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बदहाली पर आंसू बहा रहा जामो का अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र

जामो : अपनी दशा व स्थिति पर आंसू बहाने पर मजबूर है जामो मुख्यालय का ऐतिहासिक अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र. यहां मूलभूत सुविधाओं की बात तो दूर बैंडेज व कॉटन भी उपलब्ध नहीं हैं. साथ ही एक आयुष डॉक्टर व एक नर्स के सहारे अस्पताल चल रहा है. सनद रहे कि गोरेयाकोठी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के […]

जामो : अपनी दशा व स्थिति पर आंसू बहाने पर मजबूर है जामो मुख्यालय का ऐतिहासिक अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र. यहां मूलभूत सुविधाओं की बात तो दूर बैंडेज व कॉटन भी उपलब्ध नहीं हैं.
साथ ही एक आयुष डॉक्टर व एक नर्स के सहारे अस्पताल चल रहा है. सनद रहे कि गोरेयाकोठी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के बाद सबसे महत्वपूर्ण स्वास्थ्य केंद्र जामो का है, जहां एक बड़ी आबादी इस अस्पताल पर पूरी तरह आश्रित है. ज्ञात हो कि यह वहीं स्वास्थ्य केंद्र है, जहां कभी भारत विभूति राहुल सांकृत्यायन का इलाज किया गया था.
लेकिन आज वहीं स्वास्थ्य केंद्र एक अदद डॉक्टर व एक अदद नर्स के भरोसे चल रहा है. सरकार जहां स्वास्थ्य सेवा को बेहतर बनाने के लिए ढिढ़ोरा पीट रही है, वहीं जामो अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र की हालत बदतर होती जा रही है. इस अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र की जितनी जमीन उपलब्ध है, उतनी शायद जिले के किसी भी अतिरिक्त स्वस्थ्य केंद्र को उपलबध नहीं होगी.
फिर भी इसके भवन को बने आज 110 वर्ष होने जा रहा है, इसका गवाह इस स्वास्थ्य केंद्र में आज भी लटक रहा ब्रिटिश युग का चंवर है, जो कभी मानव हस्त चालित पंखे का काम करता था. एक जमाना था जब जामो प्रक्षेत्र के सभी गांव इसी स्वास्थ्य केंद्र पर निर्भर किया करते थे, लेकिन समय गुजरता गया और स्वास्थ्य केंद्र की हालत बिगड़ती गयी. इस बीच कई पड़ाव आये और गये, जहां इस क्षेत्र के विधायक दो बार बिहार सरकार के मंत्री भी रहे. लोगों ने उनसे गुहार भी लगायी, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला.
जामो बाजार निवासी मनोज गुप्ता बताते हैं कि कुछ तो प्रशासनिक उपेक्षा और कुछ राजनीतिक दावं-पेच के कारण इस ऐतिहासिक अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र की बुरी स्थिति हुई. बरहोगा पुरुषोत्तम के मुखिया मनोज सिंह का कहना है कि कई बार जामो के अस्पताल की सुधार की दिशा में प्रयाश किया गया, लेकिन इच्छा शक्ति के बिना आज तक यह अस्पताल आंसू बहाने पर मजबूर है.
इस संबंध में अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थापित आयुष डॉ वासिमुल हक का कहना है कि संसाधनों के अभाव में चाह कर भी जनता की सेवा नहीं की जा सकती. आज स्वास्थ्य केंद्र अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है, जिसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है. अगर संसाधन उपलब्ध कराये जायें तो यह बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने में सक्षम होगा.

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