाओं से अनभिज्ञ हैं अधिसंख्य मजदूर : श्रम विभाग संगठित व असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए विभिन्न कल्याणकारी योजनाएं संचालित करता है. जबकि जमीनी हकीकत है कि योजनाओं के प्रचार- प्रसार के अभाव में अधिसंख्य मजदूर लाभ से वंचित रह जा रहे हैं. इसके चलते योजना अनुपालन लक्ष्य से कोसों दूर है.
योजनाओं पर एक नजर
सामाजिक सुरक्षा योजना 2011 : बिहार शताब्दी असंगठित कार्य क्षेत्र कामगार एवं शिल्पकार सामाजिक सुरक्षा योजना असंगठित क्षेत्र के कामगारों व शिल्पकारों को सामान्य मृत्यु, दुर्घटना में मौत या घायल होने पर या उनके बच्चों के शिक्षा प्राप्त करने में मदद के लिए छात्रवृत्ति दी जाती है. लाभकारी की उम्र 18 से 65 वर्ष के बीच की होनी चाहिए. योजना का लाभ दुर्घटना में मृत्यु होने पर एक लाख रुपये, पूर्ण अपंगता पर 75 हजार रुपये, आंशिक अपंगता पर 37 हजार 500 रुपये व स्वाभाविक मृत्यु पर 30 हजार रुपये दिये जाते हैं.
प्रवासी मजदूर दुर्घटना अनुदान योजना : बिहार राज्य के स्थायी निवासी जो असंगठित क्षेत्र में काम करते हैं तथा किसी कारण से राज्य के बाहर अन्य राज्य या विदेश में काम करते हुए किसी दुर्घटना में पूर्ण अथवा आंशिक रूप से अपंगता या मृत्यु को प्राप्त करने पर योजना से लाभान्वित किया जाता है. लाभकारी की उम्र 18 से 65 वर्ष के बीच की होनी चाहिए. योजना का लाभ दुर्घटना में मृत्यु होने पर एक लाख रुपये, पूर्ण अपंगता पर 75 हजार रुपये,आंशिक अपंगता पर 37 हजार 500 रुपये दिये जाते हैं. आत्महत्या या शराब पीने से मौत पर कोई लाभ नहीं मिलता है.
कामगार कल्याण बोर्ड योजना : भवन निर्माण मजदूर, राजमिस्त्री, बढ़ई, लोहार, पेंटर, इलेक्ट्रीशियन, फर्श फ्लोर टाइल्स कार्य करनेवाले, संट्रिंग व लोहा बांधने वाले, गेट ग्रिल व वेल्डिंगवाले कामगार, सीमेंट व बालू मिक्सिंग करनेवाले मजदूर समेत अन्य मजदूर योजना से लाभान्वित होते हैं. इसके लिए पंजीयन कामगार का 18 से 60 वर्ष की उम्र तथा वर्ष में 90 दिन व मनरेगा के कामगारों का 50 दिन कार्य होना चाहिए.
भवन निर्माण साइकिल व औजार क्रय के लिए अनुदान 15 हजार रुपये, मातृत्व लाभ दो हजार रुपये, सामान्य मृत्यु हित लाभ 15 हजार रुपये व दुर्घटना मृत्यु लाभ 50 हजार रुपये, दाह- संस्कार लाभ 1 हजार रुपये, विवाह सहायता दो हजार रुपये, पेंशन 150 रुपये प्रतिमाह, परिवार पेंशन धनराशि पेंशन का 50 प्रतिशत व विकलांगता पेंशन 150 रुपये प्रतिमाह है.
क्या कहते हैं अधिकारी
सरकार मजदूरों के लिए कई योजनाएं चला रही हैं, जिससे मजदूर काफी लाभांवित हो रहे हैं. जो लोग इससे वंचित है. उन्हें लाभ दिलाने के लिए हर संभव कोशिश की जाती है. फिर भी लाभ लेनेवाले लोगों की संख्या में कमी है. इसके लिए विभागीय कार्रवाई की जा रही है. लोगों से अपील है कि योजनाओं का लाभ अधिक- से- अधिक लें.
गणेश झा, श्रम अधीक्षक, सीवान
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