सीवान : रघुनाथपुर थाना कांड संख्या 118/13 राहुल हत्याकांड में 15 अक्तूबर, 2015 से जेल में बंद हत्यारोपित कमलेश्वर सिंह उर्फ मकुनी तथा सिद्धेश्वर सिंह उर्फ सिद्धनाथ मामले में थानाध्यक्ष द्वारा 14 जनवरी तक आरोप पत्र समर्पित नहीं किये जाने पर दोनों आरापितों को सीजेएम न्यायालय द्वारा बेल दे दी गयी, जिससे वे जेल से बाहर आ गये और पीड़ित मुंह ताकते रह गये. यह सब थानाध्यक्ष द्वारा निश्चित समय पर आरोप पत्र समर्पित नहीं करने के कारण हुआ.
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आरोप पत्र समर्पित नहीं होने से छूट गये हत्यारोपित
सीवान : रघुनाथपुर थाना कांड संख्या 118/13 राहुल हत्याकांड में 15 अक्तूबर, 2015 से जेल में बंद हत्यारोपित कमलेश्वर सिंह उर्फ मकुनी तथा सिद्धेश्वर सिंह उर्फ सिद्धनाथ मामले में थानाध्यक्ष द्वारा 14 जनवरी तक आरोप पत्र समर्पित नहीं किये जाने पर दोनों आरापितों को सीजेएम न्यायालय द्वारा बेल दे दी गयी, जिससे वे जेल से […]
थानाध्यक्ष पर पहले भी लगे हैं आरोप : सरोज कुमार जब गोरेयाकोठी के थानाध्यक्ष थे, उस वक्त भी उनकी लापरवाही और न्यायालय से रिमांड मिलने के बावजूद सूचित नहीं करने के कारण हत्याराेपित हाइकोर्ट से बेल पर छूट गया था. गोरेयाकोठी थानाकांड संख्या 24/06 में आरोपित अरविंद मिश्र करीब नौ वर्ष बाद वाहन चेकिंग के दौरान गांजा तस्करी मामले में बेतिया में पुलिस के हत्थे चढ़ा था. इस मामले में न्यायालय द्वारा 21 फरवरी, 2015 को ही रिमांड का आदेश जारी कर दिया,
लेकिन थानाध्यक्ष द्वारा 11 मार्च तक इस आदेश को दबाये रखा गया, जब तक कि अभियुक्त हाइकोर्ट से जमानत पर रिहा न हो गया. अब रघुनाथपुर में भी थानाध्यक्ष द्वारा ऐसा ही मामला दुहराया गया है, जिसमें हत्या और आर्म्स एक्ट के दो अभियुक्तों के विरुद्ध जेल में रहने के 90 दिनों के अंदर आरोप पत्र समर्पित नहीं करने के कारण दोनों अभियुक्त उच्च न्यायालय के दिये गये दृष्टांत आदेश के अनुपालन में जमानत पर छूट गये हैं. इससे थानाध्यक्ष सरोज कुमार के कार्यकलाप स्पष्ट हो रहे हैं.
नौ माह भी कार्रवाई को पड़ गये कम : गोरेयाकोठी कांड संख्या 24/06 के आरोपित अरविंद मिश्र के रिमांड आदेश को समय पर नहीं भेजने और उसे दबाये रखने के कारण बेल पर छूट जाने के मामले में थानाध्यक्ष सरोज कुमार की लापरवाही के मामले में तत्कालीन एसपी ने अपने ज्ञापांक 732 दिनांक 28.04.15 द्वारा इंस्पेक्टर महाराजगंज को सौंपा और इस मामले में डीआइजी द्वारा संज्ञान लेने और तुरंत कार्रवाई के आदेश के बाद इसकी जांच डीएसपी मुख्यालय को सौंपी गयी थी, लेकिन इस मामले में करीब नौ माह बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है, जो व्यवस्था पर प्रश्न चिह्न खड़ा कर रही है.
कार्रवाई की जगह मिला पुरस्कार : वैसे तो पुलिस और सेना में अनुशासन को बहुत महत्व दिया जाता रहा है और इसे ही इसकी आत्मा और पहचान की संज्ञा दी जाती रही है, लेकिन लगता है कि वर्तमान में पुलिस प्रशासन को इससे कोई विशेष लगाव नहीं रह गया है. तभी तो गोरेयाकोठी थानाध्यक्ष रहते हुए सरोज कुमार की लापरवाही पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई और उनको कार्रवाई की जगह उन्हें पुरस्कार ही मिलता गया.
गोरेयाकोठी के बाद उन्हें नौतन का थानाध्यक्ष बनाया गया. फिर रघुनाथपुर का थानाध्यक्ष बना दिया गया और वहां भी ऐसा ही मामला सामने आ गया है. ऐसी स्थिति में विभाग को कैसा मैसेज जायेगा, इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है.
एसपी से लगायी गुहार : गोरेयाकोठी थाना क्षेत्र के अज्ञा निवासी वीरेंद्र तिवारी द्वारा थानाध्यक्ष सरोज कुमार पर लापरवाही और कर्तव्यहीनता का आरोप लगाते हुए कड़ी कार्रवाई की गुहार लगायी है.
उन्होंने गोरेयाकोठी थाने के मामले और रघुनाथपुर के मामले को नजीर के रूप में पेश किया है. उन्होंने कहा है कि सरोज कुमार की लापरवाही और कार्यकलाप से अपराधियों का मनोबल बढ़ता जा रहा है. वहीं अपराधियों का साथ देना और निदोर्षों को मामले में फंसाना इनका काम बन गया है.
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