सीवान : शिक्षा का अधिकार कानून लागू करने की तो बात दूर, अधिकतर विद्यालय अवैध रूप से ही संचालित हैं. निजी क्षेत्र के प्राइवेट विद्यालयों की संख्या तीन हजार से अधिक है, जबकि विभाग का खुद मानना है कि प्रस्वीकृति के लिए मात्र 509 विद्यालयों ने ही आवेदन किया है, जिसमें से मानक पूरा करने पर 194 विद्यालयों को ही स्वीकृति मिल पायी. इसके अलावा दस विद्यालयों के आवेदन विचाराधीन हैं.
26 विद्यालयों को कागजी प्रक्रिया पूरी करने के लिए विभाग ने नोटिस दिया है. दूसरी तरफ 509 में से 279 के आवेदन निरस्त किये जा चुके हैं. ये आंकड़े ही बता रहे हैं कि शेष विद्यालय अवैध रूप से चल रहे हैं, जहां शिक्षा का अधिकार कानून के तहत गरीब बच्चों को नामांकन देने के प्रावधान को लागू किया जाना तो दूर की बात है.
विभाग का दावा 2654 बच्चों का है दाखिला : कानून के अनुसार जिले के विभिन्न विद्यालयों में 25 प्रतिशत बच्चे नि:शुल्क पढ़ रहे हैं, जिनकी संख्या दो हजार 654 है. यह संख्या वर्ष 2014 व 2015 में नामांकित बच्चों की है. उसके तीन वर्ष पूर्व एक भी एडमिशन नियम के तहत नहीं लिया गया.
निजी विद्यालय के प्रबंधकों की संस्था प्राइवेट स्कूल एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन के सचिव शिवजी प्रसाद कहते हैं कि पिछले दो वर्ष से जिन विद्यालयों को विभाग से प्रस्वीकृति मिल गयी है, वे विद्यालय 25 फीसदी बीपीएल परिवार के बच्चों को नि:शुल्क नामांकन दे रहे हैं. हालांकि शासन से अब तक उन्हें क्षतिपूर्ति राशि नहीं मिली है. ये विद्यालय अपने खर्च से उन्हें पढ़ा रहे हैं.
प्रत्येक नामांकित छात्रों के मद में 4200 रुपये : शिक्षा के अधिकार कानून के अनुसार बीपीएल परिवार के जिन बच्चों का विद्यालय दाखिला लेंगे,उन्हें प्रत्येक छात्र के मद में वर्ष में 4200 रुपये विद्यालय को भुगतान किया जायेगा. ये कानून धरातल पर अब तक जिले में लागू नहीं है, जिससे अधिकतर विद्यालय नामांकन लेने से इनकार करते हैं.
गरीब बच्चों के अभिभावकों का है आरोप : निजी विद्यालय जहां कानून लागू किये जाने का दावा कर रहे हैं,वहीं ऐसे बच्चों के अभिभावकों का आरोप है कि ये विद्यालय नामांकन के साथ ही प्रत्येक माह फीस भी ले रहे हैं.
साथ ही विद्यालय प्रबंधन का कहना है कि सरकार से धन प्राप्त होने पर वह राशि अभिभावकों को दे दी जायेगी.कुछ विद्यालय के प्रबंधक भी दबी जुबान इसे स्वीकार करते हैं. उनका कहना है कि पहले वर्ष एडिमशन लेने के बाद भी सरकार से बजट नहीं मिला, जिसके कारण मजबूरन उनसे दूसरे वर्ष में फीस ली गयी. शासन से धन मिलने पर भुगतान कर दिया जायेगा.
क्या कहते हैं अधिकारी
नियमानुसार नामांकन प्रस्वीकृत विद्यालय कर रहे हैं. अनुपालन न करने वालों को नोटिस दिया गया है. सरकार से अभी इस मद में बजट प्राप्त नहीं हुआ है.जल्द ही फीस की राशि मिलने की उम्मीद है.
राजकुमार, डीपीओ,सर्व शिक्षा अभियान,देवरिया
यह है प्रावधान
छह से 14 साल के बच्चों को मुफ्त शिक्षा.
25 प्रतिशत गरीब बच्चों को देना होगा दाखिला.
नि:शक्त बच्चों की मुफ्त शिक्षा की उम्र 18 साल तक.
उल्लंघन करने पर यह होगी कार्रवाई- नामांकन के बाद फीस वसूलने पर दस गुना जुर्माना. इसके बाद भी शर्त न मानने पर मान्यता रद्द की जा सकती है. मान्यता निरस्त के बाद भी स्कूल चलाया, तो एक लाख रुपये जुर्माना. साथ ही प्रत्येक दिन दस हजार रुपये के हिसाब से जुर्माना लगाया जायेगा.
नामांकन के समय बच्चों की स्क्रीनिंग व अभिभावकों की परीक्षा लेने पर 25 हजार जुर्माना व फिर दोहराने पर 50 हजार रुपये जुर्माना.